विषय-सूचि
क्षुद्रग्रह की परिभाषा (asteroids definition in hindi)
क्षुद्रग्रह छोटे आकार के ग्रह हैं जो हमारे सौर मंडल के आतंरिक हिस्सों में पाए जाते हैं। ये सूर्य के चक्कर लगते हुए पाए जाते हैं। इनका आकार सामान्य ग्रहों के मुकाबले बहुत छोटा होता है और ये ग्रहों के परिभाषा को ठीक तरह से उचित साबित नहीं करते, जिस कारण इन्हें क्षुदग्रह नाम दिया गया। कई मिलियन क्षुदग्रह सौर मंडल में विराजमान हैं। इनका आकार कई मीलों तक या फिर कुछ फिट तक का होता है।
भले ही क्षुदग्रह आकार में इतने छोटे होते हैं, तब भी वे बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं। अतीत काल से ही कई क्षुदग्रह हमारी धरती से टकराते आये हैं जिसके कारण कई अप्रिय घटनाएं हुई हैं। ऐसी सम्भावना है कि भविष्य में भी कई छोटे-बड़े क्षुदग्रह धरती से टकराते रहेंगे ।
अपने परिक्रमा पथ एवं भौतिक विशेषताओं के कारण ये वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बने हुए रहते हैं।
क्षुद्रग्रह का निर्माण किस प्रकार होता है? (How are asteroids formed in hindi)
आज से 5 बिलियन वर्ष पूर्व जब हमारे सौर मंडल का निर्माण हो रहा था, तो उसमें से जो कुछ कण बच गए वे क्षुदग्रह कहलाये। बृहस्पति या ज्यूपिटर सबसे बड़ा ग्रह है।
जब यह बन रहा था तब इसके बड़े आकार के कारण कुछ कण ग्रह नहीं बन पाए और आज उसके टुकड़े करोड़ों कि संख्या में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच चक्कर लगा रहा है।
क्षुद्रग्रह की भौतिक विशेषताएं (Physical Characteristics of Asteroids in hindi)
सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह जिसे सिरस नाम दिया गया है, उसका आकार 940 किलोमीटर लम्बा है। दूसरी तरफ अब तक का जो सबसे छोटा क्षुदग्रह है वह सिर्फ 6 फुट लम्बा है, उसे नाम दिया गया है। यह अक्टूबर 2015 में धरती के पास से गुजरा था।
क्षुदग्रह को उन उल्का पिंडों की श्रेणी में भी रखा जाता है जो हमारे वायुमंडल में प्रवेश नहीं क्र पाते एवं धरती के सतह तक नहीं पहुँच पाते।
ज्यादातर क्षुदग्रह अनियमित आकार के होते हैं। लेकिन कुछ जैसे कि सिरस गोल आकार के हैं। इनके सतह पर छोटे बड़े गड्ढे पाए जाते हैं। वेस्टा नाम के क्षुदग्रह पर लगभग 450 किलोमीटर लम्बा गड्ढा है। ऐसा माना जाता है कि इनका सतह पूरी तरह से धूल से ढका हुआ है।
क्षुदग्रह सूर्य के चरों ओर एक अंडाकार कक्षा में परिक्रमा करते हैं। कभी कभी वे परिक्रमा करते हैं और कभी कभी असामान्य तरीके से एक दूसरे से टकराते रहते हैं। करीब 150 क्षुदग्रहों के अपने चन्द्रमा भी हैं और इनमें से कई के दो दो चन्द्रमा हैं।
बाइनरी या डबल क्षुदग्रह भी पाए जाते हैं जिनका आकार एक दूसरे के लगभग बराबर होता है और वे एक दूसरे कि परिक्रमा भी करते हैं। कई क्षुदग्रह दूसरे ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल के पकड़ में आके उस ग्रह कि परिक्रमा करने लग जाते हैं। कई बार वे उन ग्रहों के चन्द्रमा का रूप भी ले लेते हैं जैसे कि मंगल ग्रह के चन्द्रमा फोबोस एवं डीमोस। बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्तुने इत्यादि ग्रहों के चन्द्रमा भी कुछ इसी प्रकार बने हुए हैं।
इन क्षुदग्रहों का औसत तापमान माइनस सौ डिग्री फ़ारेनहाइट तक रहता है। कई करोड़ों सैलून से क्षुदग्रहों की भौतिक स्थिति ठीक उसी प्रकार से बनी हुई है जो उनके बनते वक्त थी, इस कारण वैज्ञानिक सौर मंडल के शुरुआत के स्थिति के बारे में शोध कर पा रहे हैं।
कुछ क्षुदग्रह पूरी तरह से ठोस स्थति में होते हैं तो कुछ गैस एवं धूल का मिश्रण होते हैं। इनमें से कुछ के शनि ग्रह की तरह रिंग नहीं होते हैं। इनमें से कुछ हमारी धरती के लिए खतरनाक हो सकते हैं जबकि कुछ छू के निकल जाते हैं।
आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।
Kya asteroids kabhi earth ke takra sakte Hain?
haan aisa sambhav hai.
aise kon kon se factors hain jo chhudragraha ko asli graha se alag banaate hain? kyaa ye size mein chhote hote hain?
Kya asteroids sphere ke alwa bhi kiss shape ke ho sakte Hain? Ye kon kon so shape ke hote Hain?