Wed. Apr 24th, 2024

    तीन कृषि कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को छह माह हो गए। यह किसानों का अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन है। आंदोलन के छह माह होने परे किसान संगठनों के साथ भारतीय किसान यूनियन ने भी बुधवार को काला दिवस मनाया। किसान संगठनों ने अपील की थी कि कृषि कानूनों के विरोध में लोग बुधवार को अपने घरों, वाहनों, दुकानों पर काला झंडा लगाएं। किसान मोर्चा की ओर से किए गए इस आह्वान को कांग्रेस समेत 14 प्रमुख विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया था। लगभग 30 किसानों के संघ, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन भी करने का फैसला किया था, हालांकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि विरोध या रैली के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी और प्रदर्शनकारियों से कानून और व्यवस्था बनाए रखने और कोविड नियमों का पालन करने की अपील की थी।

    यूपी गेट पर किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे। इस मौके पर उन्होंने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी किसान धरना खत्म करके वापस नहीं जाएंगे। इससे पहले सरकार के साथ जो भी बातचीत हुई थी, यदि सरकार फिर से बातचीत करना चाहती है तो बातचीत वहीं से शुरू होगी जहां पर पहले खत्म हुई थी। नए सिरे से नई रूपरेखा के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। किसान इसके लिए नहीं मानेंगे।

    सरकार उन्हें कोरोना का सुपर स्प्रेडर कह रही है जबकि वो कोरोना के नियमों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की हितैषी नहीं है इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। उनके नेतृत्व में यूपी गेट पर कृषि कानून विरोधियों ने सरकार का पुतला फूंका और काले झंड़े लेकर धरना स्थल पर नारेबाजी करते हुए परिक्रमा भी की।

    बीते साल 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था। इस छह माह में आंदोलन के कई रंग देखने को मिले। इस बीच किसानों की सरकार से आठ दौर की वार्ता हुई जो सारी विफल रहीं। 29 जनवरी को जब राकेश टिकैत के रो जाने पर हजारों किसान फिर से यूपी गेट पर जुट गए थे तो बातचीत की उम्मीद जगी थी। इसके बाद गन्ना व गेहूं कटाई के चलते भीड़ घटती चली गई। फिर कोरोना के चलते तो संख्या हजार से भी नीचे चली गई। अब पांच किलोमीटर में फैले तंबुओं का दायरा काफी सिमट गया है। कोरोना के कारण आंदोलनस्थल के प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया गया है।

    भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार आंदोलन को खत्म कराना नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाकियू भाजपा का विरोध करेगी।

    भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार को किसानों, मजदूरों और नौजवानों ने बड़ी उम्मीद के साथ बनाया था, लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण आज किसान काला दिवस मनाने पर मजबूर है। अब किसान आगे भी अपनी लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ेगा, हरेक गांव का दिल्ली बॉर्डर पर कैंप लगाया जाएगा, जिसमें बॉर्डर पर प्रत्येक गांव की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *