Wed. Dec 4th, 2024
    सिद्धार्थनाथ सिंह

    गोरखपुर में हुए भयावह हादसे से उत्तर प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई है। आज सुबह से ही विपक्ष द्वात्र जारी हमलों के बीच योगी सरकार के 2 मंत्रियों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर का दौरा किया। इनमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन शामिल थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हे अस्पताल का दौरा कर अपनी रिपोर्ट देने को कहा था। दौरे के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निरीक्षण के दौरान अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिण्डरों की कमी का जिक्र नहीं किया गया था। बता दें कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान पिछले 6 दिनों में 63 बच्चों की मौत हो गई है। अस्पताल में हुई ऑक्सीजन की कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है जबकि सरकार और अस्पताल प्रशासन इस बात से पल्ला झाड़ रहे हैं।

    गोरखपुर मेडिकल कॉलेज

     

    ख़बरों के अनुसार अस्पताल को ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई करने वाली फर्म का 69 लाख रूपये का बकाया था। बकाये का भुगतान न होने पर फर्म ने ऑक्सीजन सिलिंडर की सप्लाई गुरूवार से रोक दी थी। कहा जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में कोताही बरती और ऑक्सीजन की कमी ही इन बच्चों की मौत का कारण बनी। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान ऐसी किसी भी समस्या जिक्र नहीं किया गया था। बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं बल्कि अन्य चिकित्सीय कारणों से हुई है। इस घटना के बाद देश भर में योगी सरकार की आलोचना हो रही है और इसके लिए प्रदेश सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा देने को कहा है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर आज सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने अस्पताल जाकर मौजूदा हालातों का जायजा लिया। दौरे के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में हुई मौतों की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं है बल्कि इसके अन्य चिकित्सीय कारण है। हर साल अगस्त के महीने में यहाँ मौतें होती है। 2014 में भी अगस्त महीने में हुई कुल मौतों की संख्या 567 थी। आसपास के जिलों, बिहार और नेपाल से भी मरीज यहाँ गंभीर हालत में आते हैं जिन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिण्डरों की कोई कमी नहीं थी। कल शाम अचानक इमरजेंसी सायरन बजना शुरू हुआ जिसके तुरन्त बाद सप्लाई पुनः बहाल कर ली गई थी। प्राथमिक तौर पर यह लापरवाही का मामला प्रतीत होता है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जाँच के लिए जाँच कमेटी का गठन किया गया है। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्रियों की बातों और स्पष्टीकरण से एक बात स्पष्ट हो गई कि सरकार इस मामले में खुद के ऊपर हो रहे दोषारोपण से बचना चाहती है।

    योगी सरकार के मंत्रियों के इस बयान के बात मालदा के अस्पताल में हुई नवजातों की मौत के बात ममता बनर्जी के बयान की याद आ गई जब उन्होंने विवाद से पल्ला झड़ने के लिए कहा था कि गंभीर हालत में यहाँ मरीजों को भर्ती कराया जाता है। ऐसे में उनके बचने की उम्मीद बहुत कम होती है। उन्होंने पिछले कई सालों के आंकड़ें पेश कर मामले की लीपा-पोती करने की कोशिश की थी। योगी सरकार के मंत्रियों ने भी हादसे की जिम्मेदारी से सरकार को मुक्त रखते हुए मामले को दबाने के लिए उलझाने वाले आंकड़ें पेश किये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस हादसे पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से तत्काल मेडिकल कॉलेज का दौरा करने को कहा है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।