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    दिल्ली: शीला दीक्षित और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल

    उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हाथ क्या मिलाया, सियासी गर्मी फिर बढ़ गयी कि क्या ये आगामी लोक सभा चुनाव में साथ आने का संकेत है?

    मगर दोनों पार्टी ने पहले ही अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करा दी थी।

    जहाँ एक तरफ, आम आदमी पार्टी ने ये कहा कि देश हित के लिए वे कांग्रेस का ज़हर पीने के लिए भी तैयार थे मगर वे अपने अहंकार से भरी हुई है, वही दूसरी तरफ, कांग्रेस ने कहा कि आप एक छोटी पार्टी है जो आएगी और चली जाएगी।

    आप नेता गोपाल राय ने कहा कि ये फैसला तब लिया गया जब पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित ने अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन करने पर विरोध जताया।

    उनके मुताबिक, “देश के हित में, हम कांग्रेस का ज़हर पीने के लिए तैयार थे मगर उनके बयां से दिख रहा है कि कांग्रेस अभी भी अपने अहंकार में जकड़ी हुई है। आप तीनो राज्यों में सभी लोक सभा सीटों पर अपने दम से ही लड़ेगी।”

    और जब यही सवाल कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित से पूछा गया तो उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न को वापस लेने के लिए शुरू किए गए प्रस्ताव पर आप की आलोचना करते कहा-“जो उन्होंने किया है उसके बाद उनके साथ गठबंधन बनाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मेरी हमेशा से ही ये राय रही है कि कांग्रेस को अलग रहकर अपने आप लड़ना चाहिए। हम ये कर सकते हैं और ये मुश्किल नहीं है। हमें बस साथ रहकर लड़ना होगा।”

    उन्होंने आगे कहा-“आप कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसकी हमें चिंता करनी चाहिए। ये एक राजनीतिक पार्टी है जो दिल्ली तक सीमित है। बाकि राज्यों में इसकी मौजूदगी कहा है? गुजरात या राजस्थान में ये कहा है? ये एक छोटी पार्टी है जो आएगी और चली जाएगी।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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