Sun. Dec 22nd, 2024
    नागरिकता विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे असम छात्र संघ ने कहा-"भाजपा को नहीं बख्शेंगे"

    नागरिकता विधेयक के खिलाफ असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में बुधवार को आंदोलनकारियों ने भाजपा को चेतावनी दी कि विपक्ष तेज हो जाएगा।

    नागरिकता (संशोधन) विधेयक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से गैर-मुस्लिम धार्मिक समूहों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है।

    मिज़ोरम में, कई एनजीओ और बाकि संगठनों ने कहा है कि वे गणतंत्र दिवस का बहिष्कार कर देंगे।

    बताया जाता है कि आधे दर्जन से अधिक जन संगठनों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। वहीं, इस संशोधन विधेयक के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के इस्तीफे की मांग भी की है।

    अखिल असम छात्र संघ (AASU) के महासचिव ज्योति गोगोई ने कहा-“अगर वे नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लागू करने के सफर में इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो हम चेतावनी देते हैं कि भाजपा नेता खुलेआम नहीं घूम पाएंगे।”

    तीस से ज्यादा संगठनों से हज़ारो विरोध प्रदर्शनकारियों गुरुवार को गुवाहाटी के लाटसिल मैदान में इक्कट्ठा हुए जिसमे उत्तर पूर्व छात्र संगठन के प्रतिनिधित्व भी मौजूद थे।

    जब AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य से पूछा गया कि क्या विधेयक के पारित होने से भाजपा की राजनीतिक किस्मत प्रभावित होगी, उन्होंने कहा-“हम किसी को नहीं बख्शेंगे। यह हमारी पहचान की बात है।”

    हालांकि भाजपा के नेताओं ने दावा किया है की विरोध प्रदर्शन उन्हें गलत जानकारी के मिलने की वजह से हुआ है। भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने कहा-“विरोध इसलिए हो रहे हैं क्योंकि एक गलत सूचना फ़ैल गयी है कि 1.9 करोड़ हिन्दू बंगलादेशी असम में आ जाएँगे। हमारी जीत से ये साबित होता है कि लोगों को पता है कि ऐसा कुछ नहीं होगा।”

    भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए कहा कि यह गलत खबर नहीं है कि विधेयक असम समझौते का उल्लंघन करता है। उनके मुताबिक, “विधेयक कहता है कि यह 71 के बाद के प्रवासियों को अनिश्चित काल तक नागरिकता प्रदान करेगा। इसकी कोई कट-ऑफ डेट नहीं है।”

    विरोध प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इस विधेयक को खत्म किया जाये और साथ ही चेतावनी दी कि वर्ना ये विरोध और तेज़ होता जाएगा।

    मिजोरम में, मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने कहा कि उनकी सरकार नागरिकता विधेयक के विरोध में गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की घोषणा के बाद एनजीओ की प्रभावशाली समन्वय समिति के साथ बातचीत कर रही थी।

    ज़ोरमथांगा, जो विधेयक के खुद मुखर विरोधी रहे हैं, उन्होंने कहा-“चूंकि यह गणतंत्र दिवस है, हम कार्यक्रम करना चाहते हैं। हमारे गृह मंत्री एक प्रस्ताव के लिए एनजीओ के नेताओं से बात कर रहे हैं।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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