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    सापेक्षता सिद्धांत theory of relativity in hindi

    विषय-सूचि


    थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों में से एक, अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) द्वारा दी गई थी।

    सापेक्षता सिद्धांत का मतलब (theory of relativity meaning in hindi)

    रिलेटिव का मतलब होता है सापेक्ष होना। थ्योरी यानी सिद्धांत।

    ऐसे में थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का मतलब है किसी भी वस्तु या प्राणी की गतिविधि को किसी अन्य वस्तु या प्राणी के सापेक्ष/दृष्टि से देखना।

    इसे हम दो भागों में बाट सकते हैं। जनरल (सामान्य) थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और स्पेशल (विशेष) थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी।

    इनर्शियल/नॉन इनर्शियल फ्रेम ऑफ रिफरेन्स

    इनर्शियल फ्रेम वह होता है जिसमे सारी वस्तुएँ एक दूसरे के सापेक्ष लगातार एक ही गति से चल रही हों। एक वस्तु की गति, दूसरे के रिलेटिव ना बदले। इस फ्रेम में न्यूटन द्वारा दिया गया प्रस्ताव का पहला कानून (फर्स्ट लॉ ऑफ मोशन) मान्य होता है।

    जबकी नॉन इनर्शियल फ्रेम वह है जिसमे त्वरणयुक्त ( एक्सेलरेटेड ) मोशन हो। इस फ्रेम में न्यूटन का फर्स्ट लॉ ऑफ मोशन मान्य नहीं होता।

    सामान्य सापेक्षता सिद्धांत (general theory of relativity in hindi)

    जनरल थ्योरी केवल इनर्शियल( जड़त्वीय ) फ्रेम ऑफ रिफरेन्स में ही मान्य है। इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण से शुरुआत करते हैं। मान लीजिए सड़क पे एक गाड़ी 30kmph की रफ़्तार से पूर्व से पश्चिम की ओर जा रही है। गाड़ी में रोहन और उसका दोस्त राज बैठा है। और आप सड़क के किनारे खड़े हैं। रोहन के लिए राज स्थिर है और एक ही जगह पर है। परंतु आपके लिए वो दोनों 30kmph की गति से पश्चिम जा रहे हैं। और उनके लिए आप 30kmph से पूर्व जा रहे हैं। ये तीनों ही निष्कर्ष सही है। फर्क है तो बस फ्रेम ऑफ रिफरेन्स का। अब अगर रोहन पश्चिम दिशा में 10 kmph की गति से एक गेंद फेकता है, तो रोहन के लिए वह गेंद 10 kmphसे ही जाएगी। पर आपको लगेगा कि गेंद 30+10( गाड़ी + गेंद ) =40kmph की गति से पश्चिम जा रही है।

    हम ये तो जानते ही हैं कि प्रकाश की गति अटल है -3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड। तो अगर रोहन ने पश्चिम की ओर टोर्च की होती तो क्या हमें प्रकाश की गति बढ़कर लगेगी? नही। ऐसा संभव नहीं।

    दुनिया मे कुछ भी प्रकाश की तय गति से तेज़ नही चल सकता। अगर कुछ भी बहुत तेज़ या प्रकाश जितनी तेज़ गति से चलता है, तो उसकी रिलेटिव गति तो स्थिर रखने के लिए उसकी लंबाई और समय में बदलाव आते हैं। इसे अंग्रेज़ी में टाइम डायलेशन और लेंथ कंट्राडिक्शन कहते हैं।

    टाइम डायलेशन मतलब समय का धीरे चलना। जो भी वस्तु इतनी तेज चलेगी, उसका समय धीरे बीतेगा। अर्थात गर आप प्रकाश की गति से कोई दूसरे ग्रह चले जाए और वापिस आ जाएँ, तो आप धरती पे अपना भविष्य देखेंगे। लेंथ कंट्राडिक्शन यानी कि उस तेज़ चलने वाली चीज़ की लंबाई काम हो जाना। इस थ्योरी से साबित हुआ कि समय पूर्ण नहीं रिलेटिव होता है। वो हर किसी के लिए अलग अलग चलता है।

    विशेष सापेक्षता सिद्धांत (special theory of relativity in hindi)

    जनरल थ्योरी सिर्फ इनर्शियल फ्रेम में ही मान्य है। लेकिन ब्रह्मांड में कुछ भी एक गति से नहीं चलता। सब कुछ त्वरणयुक्त है। जिसका अर्थ ये हुआ कि जनरल थ्योरी असल दुनिया में लागू ही नहीं होती। इस कमी को सुधारने के लिए स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी दी गई।

    ये थ्योरी गुरुत्वाकर्षण से संबंधित है। हम जानते हैं कि तीन आयाम (डाइमेंशन्स) होते हैं। जिन्हें x,y और z से संबोधित किया जाता है। आइंस्टीन का कहना था कि समय चौथा डायमेंशन है।

    सोचिए कि आपसे ज़मीन पर पानी गिर गया। तो कुछ ही देर में पानी इधर उधर फैलेगा और अलग अलग आकार लेगा। इसको हम एक चलचित्र की तरह देख सकते हैं जो कि समय के साथ बदलता है।

    स्पेस टाइम को एक फैले हुए कपड़े की तरह मानते हैं जिसपे भार (मास) के कारण वक्र आते हैं। जितना ज्यादा भार, उतना ज्यादा वक्र। गुरुत्वाकर्षण भी वक्र के कारण की लगता है।

    ये भी माना जाता था कि प्रकाश एक सीध में चलता है। परंतु इस थ्योरी से प्रमाणित हुआ कि प्रकाश को मोड़ा जा सकता है। और जो वस्तु जितनी भारी, उससे टकराने के बाद प्रकाश उतना ही ज़्यादा मुड़ेगा। प्रकाश के मुड़ने की वजह से ही हम सूर्य के पीछे के तारों को देख पाते हैं।

