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    cancer in hindi

    कैंसर इंसानों में पाए जाने वाले सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। पूरे संसार भर में बीमारी  से होने वाले मौतों में कैंसर सबसे प्रमुख है। भारत में हर साल लगभग एक मिलियन लोगों को कैंसर होता है और इनमे से कइयों की जान चली जाती है। कैंसर कैसे होता है, कैंसर जनित कोशिकाएं कैसे पनपते हैं, इलाज एवं उपाय – बायोलॉजी एवं चिकित्सा दोनों ही विभागों में इन बातों को लेकर काफी शोध चल रहा है।

    हमारे शरीर में कोशिकाओं का बढ़ना एवं विभिन्नता नियंत्रित एवं नियमित रूप से चलता रहता है। जब कैंसर की कोशिकायें बनने लगते हैं, तब इन नियमों का पालन नहीं होता। मामूली कोशिकायें एक प्रकार की प्रक्रिया का पालन करते हैं, जिसे संपर्क निषेध (Contact Inhibition) कहा जाता है।

    इससे दूसरे कोशिकाओं से संपर्क में होने के कारण इनका अनियंत्रित बढ़त रुका रहता है। कैंसर की जो कोशिकाएं होती हैं वह इस संपर्क निषेध की प्रक्रिया को खो चुकी होती हैं। इसके कारण यह कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं एवं विभाजित होते जाते हैं जिसके बाद वह ट्यूमर का रूप ले लेते हैं।

    ट्यूमर के प्रकार (Types of Tumour)

    • सौम्य ट्यूमर (Benign Tumour):- इस प्रकार का ट्यूमर अपनी जगह पर बना रहता है। यह दूसरे कोशिकाओं और अंगों तक नहीं फैलता और शरीर को कम हानि पहुंचता है।
    • मलिग्नैंट ट्यूमर (Malignant Tumour):-  इस प्रकार का ट्यूमर अपने आप से प्रसारित होने वाले कोशिकाओं का समूह जिसको नेओप्लास्टिक या ट्यूमर कोशिकाएं भी कहते हैं। यह कोशिकाएं बहुत जल्दी जल्दी बढ़ते हैं और आसपास के कोशिकाओं एवं ऊतकों में पहुंचकर उनको तबाह करने लग जाते हैं।

    कैंसर के कोशिकाएं जैसे जैसे बढ़ते हैं एवं विभाजित होते हैं, वह दूसरे कोशिकाओं के पोषक तत्व हर लेते हैं। यह कोशिकाएं खून के मध्यम से दूर दराज़ के अंगों तक पहुँच जाते हैं एवं उसको नुकसान पहुँचाना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार दूसरे अंगों में भी ट्यूमर पनपना चालू हो जाता है। इस प्रक्रिया को मेटास्टेटिस कहा जाता है और यह मलिग्नैंट ट्यूमर के सबसे भयानक प्रभावों में से एक है।

    कैंसर के कारक (Causes of Cancer)

    एक प्रकार के जैविक अंश केमिकल और शरीरिक प्रक्रियाओं के द्वारा साधारण कोशिकाओं को कैंसर जड़ित नेओप्लास्टिक कोशिकाओं में बदलने का काम करते हैं, जिनको carcinogens कहा जाता है। आयनित विकिरण (ionising radiation) जैसे कि X-ray एवं गैर आयनित विकिरण जैसे कि पराबैंगनी किरणें डीएनए को नष्ट करने का काम करती हैं जिससे कोशिकाओं में नेओप्लास्टिक परिवर्तन होता है एवं कैंसर को पनपने का मौका मिल जाता है। तम्बाकू धुआं में पाया जाने वाला carcinogen केमिकल फेफड़ों के कैंसर का सबसे प्रमुख कारण है।

    जिन विषाणुओं के कारण कैंसर होता है, उनको oncogenic विषाणु कहा जाता है जिनके अंदर वायरल oncogene नामक जीन रहता है। इसके अलावा नियमित कोशिकाओं में cellular oncogene या proto oncogene पाया जाता है जिनको अगर विशिष्ट परिस्थितियों में अगर सक्रिय कर दिया गया तो oncogenic बदलाव के कारण कैंसर का रूप ले सकते हैं।

