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    निकोलस मादुरो

    संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के बाद चिली ने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के तानाशाही शासन से जुड़े 100 से अधिक वेनेजुएला के निवासियों को प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसका ऐलान राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा ने शुक्रवार को किया था। उन्होंने सैंटियागो में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि “हम 100 से अधिक लोगों के चिली में प्रवेश पर रोक लगाने जा रहे हैं, जो वेनेजुएला की तानाशाही से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।”

    उन्होंने वेनेजुएला के वासियों  वर्जितों की सूची में शामिल नहीं किया लेकिन कहा कि यह वे लोग हैं जो वेनेजुएला सरकार का हिस्सा हैं।” पिनरा का ऐलान संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के तहत किया गया है। जिसमे कहा गया है कि “वेनेजुएला की सुरक्षा सैनिको ने पिछले 18 महीनों में लगभग 7,000 लोगों की हत्या की है।”

    संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मानवाधिकार मिशेल बेचेलेट के कार्यालय ने गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि “सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर की गई अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की घटनाएं हैरतअंगेज़ है।” पिनेरा ने कहा कि “वह बैचलेट से आग्रह करेंगे कि वह सभी पृष्ठभूमि और साक्ष्य को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय में प्रस्तुत करने का समर्थन करे।”

    एक अरबपति रूढ़िवादी पिनेरा, मादुरो की समाजवादी सरकार के सबसे मुखर आलोचकों में शुमार है। जो तानाशाही के अंत का और देश में जल्द से जल्द चुनावो के आयोजन की मांग करते हैं। जनवरी में विपक्षी नेता जुआन गुइदो को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित के तौर पर मान्यता देने पिनारो पहले अंतर्राष्ट्रीय नेताओं में से एक थे।

    रिपोर्ट के मुताबिक, वेनेजुएला में अन्य व्यापक स्तर पर मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो और विपक्षी नेता जुआन गुइदो के बीच राजनीतिक संघर्ष जारी है।

    आर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वर्ष तक वेनेजुएला से लोगो के पलायन की संख्या 80 लाख तक पंहुच जाएगा और यह प्रवासी संकट विश्व का सबसे बड़ा संकट बन जायेगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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