अनिल अम्बानी की रिलायंस कम्युनिकेशन के लिए मुश्किलें ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। बुधवार को दूरसंचार विभाग के साथ एक मीटिंग में जिओ ने यह साफ़ कह दिया की जिओ एवं रिलायंस कम्युनिकेशन के इस समझोते में रिलायंस की पिछली बकाया राशी भरने में जिओ की कोई ज़िम्मारी नहीं होगी। अर्थात रिलायंस जिओ की बकाया राशी जिओ नहीं भरेगा।
क्यों हुई थी मीटिंग ?
बुधवार को त्रिपक्षीय मीटिंग आरकॉम, जिओ एवं दूरसंचार विभाग के बीच लंबित NOC पर एक समझोते पर पहुचने के लिए की गयी थी। यह NOC आरकॉम एवं जिओ के बीच एक सौदे के लिए ज़रूरी है। लेकिन जिओ ने अपना मत नहीं बदला है। इस सौदे का अंतिम परिणाम अब आरकॉम के साथ है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में डीओटी के रुख को चुनौती देने का विकल्प है।
इससे पहले दूरसंचार विभाग ने जोर देकर कहा था की आरकॉम 30 अरब रुपयों की बैंक गारंटी देगा। इस पर आरकॉम ने उन्हें ज़मीन की गारंटी देनी चाहि जिसपे DOT मुकर गया था। इसका कारन यह था की बैंक गारंटी आसानी से नकदी बनायी जा सकती है।
आरकॉम एवं जिओ के बीच सौदा
आरकॉम ने हाल ही में अपने ऋणों को कम करने के लिए जिओ के साथ एक सौदा तय किया है जिसके अंतर्गत वह जिओ को 250 अरब रूपए में अपनी टावर परिसम्पतियाँ बेचेगा। ऐसा करने से वह अपने पिछले ऋण चुका पायेगा लेकिन दूरसंचार विभाग ने इसकी मंजूरी नहीं दी है। उनका यह मत है की रिलायंस पहले दूरसंचार विभाग में बाकी क़र्ज़ चुकाए उसके बाद ही उसे जिओ के सौदे की अनुमति दी जायेगी।
जिओ ने किया सहायता से इनकार
अब इस सौदे का परिणाम आरकॉम के हाथों में है यदि वह पहले अपने पिछले ऋण चुका देता है तो यह सौदा हो जाएगा लेकिन अगर ऐसा नहीं कर पाटा है तो इस सौदे को मंज़ूरी नहीं मिल पाएगी। जिओ ने इस मामले में रिलायंस कम्युनिकेशन की किसी भी तरह की सहायता करने से इनकार कर दिया है।