जापान के राजदूत ने मंगलवार को कहा कि जापान भारत के साथ मिलिट्री लोजिस्टिक पैक्ट यानी सैन्य संचालन समझौता करना चाहता है। इस पैक्ट से भारत और जापान के जहाज एक-दूसरे के सैन्य बेस पर जा सकेंगे। यह समझौता चीन की क्षेत्र में बढ़ती प्रभावशीलता को संतुलित रखने के तहत किया जा रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सप्ताह आयोजित सालाना सम्मेलन में शरीक होने के लिए जापान के दौरे पर जायेंगे। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी अपने जापानी समकक्षी शिंजो अबे से मुलाकात कर सैन्य समझौते को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर देंगे। उम्मीद है कि इस बैठक के दौरान दोनों राष्ट्रों के प्रमुख इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दे।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और शिंजो अबे के कार्यकाल के दौरान भारत और जापान के बीच नजदीकियां बढ़ी है। दोनों राष्ट्र हर साल त्रिस्तरीय सैन्य अभ्यास का आयोजन करते हैं। साथ ही अमेरिका के साथ मिलकर जापान और भारत हिन्द महासागर और पैसिफिक में साझा अभ्यास करते हैं।
भारत में नियुक्त जापानी राजदूत ने कहा कि दोनों राष्ट्रों की सेनाओं के लिए लोजिस्टिक समझौता एकसमान होगा। दोनों राष्ट्र प्रत्येक वर्ष कई बार युद्धाभ्यास करते हैं। उन्होंने कहा इस समझौते पर दस्तखत कर दोनों देश अधिकारिक बातचीत की दिशा में बढ़ेंगे।
इस पैक्ट के तहत जापानी जहाजों को अंडमान और निकोबार सहित कई भारतीय बेस में ईंधन की पूर्ती और मरम्मत की इज़ाज़त होगी। हिन्द महासागर में चीनी गतिविधियों पर रोकथाम के लिए भारतीय नौसेना ने भी जहाजों को भेजा है।
पीएम मोदी की सरकार ने साल 2016 में चीन की नाराज़गी के डर से काफी हिचकिचाहट के बाद अमेरिका के साथ सैन्य समझौते पर दस्तखत किये थे। चीन बहुपक्षीय सैन्याभ्यास के विरुद्ध रहा है उसके मुताबिक ऐसे अभ्यास क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती देता है।
भारत अगले वर्ष तक रूस, जापान और अमेरिका के साथ त्रिस्तरीय सैन्याभ्यास का आयोजन करेगा।