ईरान ने चाहबार बंदरगाह का विकास के लिए आधिकारिक नियंत्रण की कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को सौंप दिया था। कंपनी ने सोमवार को चाहबार पर अपना दफ्तर शुरू कर दिया और चाहबार में स्थित शाहीद बहेस्ती बंदरगाह का नियंत्रण भी ले लिया है। सालों की इस मशक्कत के बाद भारत इस बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस के भागों में पंहुच सकेगा।
भारत की यूरेशिया से कनेक्टिविटी के लिए ईरान एक महत्वपूर्ण भाग है और यही कारण है कि भारत ने अमेरिका के फरमान को निभाने के लिए जरा भी उत्सुक नहीं था। भारत ने ईरान से तेल निर्यात करने की रियायत अमेरिका से मांगी थी और साथ ही प्रतिबंधों से चाहबार बंदरगाह को भी मुक्त रखा था। भारत ईरान पर अपनी रणनीति में बदलाव करने के मूड में जरा भी नहीं है।
भारत और रूस को सबसे कम समय में जोड़ने वाले आईएनएसटीसी में ईरान एक महत्वपूर्व पड़ाव है। कजाखस्तान ने गुजरात को ईरान के माध्यम से जोड़ने की योजना बनायीं है और रूस ईरान से होते हुए भारत व ओमान को जोड़ते हुए एक कनेक्टिविटी गलियारे का निर्माण करना चाहता है।
भारत की इंडो पैसिफिक रणनीति में भी ईरान एक जरुरी भाग है, जो हिन्द महासागर क्षेत्र को यूरेशिया से जोड़ेगा। चाहबार एससीओ (संघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन) में भारत की सदस्यता के लिए जरुरी है और भारत के कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों का स्तंभ है। चाहबार बंदरगाह में भारत के प्रयासों की सराहना करने की ओर यूरोपीय देश और जापान अग्रसर है।
अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों से मुक्त करते हुए ईरान से तेल खरीदने की अनुमति दी थी। चाहबार बंदरगाह में नई दिल्ली की अहम भूमिका को देखते हुए अमेरिका ने इसे प्रतिबंधों से मुक्त रखा था, साथ ही ईरानी तटीय शहर से अफगान सीमा तक रेलवे लाइन के निर्माण को भी प्रतिबंधों से अलग रखा था।
ट्रम्प प्रशसन की तरफ से आज़ादी मिलने के बाद मोदी सरकार ने चाहबार बंदार के विकास कार्य को जारी रखा। जानकार व्यक्तियों ने कहा कि यह बंदरगाह यूरेशिया तक पहुँचने का द्वार है और इससे चारो तरफ से घिरे अफगानिस्तान तक पहुंचना भी आसान हो जायेगा।
भारतीय अधिकारीयों ने एक तरफ अमेरिका से इस मसले पर काफी चर्चा की, वाही दूसरी ओर अफगानिस्तान और ईरान के साथ बंदरगाह पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए बातचीत करते हैं। पाकिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह से चाहबार ज्यादा अधिक दूरी पर स्थित नहीं है। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास चीन कर रहा है।
भारत ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की फरवरी यात्रा के दौरान बंदरगाह को “शोर्ट टर्म लीज” समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, ताकि बंदरगाह के इस अभियान की शुरुआत की जा सके। नई दिल्ली ने चाहबार बंदरगाह के काम्प्लेक्स के लिए 50 करोड़ डॉलर की राशि देने का वादा किया था, इसके आलावा 23 करोड़ 50 लाख डॉलर बंदरगाह के विस्तार के लिए देने हैं।
भारत चाहबर और ईरान के ज़ाहेदान को जोड़ते हुए 500 किलोमीटर की रेल लाइन का निर्माण करेगा, जो अफगानिस्तान के ज़रांज तक जायेगी। चाहबार बंदरगाह के निर्माण के बाद भारत, अफगानिस्तान, ईरान और अन्य देशों के लिए यह आर्थिक वृद्धि का कार्य करेगा।
चाहबार बंदरगाह की क्षमता का प्रचार और लोकप्रिय बनाने के लिए 26 फ़रवरी 2019 को एक समारोह के आयोजन का निर्णय लिया है। इस डील के तहत, इमबोर्ट-एक्सपोर्ट बैंक ऑफ़ इंडिया ने ईरान को 15 करोड़ डॉलर दिए थे और जरूरती उपकरणों को मुहैया करने के लिए 85 मिलियन डॉलर दिए थे। चाबहार पोर्ट का विकास दो भागों में किया जायेगा।
ख़बरों के मुताबिक भारत और ईरान एक अन्य डील करने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के देश से आयातित 80 से 100 उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क को कम कर देंगे।