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    चीन महान दीवार

    चीन के पास दुनिया की सबसे लंबी दीवार का होने का रिकॉर्ड है। चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना विश्व की सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। ये दीवार किले की तरह मिट्टी व विशेष पत्थरों से बनी हुई है। पांचवी शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी के बीच में विभिन्न चीनी शासकों ने इसका निर्माण करवाया। चीन की इस दीवार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये दीवार कितनी लंबी होगी। मूल रूप से चीनी सम्राट किन शी हुआंग ने इस दीवार की कल्पना की थी।(1)

    उत्तरी हमलावरों से सुरक्षा करने के लिए इस दीवार का निर्माण किया गया था। ग्रेट वॉल का सबसे प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ-संरक्षित अनुभाग मिंग राजवंश (1368-1644) के दौरान बनाया गया था। चीन की इस महान दीवार ने कभी भी आक्रमणकारियों को चीन में प्रवेश करने से नहीं रोका। लेकिन इस दीवारा को चीन की शक्तिशाली स्थायी ताकत के रूप में देखा गया। चीनी लोग इस दीवार को वान ली छांग छंग के नाम से भी पुकारते है।

    चीनी दीवार इतिहास

    220 ईसा पूर्व के आसपास, एकीकृत चीन के पहले सम्राट क्वीन शी हुआंग ने आदेश दिया कि देश के विभिन्न प्रांतो के बीच पहले किलेबंदी हटा दी जाएगी और उत्तरी सीमा के साथ कई मौजूदा दीवारें एक सिंगल सिस्टम में शामिल हो जाएगी। ताकि उत्तरी हमले से विभिन्न प्रांतो की रक्षा एक साथ किलाबंदी करके की जा सके।(2)

    क्या आपको पता है कि सम्राट क्वीन शी हुआंग ने जब चीन की इस दीवार को बनाने का आदेश दिया था तो बड़े पैमाने पर सैनिकों और अपराधियों ने इसके निर्माण मे सहयोग किया था। ऐसा माना जाता है कि जाता है कि चीन की इस महान दीवार के निर्माण के दौरान लगभग 400,000 लोग मारे गए, इनमें से कई श्रमिकों को दीवार के भीतर दफन कर दिया गया था।

    चीन की इस महान लंबी दीवार का निर्माण किसी भी सभ्यता द्वारा किए गए सबसे महत्वाकांक्षी भवन परियोजनाओं में से एक था।प्रसिद्ध चीनी जनरल मेंग टियांन ने इस परियोजना को निर्देशित किया था। चीन के ग्वांगू प्रांत के शान्वाइगुआन से लेकर पश्चिम में लोप नुर तक इस दीवार का विस्तार किया गया है। यह दीवार 6400 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है।  यह दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 कि.मी. (5,500.3 मील) तक फैली है।

    शताब्दी के माध्यम से जानिए चीन की दीवार के बारे में

    क्वीन शी हुआंग की मौत और क्वीन राजवंश के पतन के साथ ही ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की स्थिति बदतर हो गई। बाद में इसके निर्माण को हान राजवंश (206 बी.सी.-220 एडी) ने अपने नियंत्रण में कर लिया। सबसे शक्तिशाली उत्तरी वी वंश (386-535 ए.डी.) ने अन्य उत्तरी जनजातियों के आक्रमण से बचाने के लिए मौजूदा दीवार की मरम्मत को बढ़ाया। बेई क्यूई साम्राज्य (550-577) ने 900 से अधिक मील की दीवार की मरम्मत या मरम्मत की।

    जिसके बाद सुई वंश (581-618) ने इसके मरम्मत कार्य को कई बार बढ़ाया। तांग राजवंश (618-907) के उत्थान के साथ ही ग्रेट वॉल ने किले के रूप में अपना महत्व खो दिया था। चंगेज खान द्वारा स्थापित शक्तिशाली युआन (मंगोल) वंश (1206-1368) ने अंततः सभी चीन, एशिया के कुछ हिस्सों और यूरोप के वर्गों को नियंत्रित किया। चीन की इस दीवार ने मंगोल वंश को सैन्य दुर्ग के रूप में बहुत महत्व नहीं दिया।

    आज चीन की ग्रेट वॉल सबसे लंबी दीवार है। मिंग शासन (1368-1644) के दौरान मुख्य रूप से चीन की महान दीवार को निर्मित किया गया। प्रारंभिक मिंग शासकों ने दीवार निर्माण कार्य को सीमित रखा। मिंग शासकों के मजबूत शासन के तहत चीनी संस्कृति का काफी विकास हुआ। इस अवधि में महान दीवार के अतिरिक्त पुलों व मंदिरों का निर्माण अधिक मात्रा में हुआ। आज की जाने वाली चीन की महान दीवार का निर्माण 1474 के आसपास हुआ। मिंग शासन के दौरान ग्रेट वॉल के सुधार व विस्तार कार्य को अधिक बल दिया गया।

    चीन की महान दीवार का महत्व

    18 वीं और 20 वीं शताब्दी के बीच में पश्चिमी दुनिया के लिए चीन की सबसे बड़ी दीवार के बेहद आकर्षक रूप से उभरी। चीन की इस दीवार से विदेशी आक्रमणकारियों के हौसले बेहद कम हो जाते है। चीन ने अपनी सुरक्षा के लिए इस दीवार का निर्माण करवाया है।

    चीन की ग्रेट वॉल को इतिहास में सबसे प्रभावशाली वास्तुकला के रूप में माना जाता है। 1987 में, यूनेस्को ने इसे एक महान विरासत स्थल का दर्जा दिया है। 20 वीं शताब्दी में कहा गया कि एकमात्र यह दीवार मानवनिर्मित संरचना है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है।

    यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शुमार इस ग्रेट वॉल को देखने के लिए हर साल बहुत बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते है। लेकिन सैलानियों की वजह से इस दीवार को काफी नुकसान पहुंचा है। दीवार का एक बड़ा हिस्सा प्राकृतिक आपदा और मानवीय लापरवाही के चलते गायब हो चुका है। इस दीवार की उपयुक्त देखरेख भी नहीं हो पा रही है।(3)