कल कुम्भ मेला के त्रिवेणी संगम में पहला शाही स्नान हुआ और इस मौके पर सभी श्रद्धालु और ख़ास तौर पर साधुओं की पोशाकों से इस उत्सव में भगवा ही भगवा रंग देखा गया था।
‘हर हर महादेव’ का उच्चारण करते करोड़ो भक्त, राख में लिपटे साधुओं के साथ झूमते और आस्था में मग्न होते नज़र आये। 13 अखारो से साधु आये थे जिसमे साध्वी और नागा साधु भी मौजूद थे।
साधुओं की लम्बी जटाये और उनकी भक्ति को देख, पहली बार कुम्भ आने वाले पार्थ हुंदीवाले अपना करियर बदलने की भी सोचने लगे। उन्होंने कहा-“मैं अपने बाल बढ़ा सकता हूँ, पूरे शरीर पर सफ़ेद राख लगा सकता हूँ और धार्मिक स्थलों पर जा सकता हूँ। वे लोग हीरो की तरह दिखते हैं।”
आकड़ो की बात करते हुए, कुम्भ के एडीएम दिलीप कुमार त्रिपुरायण ने कहा-“मंगलवार के सुबह के 3 बजे से शाम के 6 बजे तक, करीबन 1.36 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई।”
डुबकी लगाने वालों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी मौजूद थी। कुम्भ के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया-“ईरानी ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में मेले में भाग लिया। हमने कोई विशेष प्रोटोकॉल नहीं दिया। वह उस घाट पर नहीं गयी जहाँ शाही स्नान हुआ था।”
साधुओं के जुलूस में और चार चाँद लगाने पहुंचे किन्नर अखाड़ा जिसका नेतृत्व ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किया। पहली बार किन्नर अखाड़ा ने शाही स्नान का लुत्फ़ उठाया।
वह ट्रैक्टर से चलने वाले रथ पर धूमधाम से पहुंची थी। स्नान करने के घंटों बाद उन्होंने बताया-“यह पहली बार है कि जूना अखाड़ा, जिसे वैदिक सनातन धर्म के सबसे कठोर और रूढ़िवादी संरक्षक में से एक माना जाता है, ने हमें स्वीकार किया है। रविवार को हमने जूना अखाड़ा से एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं-हमने स्वीकार किया कि किन्नरों को भी अपने अखाड़े की जरुरत है। हम एक अलग समूह के तौर पर इसमें भाग ले रहे हैं, किसी अन्य अखाड़े के हिस्से के तौर पर नहीं। मैं इतिहास में खोई अपनी जगह को पुनः प्राप्त कर रही हूँ।”
अखाड़े के बहार, ममता शर्मा जिन्होंने त्रिपाठी के साथ डुबकी लगाई, उन्होंने कहा-“हमें हर अखाड़े पर काफी सम्मान मिला। मुझे असाधारण लगा, यह स्वीकृति है, अब हम केवल नौकरियां चाहते हैं। यदि धार्मिक प्रमुख हमें स्वीकार कर सकते हैं, तो मुख्यधारा के लोग क्यों नहीं कर सकते।”