विषय-सूचि
इस लेख में हम समास के भेद द्वंद्व समास के बारे में पढेंगे।
(सम्पूर्ण समास के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – समास : भेद, परिभाषा, शब्द)
द्वंद्व समास की परिभाषा
जिस समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे:
द्वंद्व समास के उदाहरण
- अन्न-जल : अन्न और जल
- अपना-पराया : अपना और पराया
- राजा-रंक : राजा और रंक
जैसा कि हम जानते हैं द्वंद्व समास होने के लिए दोनों पदों का प्रधान होना जरुरी है एवं समास बनाने पर योजक चिन्ह लुप्त हो जाने चाहिए। अब हम ऊपर दिए गए उदाहरणों को देखते हैं। होने ऊपर दिए गए उदाहरणनों में देखा यहाँ अन्न जल, अपना पराया , राजा रंक जैसे शब्दों ने मिलकर अन्न और जल, अपना और पराया एवं राजा और रंक बनाया। इन शब्दों का समास बनने पर और योजक चिन्ह का लोप हो गया।
अन्न-जल इस समस्तपद का समास विग्रह होगा अन्न और जल। जैसा कि हम देख सकते है कि समास होने पर और योजक लुप्त हो रहा है एवं दोनों पद ही प्रधान हैं। अतः ये उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
- देश-विदेश : देश और विदेश
- रात-दिन : रात और दिन
- भला-बुरा : भला और बुरा
- छोटा-बड़ा : छोटा और बड़ा
जैसा कि हम ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि देश-विदेश, रात-दिन, भला-बुरा, छोटा-बड़ा आदि शब्दों में दोनों पद प्रधान हैं एवं जब ये दोनों पद मिलते हैं तो ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है।
ये विशेषताएं द्वंद्व समास कि होती है अतः ये उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
- आटा-दाल : आटा और दाल
- पाप-पुण्य : पाप और पुण्य
- देश-विदेश : देश और विदेश
- लोटा-डोरी : लोटा और डोरी
- सीता-राम : सीता और राम
ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में जैसा कि हम देख सकते है कि आटा-दाल, पाप-पुण्य, देश-विदेश, लोटा-डोरी आदि समस्त्पदों में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं दोनों पदों को मिलाने पर ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है। यही विशेषताएं द्वंद्व समास में होती हैं। अतः ये उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
- ऊंच-नीच : ऊँच और नीच
- खरा-खोटा : खरा और खोटा
- रुपया-पैसा : रुपया और पैसा
- मार-पीट : मार और पीट
- माता-पिता : माता और पिता
- दूध-दही : दूध और दही
जैसा कि हम ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में देख सकते हैं कि ऊंच-नीच, खरा-खोटा, रूपया-पैसा, मार-पीट, माता-पिता, दूध-दही इत्यादि समस्त्पदों में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं जब दोनों पदों को जोड़ा जाता है तब बीच में से ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है।
द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण :
- भूल-चूक : भूल या चूक
- सुख-दुख : सुख या दुःख
- गौरीशंकर : गौरी और शंकर
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आप देख सकते हैं यहां भूल-चूक, सुख-दुख व गौरीशंकर जैसे शब्द मिलकर भूल या चूक, सुख या दुःख व गौरी और शंकर बना रहे हैं जब इनका समास हो रहा है। समास होने पर इनके बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है।
- राधा-कृष्ण : राधा और कृष्ण
- राजा-प्रजा : राजा और प्रजा
- गुण-दोष : गुण और दोष
- नर-नारी : नर और नारी
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आपने देखा राधा-कृष्ण, राजा-प्रजा, गुण-दोष, नर-नारी आदि शब्द बने जब राधा और कृष्ण, राजा और प्रजा, गुण और दोष एवं नर और नारी आदि शब्दों का समास हुआ। इनका समास होने पर हमने देखा की यहां शब्दों का समास होने पर और योजक चिन्ह का लोप हो जाता है। इन शब्दों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता।
द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
- एड़ी-चोटी : एड़ी और चोटी
- लेन-देन : लेन और देन
- भला-बुरा : भला और बुरा
- जन्म-मरण : जन्म और मरण
- पाप-पुण्य : पाप और पुण्य
- तिल-चावल : तिल और चावल
- भाई-बहन : भाई और बेहेन
- नून-तेल : नून और तेल
जैसा की आप ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों में देख सकते हैं यहां एड़ी चोटी, जन्म-मरण जैसे शब्दों का समास होने पर योजक चिन्ह का लोप हो गया है। इन शब्दों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
- ठण्डा-गरम – ठण्डा या गरम
- नर-नारी – नर और नारी
- खरा-खोटा – खरा या खोटा
- राधा-कृष्ण – राधा और कृष्ण
- राजा-प्रजा – राजा एवं प्रजा
- भाई-बहन – भाई और बहन
- गुण-दोष – गुण और दोष
- सीता-राम – सीता और राम
जैसा की आप ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों में देख सकते हैं यहां राधा-कृष्ण, राजा-प्रजा जैसे शब्दों का समास होने पर योजक चिन्ह का लोप हो गया है। इन शब्दों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
द्वंद्व समास के बारे में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
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Good but not best.
Try to improve next time.
stupid u are
Ya kab lagaya jata hai,Aur kab lagaya jata hai?
I understand it ,so thanks
do not lie
Tan man dhan Ka samas vigreh
द्वंद समास में जब समस्त पद संज्ञावाची हो तो पदों के मध्य ‘और’/’तथा’ जब दो पद परस्पर विलोम हो तो पदों के मध्य ‘या’/’अथवा’ साथ ही जब समस्त पद परस्पर पर्याय हो तो पदों के अंत में आदि/इत्यादि लगाया जाता है.
plz tell types of this samaas
द्वंद्व समास में कब और कहाँ, ‘या’ तथा ‘और’ का प्रयोग होता है? कृप्या मार्गदर्शन करें।