    आश्चर्यजनक तो ये खोज थी कि समय गुरुत्वाकर्षण से भी संबंधित है।जहाँ गुरुत्वाकर्षण तीव्र, वहाँ समय धीमे बीतता है, जैसे कि पृथ्वी का केंद्र। और जहाँ गुरुत्वाकर्षण कम, वहाँ समय जल्दी बीतता लगता है, जैसे ऊंचे पर्वत। इसी खोज के कारण आज जीपीएस सिस्टम बन पाया है।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट के जरिये हमसे पूछ सकते हैं।

    30 thoughts on “थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (सापेक्षता सिद्धांत) क्या है?”
      1. Theory of relativity brahmand ke niyam ko samjhane me madat karti hai jaise prakash ki gati hamesha samaan rahegi jab ham kisi vastu ko dekhte hain to yah observer par nirbhar karta hai ki wah vastu use kis state me dikhegi

        1. Now present technology ke according it is imposible . Because iske liye large amount me fuel & energy source chahiye . Therefore , present me ham light ke speed se travel nahi kar sakte. Thank you .

    1. inertial and non inertial frame of reference kyaa hote hain and in donon frame of reference mein kyaa kyaa difference hote hain??

    2. Kya agr hm prakash ki gati se tej vastu ka niman kr le to kya hm time travel kar skte he ?
      Please reply me…. Thank you

      1. Hn Q ki light ki speed pr koi bhi science ka niyam kaam nahi krega or tum 4 D me honge Q ki time he 4D hai….or tumhare time bohot slow ho jayega tumhari age normal hogi or earth pr tumhara chota bhai tum se bada ho jayega just like tum jb ghar se gye tum 25Y k the or tumhara Bhai 20Y tumne 5 year light speed se chale to jb vapas earth pr aaoge tb tumhara bhai 35Y ho jayega or tum 30Y

      2. है क्यों नही ऊपर एक लेख में लिखा गया है की अगर हम light के बराबर या उससे तेज चलने वाली कोई भी चीज का निर्माण कर लिया या उससे तेज चले और किसी अन्य ग्रह पर light की speed से travel करे तो हम पृथ्वी पर अपना भविष्य देख सकते है

    3. माना कि हम प्रकाश की गति से गति कर सकते है।माना कि हम पृथ्वी से मंगल ग्रह पर प्रकाश की गति से गति करते हुए 12 मिनट में पहुंच गए और फिर उसी गति से वापस पृथ्वी पर 12 मिनट में आ गए तो हमारे द्वारा कुल 24 मिनट समय लिया गया।क्या इस 24 मिनट बाद जब हम पृथ्वी पर लौटेंगे तो अपना भविष्य कैसे देख लेंगे…?

      1. ya bhavishya dekhi ka matlab khud apna bhavishya dekhna nai hai apitu dharti ke samya ka bhavishya se hai yani ki jab hum dharti per wapas aayenge to dharti per 24 minutes se jyda beet chuke honge

    4. Kya hum Parkaas ki gati ke brabar chal ya koi ROCKET bej sakte hai kahi bi Mangal ya koi dusre greh par..

    5. Now present technology ke according it is imposible . Because iske liye large amount me fuel & energy source chahiye . Therefore , present me ham light ke speed se travel nahi kar sakte. Thank you .

    6. Mera comment yeh hai ki agar hamari prathavi ke Kendra par time dhima hota hai to ye batao ki space me to time gatishil (fast) Hoga

    7. einstein ki theory of relativity

      इस थ्योरी को में

      “मनु” जिन्होंने मनुस्मृति को लिखा है

      उनके माता पिता से जोड़ कर समझना चाहता हूं

      तो मेरा सवाल यह है कि
      “मनु के माता पिता कोन थे और उनके क्या नाम थे”

    8. When any things faster than light then why required his relative motion is constant or rest

    9. agar hum time treval kare to aur hum future me chale jaaye to kya hum present time me vapas aa sakte hai please reply me sir

    10. sir hame pata hai ki same chages reples karte hai to jo charge earth ka hai agar wahi charge hum kisi object par wahi charge rakhe to kya wah object replese hogi ? agar replece hoti hai to wah object earth se dur jayegi jesse hum space me bina kisi fule kharch kiye jaa sakte hai. sir agar mera theory sahi hota hai to hum earth yaa space me bina kisi fule ke hum treval kar payenge . aur hume ummed hai ki hum light ki speed se travel kar paayen . sir my phone no – 7491864716

    11. agar insaan “light ki speed se travel karna possible nahi hai” bol raha hai to wo aysa is liye bol raha hai kyoki abhi waise koi sadhan nhi hai hamery pass . lekin in future me ayse nhi hoga ye jarouri thodi hai . agar student ko sari subidha milega tab na kuch naya khoj karega .
      or aap ne bhout he achi post likhi hai . thanks
      i love physics.

    12. हम धरती चंद और मंगल ग्रह को जानते हैं .हमने सबसे पहले दूरी इन तीनों का कब नापा था . अब तक कितना फरक है ? अगर फरक है तो newton law गलत हैं अगर जो नही हैं तो सही हैं ,ये फरक बहुत कम होगा.kaya

    13. ऊपर लिखा हैं की जहाँ गुरुत्वाकर्षण कम होता हैं वह समय तेज बीतता है। तो स्पेस में तो गुरुत्वाकर्षण होता ही नही ह तो वह समय धीमा कैसे बीतता हैं।और धरती पे तीव्र होता ह तो, समय तेज कैसे बीतता है।।रिप्लाई करे…….

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