रूस ने हाल ही में तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए एक बैठक का आयोजन किया था। हालांकि खबरों के मुताबिक तालिबान के साथ बैठक में कुछ हासिल नहीं हुआ है। तालिबान का प्रतिनिधि समूह शुक्रवार को मॉस्को में बैठक के लिए गया था। रूस इस शांति प्रक्रिया में अलहदा किरदार निभाना चाहता है लेकिन अफगानिस्तान ने इस बैठक में आधिकारिक प्रतिनिधि समूह नहीं भेजा था।
अफगानिस्तान ने गैर आधिकारिक स्तर पर इस सम्मेलन में एक समूह भेजा था। इस समूह ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की बगैर शर्त के शांति वार्ता की बात को दोहराया था। रूस की खबरों के मुताबिक मॉस्को ने तालिबान से सीधे तौर पर बातचीत कर लिए कहा था और समय व स्थान का चयन करने को कहा था।
तालिबान के प्रतिनिधि समूह ने दोहराया कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को निकलना होगा। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना वहां की सरकार का समर्थन करती है। तालिबान कर प्रवक्ता ने कहा कि काबुल की सरकार से बातचीत शुरू करने से पूर्व अफगानिस्तान मर तैनात बाहरी सेना के मसले का हल निकालना होगा। उन्होंने अमेरिका के आरोपों को खारिज किया कि रूस तालिबान को हथियार मुहैया करता है। मॉस्को ने भी इन आरोपों का खंडन किया था।
रूसी विदेश विभाग ने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता के लिए रूस अपनी स्थिति बताना चाहता है और साथ ही अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और क्षेत्रीय साझेदारों को भी ऐसे प्रयास करने की जरूरत है।
तालिबान ने पिछले सप्ताह एक बयान जारी कर कहा था कि किसी एक समूह से बातचीत के लिए तालिबान इस बैठक में शरीक नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा था कि यह बैठक अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण समाधान कर बाबत चर्चा करना था और अमेरिकी व्यापार को बंद करना था।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बगैर शर्त के तालिबान को बातचीत का ऑफर दिया था। लेकिन विद्रोहियों ने इस बातचीत के लिए इनकार कर दिया था और कहा कि अफगान सरकार विदेशियों के नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि वह लेवल अमेरिका से सौदेबाज़ी कर सकती है।