अनुभवी गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि रमजान की तारिख को लोक सभा चुनाव की तारीखों संग जोड़ना घृणास्पद है। और उन्होंने साथ ही चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह एक सेकंड भी इस विवाद के ऊपर विचार करके बर्बाद ना करें।
अख्तर ने सोमवार की रात को इस पूरे मामले ट्वीट किया और कहा-“मुझे रमजान और चुनाव के ऊपर हो रही ये पूरी चर्चा पूरी तरह से घृणित लगती है। यह धर्मनिरपेक्षता का विकृत और विक्षेपित संस्करण है जो मेरे लिए प्रतिकारक, विद्रोही और असहनीय है। चुनाव आयोग को एक सेकंड के लिए भी इस विवाद पर विचार नहीं करना चाहिए।”
I find this whole discussion about Ramzan and elections totally disgusting . This is the kind of distorted and convoluted version of secularism that to me is repulsive , revolting and intolerable . EC shouldn’t consider it for a second .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 11, 2019
मशहूर शायर की प्रतिक्रिया तब आई जब समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान और तृणमूल कांग्रेस नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने सात चरणों के लोक सभा चुनाव के कार्यक्रम पर सवाल उठाये। फिरहाद ने कहा कि वह चुनाव आयोग का सम्मान करते हैं लेकिन इस वक़्त चुनाव घोषित करने का क्या मतलब है?
उनके मुताबिक, “तीन राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में अल्पसंख्यकों की आबादी अधिक है। वह रोज़ा करके ही वोट डालेंगे। चुनाव आयोग को ये बात दिमाग में रखनी चाहिए थी। भाजपा चाहता है कि अल्पसंख्यक वोट ना डाले। लेकिन हम चिंतित नहीं हैं। लोग ‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ’ के लिए प्रतिबद्धित हैं।”
Firhad Hakim, Kolkata Mayor&TMC leader: Minority population in these 3 states is quite high. They'll cast votes by observing 'roza'. EC should've kept this in mind. BJP wants minorities to not cast their votes.But we aren't worried. People are committed to 'BJP hatao-desh bachao' https://t.co/7MCnrgrDqE
— ANI (@ANI) March 11, 2019