भारत, ईरान और अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी तेहरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के सिलसिले में बातचीत करने के लिए मुलाकात करेंगे। पश्चिमी एशियाई देश पर अमरीकी प्रतिबंधो के बावजूद भारत इस परियोजना को अंजाम तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारतीय विदेश विभाग ने बताया कि सर्वप्रथम भारतीय प्रतिनिधि समूह चाबहार बंदरगाह के सामंजस्य परिषद् के अध्यक्ष टीएस त्रिमूर्ति से मुलाकात करेंगे। तीनों राष्ट्रों के मध्य त्रिपक्षीय समझौते के बाबत बातचीत होगी। चाबहार बंदरगाह में अंतर्राष्ट्रीय यातायात के आवाजाही के संचालन के विषय पर वार्ता होगी।
विदेश विभाग ने कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह पर बातचीत के लिए एक कमिटी का गठन किया गया है जो दो माह तक के भीतर चाबहार पर पहली बैठक को समाप्त कर देगी। इस बैठक के दौरान त्रिपक्षीय समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए विचार विमर्श किया जायेगा।
एक अधिकारी ने बताया कि भारत अपनी प्रतिबद्धता को निभाने को तत्पर है। अमेरिकी प्रतिबन्ध के बावजूद भारत ने ईरान से तेल खरीदना जारी रखा है। क्या भारत अमेरिका के प्रतिबंधो को नज़रंदाज़ कर डोनाल्ड ट्रम्प को चुनौती दे रहा है ?
अमेरिका ने साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था। अमेरिका ने आरोप लगाए कि ईरान संधि का उल्लंघन कर परमाणु हथियारों के मंसूबे को अंजाम दे रहा है। अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध थोप दिए थे। भारत ने ईरान में नियुक्त अमेरिकी अधिकारी से चाबहार में निवेश के बाबत बातचीत की थी।
साल 2003 में भारत ने पहली बार चाबहार बंदरगाह का विकास का प्रस्ताव अफगानिस्तान के बाज़ार तक पंहुचने के लिए रखा था। चीन द्वारा निर्मित पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह चाबहार से लगभग 100 नॉटिकल मील की दूरी पर है। फ़रवरी में ईरान और भारत ने चाबहार के समझौते पर दस्तखत कर नई दिल्ली को विकास निर्माण करने के लिए किराये पर दिया था।
इस समझौते के मुताबिक भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड चाबहार बन्दरगाह का पूर्ण संचालन करेगी और 18 महीनों तक समय-समय पर संचालन करेगी। भारत इंतज़ार कर रहा है कि ईरान संचालन के लिए शाहिद बहेश्ती बंदरगाह को उन्हें सौंप दे।
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