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कुंभ मेला से बनेगा 1.2 लाख करोड़ राजस्व और 600,000 नौकरियां: CII रिपोर्ट

प्रयागराज अर्ध कुम्भ 2019 जोकि विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक सम्मलेन होता है, ने हाल ही में गिनीज़ बुक में कुछ वर्ल्ड रिकार्ड्स अपने नाम पर दर्ज किये हैं जिसमे सबसे बड़ी यातायात और भीड़ प्रबंधन योजना; पेंट माई सिटी योजना के तहत सार्वजनिक स्थलों की सबसे बड़ी पेंटिंग और; सबसे बड़ी स्वच्छता और अपशिष्ट निपटान तंत्र आदि शामिल हैं।

पूरी जानकारी :

kumbh mela 2019

इस रिकॉर्ड की गणना करने के लिए गिनीज़ ब्बॉक की संस्था से तीन सदस्ययी टीम का गठन किया गया था जोकि कुम्भ मेले में शामिल होने वाले लगों की संख्या की गणना करने वाले थे। इस टीम के द्वारा 28 फरवरी से 3 मार्च तक के समय में मेले में शामिल होने वाले लोगों की गणना की जानी थी।

सबसे बड़ी स्वच्छता निस्पतन तंत्र के अंतर्गत कुल 10000 स्वच्छता कार्यकर्ता एक साथ तीन मिनट के लिए जुड़े और इन्होने आज तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया। उत्तर प्रदेश के स्वास्थमंत्री भी इस मौके पर लोगों के साथ जुसे और स्वच्छता कर्चारियों को असली नायक बताया। उन्होंने बयान दिया “पिछले महीनों में देश विदेश से करोड़ों लोग यहाँ इकठ्ठा हुए हैं और यह सफाई कर्मचारियों द्वारा अपना काम भली भाँती करने से वे पूरी तरह संतुष्ट और प्रभावित हुए हैं।”

इस अर्ध कुम्भ मेले में कुल पांच शाही स्नान संपन्न हुए हैं जब गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में करोड़ों लोगों ने दुबकी लगाईं है। इन में से केवल एक स्नान आज बाख गया है जोकि जल्द ही पूरा होने जा रहा है।

कुम्भ के बारे में जानकारी :

kumbh mela 2019

कुम्भ मेला हिन्दू की पौराणिक कथाओं पर आधारित है। यह पूरी दुनिया में सबसे बड़ी सार्वजनिक सभा और सामूहिक कार्य है। अर्द्ध कुंभ हर छह साल में आयोजित किया जाता है, जबकि कुंभ मेला 12 साल बाद आता है। इसका आयोजन गंगा के तट पर होता है। गंगा नदी को सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह भी माना जाता है की यदि कुम्भ के समय गंगा में स्नान किया जाए तो स्नान करने वाले के सारे पाप धुल जाते हैं। अतः हर साल करोड़ों की संख्या में लोग यहाँ पधारते हैं।

यह प्रयागराज में होता है जिसे पहले अलाहाबाद के नाम से जाना जाता था लेकिन योगी सरकार ने इसका नाम अब प्रयागराज रख दिया है। इस साल योगी सरकार ने अर्ध कुम्भ का नाम बदलकर कुम्भ कर दिया है कुम्भ को बदलकर महाकुम्भ कर दिया है।

By विकास सिंह

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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