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    गंगा नदी के बारे में जानकारी ganga river in hindi

    वाराणसी शहर में स्थित संकट मोचन फाउंडेशन द्वारा एकत्र किये गए डाटा के अनुसार पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने पर यह पता चला की कोलीफॉर्म बैक्टीरिया और जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग (बीओडी) में तेज वृद्धि हुई है।

    ‘नमामि गंगे’ हुआ विफल :

    namami gange

    नरेन्द्र मोदी द्वारा लांच की गयी यह योजना नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के तहत शुरू की गयी थी। इस योजना के अंतर्गत गंगा नदी को साफ़ सुथरा रखने के लिए करीब 452.24 करोड़ रूपए गंगा में बहाए जा रहे दूषित पानी को रोकने के लिए खर्च किये जायेंगे।

    इससे करीब 670 मिलियन लीटर गन्दा पानी गंगा में जाने से बचेगा। इसके साथ ही नए घाटों, सैर, सामुदायिक-सांस्कृतिक केंद्र आदि के निर्माण में पटना रिवरफ्रंट को बेहतर बनाने के लिए 243.27 रुपये निर्धारित किए गए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2015 में परियोजना शुरू करने पर गंगा की निर्मलता (स्वच्छता) पर परिणाम प्राप्त करने के लिए एक महत्वाकांक्षी 2019 की समय सीमा निर्धारित की थी।

    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल यह समय सीमा मार्च 2020 तक बढ़ा दी थी। लेकिन अब जब फाउंडेशन द्वारा जल गुणवत्ता की जांच की गयी तो पता चला की साफ़ होने के बजाय जल और गन्दा हो गया है।

    संकटमोचन की रिपोर्ट का विस्तार :

    संकटमोचन द्वारा किये गए शोध के बाद जो रिपोर्ट पेश की गयी उसमे नमामि गंगे के परिणाम बताये गए हैं और बताया गया है की इतना खर्चा होने पर भी यह सफल नहीं हो पाया है। यहां तुलसी घाट पर एसएमएफ की गंगा प्रयोगशाला द्वारा एकत्र किए गए डेटा ने उच्च जीवाणु प्रदूषण के कारण गंगा के जल की गुणवत्ता को बत्तर बताया है।

    पानी में कोलिफोर्म की मात्रा खतरनाक स्तर पर :

    रिपोर्ट में गुणवत्ता के बिगड़ने का मुख्य कारण पानी में कॉलिफोर्म का होना बताया गया है। यह वर्णन किया गया है की पानी में कॉलिफोर्म की तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और यह अब खतरनाक स्तर पर पहुँच चूका है। यह अक्सर जीवाश्मों के मृत्त शरीर में पाया जाता है जोकि दर्शाता है की पानी की खराब गुणवत्ता के चलते पानी में रहने वाले जानवरों की मृत्यु भी हो रही है।

    कॉलिफोर्म के पानी में अधिक मात्र में होने से मनुष्यों के स्वास्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण वैज्ञानिक और बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर बी डी त्रिपाठी ने बताया की कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की प्रजाति मल प्रदूषण और रोग पैदा करने वाले रोगजनकों की संभावित उपस्थिति का सबसे अच्छा संकेतक है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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