    गले, फेफड़ा, पेट, चमड़ा oesophagus, आंत, मूत्राशय आदि के कैंसर ऐसे हैं जो पुरुष एवं महिलाओं दोनों को हो सकते हैं। स्तन और गर्भाशय के कैंसर महिलाओं में काफी देखे जाते हैं। प्रोस्टेट एवं वृषण (testicular) कैंसर पुरुषों में देखे जाते हैं।

    कैंसर की पहचान एवं निदान (Detection & Diagnosis of Cancer)

    • कैंसर को जल्द से जल्द पहचान लेना जरुरी है क्योंकि जितना जल्दी इसका पता चलेगा उतना ही जल्दी इलाज शुरू हो सकेगा।
    • कैंसर की पहचान बायोप्सी एवं ऊतकों (tissues) व खून के हिस्टोपैथोलॉजिकल अध्ययन के आधार पर की जाती है। leukemia के मामले खून एवं अस्थि मज्जा (bone marrow) में कोशिकाओं की संख्या कितनी बढ़ गई है – इस बात की जाँच की जाती है।
    • बायोप्सी में जीन ऊतकों के कैंसर से संक्रमित होने का शक रहता है, वह पतले भागों में  काट कर निकाल लिया जाता है, फिर एक पैथोलोजिस्ट द्वारा उसकी सूक्ष्मदर्शी यंत्र से (हिस्टोपैथोलॉजिकल अध्ययन) जाँच की जाती है।
    • कुछ तकनिकी जैसे कि रेडिओग्राफी (X-ray का उपयोग कर के), MRI, CT (computed tomography) आदि के द्वारा आंतरिक अंगों के कैंसर को पता लगाने में काफी सहायता मिलती है। CT में X-ray के द्वारा अंगों के आंतरिक भाग के आधार पर तीन आयामी मॉडल तैयार किए जाते हैं। MRI में मजबूत चुम्बकीय शक्तियों और गैर आयनित विकिरण के आधार पर जीवित ऊतकों में हो रहे शारीरिक और रोग से सम्बंधित बदलावों का सही सही अनुमान लगाया जाता है।
    • किसी कैंसर के antigen के विपरीत antibody का उपयोग करके भी कुछ कैंसर के प्रकार का पता लगाया जा सकता  है।
    • आणविक (molecular) जीव विज्ञान के कुछ सिद्धांतों के द्वारा किसी व्यक्ति में उन जीण की पहचान की जाती है जिसमे उसे कैंसर के जीण विरासत में मिले हों। इन जीण की पहचान कर इनको ख़त्म किया जाता है, जिससे बाद में कैंसर से बचा जा सकता है। ऐसे लोगों को कुछ carcinogen से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि कैंसर पनपने की संभावना न बने, जैसे कि अगर उनका सामना तम्बाकू के धुएं से हो रहा है तो उनको कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

    कैंसर का इलाज (Treatment of Cancer)

    शैल्य चिकित्सा, विकिरण थेरेपी (radiation therapy) एवं immunotherapy – ये तीन कैंसर के सबसे प्रमुख इलाज हैं। विकिरण थेरेपी के अंतर्गत ट्यूमर के कोशिकाओं को तेज एवं शक्तिशाली किरणों के द्वारा नष्ट किया जाता है। इसमें ध्यान रखा जाता है कि ट्यूमर समूह के आसपास के ऊतकों को कतई भी नुकसान न पहुंचे। कई केमोथेरपिक दवाइयों के द्वारा भी कैंसर के कोशिकाओं को मारा जाता है। यह सभी दवाई एक विशिष्ट प्रकार के ट्यूमर को नष्ट करने के लिए बने होते हैं। बालों का झड़ना, अनीमिया, आदि इसके दुष्प्रभाव हैं।

    ज्यादातर कैंसर प्रकारों के मामले में शल्य चिकित्सा, विकिरण थेरेपी एवं कीमोथेरेपी को मिलकर इलाज किया जाता है। शरीर का प्रतिरक्षा प्रणाली (immune System)  कैंसर की कोशिकाओं को पहचान नहीं पता और न ही उनको नष्ट कर पता है। अतः रोगियों को ऐसी दवाइयां जिनको biological response modifier कहा जाता है, दी जाती है जिससे उनके बीमारी से लड़ने की क्षमता बनी रहे और शरीर के ट्यूमर को ख़त्म करने में सहायता मिले।

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