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    बहुव्रीहि समास

    विषय-सूचि

    इस लेख में हम समास के भेद बहुव्रीहि समास के बारे में पढेंगे।

    (सम्पूर्ण समास के बारे में गहराई से पढनें के लिए यहाँ क्लिक करें – समास : भेद, परिभाषा, शब्द)

    बहुव्रीहि समास की परिभाषा

    बहुव्रीहि समास ऐसा समास होता है जिसके समस्त्पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं वह समास बहुव्रीहि समास कहलाता है। जैसे:

    बहुव्रीहि समास के उदाहरण

    •  गजानन : गज से आनन वाला (गणेश )

    जैसा कि आपने देखा ऊपर दिए गए शब्द में कोई भी पद प्रधान नहीं हैं। दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उत्तर पद मिलकर गणेश की तरफ इशारा कर रहे हैं। गणेश का गज   के सामान आनन् होता है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतएव यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • चतुर्भुज : चार हैं भुजाएं जिसकी (विष्णु)

    ऊपर दिए गये उदाहरण में आप देख सकते हैं कि समस्तपद में से कोई भी एक पद प्रधान नहीं है एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद कि और इशारा कर रहे हैं। हम जानते हैं की विष्णु भगवान की चार भुजाएं होती हैं और ये दोनों पद मिलकर भगवान विष्णु की तरफ इशारा कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • त्रिलोचन : तीन आँखों वाला (शिव)

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद एवं उत्तर पद में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलनेके बाद किसी दुसरे ही पद कि और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • दशानन : दस हैं आनन जिसके (रावण)

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद एवं उत्तर पद ‘दस‘ एवं ‘आनन‘ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद किसी दुसरे ही पद दशानन जो कि रावण का एक नाम है उसकी और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • मुरलीधरमुरली धारण करने वाला 

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘मुरली’ एवं उत्तर पद ‘धर’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद ‘मुरलीधर’ किसी दुसरे ही पद की और संकेत कर रहे हैं। मुरलीधर भगवान कृष्ण का एक नाम है तो ये दोनों पद मिलकर इसकी तरफ संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतः यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • निशाचर : निशा अर्थात रात में विचरण करने वाला (राक्षस)

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘निशा’ एवं उत्तर पद ‘चर’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद ‘राक्षस’ की और संकेत कर रहे हैं जो इन पदों से बिलकुल भिन्न है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • चतुर्मुख : चार हैं मुख जिसके (ब्रह्म)

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘चतुर’ एवं उत्तर पद ‘मुख’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद चार मुख वाले अर्थात ‘ब्रह्म’ की और संकेत कर रहे हैं जो कि इन दोनों पदों से बिलकुल भिन्न है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • लम्बोदर : लंबा है उदर जिसका 

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘लम्ब’ एवं उत्तर पद ‘उदर’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

    • कलहप्रिय : कलह है प्रिय जिसे 

    जैसा की आप  उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ पूर्वपद ‘कलह’ एवं उतरपद ‘प्रिय’ है। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं बाह पद कलहप्रिय है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    • उदार है मन जिसका वह = उदारमनस्

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘उदार’ एवं उत्तर पद ‘मनस’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    • अन्य में है मन जिसका वह = अन्यमनस्क

    जैसा की आप  उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ पूर्वपद ‘अन्य’ एवं उतरपद ‘मनस्क’ है। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं बाह पद कलहप्रिय है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    • साथ है पत्नी जिसके वह = सपत्नीक

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘स’ एवं उत्तर पद ‘पत्नीक’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

    बहुव्रीहि समास से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    13 thoughts on “बहुव्रीहि समास : परिभाषा एवं उदाहरण”
    1. कलहप्रिय में बहुब्रीहि समास कैसे है

      1. यहां कलहप्रिया किसी व्यक्ति की बात ना करते हुए एक पक्षी की बात हो रही हैं| जिसे त्रिलोचना कहते हैं|बाहुब्रिही समास हैं|

    2. बहुत ही उपयोगी परिभाषा और उदहारण है

    3. Sir trilochan,dashanan ityaadi ye sab dvigu samas kyu nahi ho sakte . Kyonki inka pratham pud sankhyawachak hai

    4. what is the difference between bahuvriya samas and dvigu samas?
      for example: trinetra
      it is starting with a number, so it can be dvigu samas
      but, it is a bahuvriya samas.

      HOW TO DIFFERENTIATE BETWEEN BOTH , PLS TELL in the view of a 10th standard child???

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