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    Kiran Negi Case

    किरण नेगी केस (CHHAWLA GANG-RAPE & MURDER CASE): दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक लड़की “निर्भया (बदला हुआ नाम)” के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) की घटना हुई तो आक्रोश में पूरा भारत सड़कों पर उतर गया था।

    मामले की वीभत्सता ऐसी कि हर भारतीय शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन हुए; मीडिया ने भी प्राइम टाइम कवरेज दिये; जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार झुकी। मामले की निष्पक्ष जाँच हुई, फिर कोर्ट में लगातार जिरह हुए। 7 सालों कर बाद न्यायालय का आया, दोषियों को सजा-ए-मौत हुई।

    इसके साथ सरकार ने बलात्कार से संबंधित कानूनों में बदलाव करते हुए इसे और सख्त बनाया। निर्भया फंड की व्यवस्था की गई ताकि बलात्कर-पीड़ितों की आर्थिक व सामाजिक मदद हो सके। इन सब के बाद लगा कि शायद अब बलात्कर की घटनाओं पर अंकुश लगेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बल्कि रेप की घटनाएं अब ज्यादा सामने आने लगी और नए-नए रूप में नई-नई कहानियों का सहारा लेकर।

    निर्भया कांड और उसकी वीभत्सता की समझ हम सब के दिमाग मे है क्योंकि हम सब ने उस बहादुर बेटी पर कुछ दरिंदो के वहशीपन को मीडिया के सहारे न सिर्फ सुना था, बल्कि महसूस किया था। शायद यही वजह थी कि उसके दरिंदो को सही अंजाम तक पहुँचाया गया, और उस बेटी की आत्मा को न्याय मिली।

    उसी साल यानि 2012 में निर्भया कांड से कुछ ही महीने पहले फरवरी में उसी दिल्ली में एक और बेटी “किरण नेगी” के साथ निर्भया कांड की तरह ही जघन्य बलात्कर हुआ था।

    किरण नेगी गुड़गांव में नौकरी करती थी। एक शाम वह नौकरी के बाद जब अपनी सहेलियों के साथ दिल्ली स्थित अपने घर लौट रही थी, उसी दौरान रास्ते से ही कुछ दरिंदो ने लाल रंग की टाटा इंडिका कार में जबरन खींचकर बिठा लिया था। बाद में उसकी लाश हरियाणा के रेवाड़ी में क्षत विक्षत अवस्था मे एक खेत मे पड़ी मिली थी।

    यद्यपि मेरी नज़र में हर तरह का बलात्कर, “बलात्कर” होता है और कुछ भी कम या ज्यादा नहीं… लेकिन अगर जघन्यता और दरिंदगी की तुलना करें तो किरण नेगी के साथ जो हुआ था, वह निर्भया से भी ज्यादा राक्षसीपन था।

    सामाजिक कार्यकर्ता और बलात्कर पीड़िताओं के लिए लड़ाई लड़ने वाली योगिता भयाना, जो किरण नेगी मामले में भी पीड़िता के मातापिता के साथ खड़ी दिखाई देती हैं, ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस केस की वीभत्सता को साझा किया है। अगर थोड़ी भी मानवीयता आपके भीतर है, तो इसे पढ़कर आँखों को छोड़िये, आपकी आत्मा तक रो देगी।

    बहरहाल, निर्भया मामले के तरह ही किरण नेगी के मामले की भी पुलिस और मेडिकल जाँच हुई और आरोपियों को पकड़ा गया। मामला न्यायालय में गया तो सबसे पहले सेसन कोर्ट ने तमाम सबूतों और बहसों के आधार पर आरोपियों को दोषी पाया। फिर मामला हाई कोर्ट गया और वहां भी आरोपियों को दोषी पाया गया और दोषियों को फांसी की सजा मुकर्रर हुई।

    इसके बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में आरोपी पक्ष के तरफ से अपील की गई। यहाँ कुछ दिन तक मामला लंबित रहा । फिर सुनवाई हुई, बहसें चली लेकिन अंत मे बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने वो फैसला सुनाया जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी।

    जी हाँ, अब ये बात आपको हजम हो या न हो लेकिन देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने नीचे के सभी स्तरों के अदालतों के फैसलों को गलत साबित करते हुए आरोपियों को निर्दोष पाया है। अब यह एक ऐसा फैसला था कि जिससे न सिर्फ किरण नेगी के माता-पिता बल्कि हर कोई स्तब्ध है।

    देश की सर्वोच्च अदालत ने पुलिस जाँच में खामियां पाई, जिसे निचली अदालतों ने ध्यान नहीं दिया और फैसले सुना दिए। कई चश्मदीद गवाहों के बयानों का Cross Examination नहीं किया गया था। इसके साथ ही कई और भी कई ऐसी खामियां थीं जिनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया।

    यह सच है कि न्यायालय लोगो के भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि दलीलों और सबूतों के आधार पर फैसले देती है। यह भी सच है कि भारतीय न्याय व्यवस्था की नीति रही है कि भले ही 99 दोषी न्यायालय की नजरों से बच जाए लेकिन किसी एक निर्दोष को सजा नही मिलना चाहिए। लेकिन क्या इन सिद्धांतो के आगे उन तमाम सवालों को दबा दिए जाए जो इस फैसले के बाद उठने लगे हैं?

    क्या न्यायालय को पुलिसिया जाँच और सम्पूर्ण व्यवस्था से यह नहीं पूछना चाहिए कि माना कि जिन्हें आरोपी बनाया गया है, वह निर्दोष है तो फिर किरण नेगी का असली गुनाहगार कौन है? वह कैसे बच गया पुलिस की नजरों से ? अगर तमाम व्यवस्था -चाहे कार्यपालिक यो या न्यायपालिका- की नजरों से अपराधी बच जा रहे हैं तो इस देश की करोड़ो बेटियां खुद को।कैसे सुरक्षित महसूस करेंगी?

    सिक्के का दूसरा पहलू यह कि एक बार मान भी लें कि ये तीनों आरोपी असली गुनाहगार नहीं हैं तो फिर जेलों में बंद रहने के कारण इनके जीवन के जो 10 साल बर्बाद हुए हैं, उसकी भरपाई कैसे की जाएगी और कौन करेगा ?

    हालांकि पीड़ित परिवार के पास अभी कोर्ट में इस फैसले के मद्देनजर पुनर्विचार याचिका (Review Petition) का अधिकार है और उम्मीद है कि कोर्ट इसे जरूर पुनर्विचार योग्य समझेगी। क्योंकि यह मामला न सिर्फ एक किरण नेगी का है बल्कि देश की करोड़ो बेटियों की सुरक्षा का मामला है।

    बिलकिस बानो (Bilkis Bano Case) के गुनाहगारों को छोड़ने से लेकर उनके माला-फूल मके साथ समाज मे स्वागत होना, एक आरोपी को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देना और अब किरण नेगी के दोषियों के खिलाफ सेसन कोर्ट तथा हाईकोर्ट के द्वारा ढ़ी गयी फांसी की सजा को ख़ारिज करके बाइज्जत बर्री करने का निर्णय न सिर्फ कोर्ट की साख पर बट्टा है बल्कि महिलाओं के सुरक्षा से भी एक तरह का समझौता है।

    फिलहाल तो सूरत-ए-हाल यही है कि किरण नेगी के साथ गुनाह तो हुआ था, पर गुनाहगार कौन है, यह सवाल अंधेरे में है। कुछ साल पहले ऐसे ही किसी मामले पर बॉलीवुड की एक फिल्म आयी थी- No One Killed Jessica” ; तो क्या उसी तरह मान लिया जाए कि NO ONE RAPED & KILLED KIRAN NEGI” ?

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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