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    डॉलर बनाम भारतीय रुपया

    यूँ तो भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ उभरने वाली अर्थव्यस्था का दर्ज़ा दिया जाता रहा है, लेकिन बीते कुछ हफ्ते भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बिलकुल भी अनुकूल नहीं रहे हैं। चाहे वो डॉलर के मुक़ाबले कमज़ोर होता रुपया हो या देश में बढ़ते हुए पेट्रोल डीज़ल के दाम।

    इस साल के शुरुआत में रुपये में जो तेजी देखने को मिली थी, पिछले कुछ हफ्तों से वो लगातार कमजोर होती चली गयी और हालात ये बन गए हैं कि रुपया रोज़ ही अपने नए निम्नतम स्तर को छूने का रिकॉर्ड भी बनाता जा रहा है।

    आइए आज हम आपको बताते हैं कमजोर होता रुपया हमारी अर्थव्यवस्था को किस तरह प्रभावित करेगा-

    वस्तुओं के दामों में होगी बढ़ोतरी : कमजोर होते रुपये का सबसे बड़ा असर विभिन्न वस्तुओं के दामों पर पड़ेगा। कमजोर होते रुपये से सबसे ज़्यादा प्रभावित सोना और खनिज तेल जैसी वस्तुएं होंगी। इस तरह की वस्तुएं भारत हमेशा से आयात करता आया है और इसी वजह से गिरता रुपया इन वस्तुओं की कीमत को प्रभावित कर देगा। जिसका असर जल्द ही आम बाज़ार में भी देखने को मिल सकता है।

    आयात व निर्यात पर पड़ेगा असर : कमजोर होते रुपये की वजह से देश का आयात व निर्यात बुरी तरह से प्रभावित होगा। सरल भाषा में कहें तो अब हमें किसी वस्तु को बाहर से मँगवाने के लिए ज़्यादा खर्च करना पड़ सकता है। इस तरह से देश का व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है।

    जीडीपी पर पड़ेगा बुरा असर : जीडीपी भी इससे अछूती नहीं रहेगी। कमजोर होता रुपया देश के अल्पकालिक विकास को प्रभावित कर देगा। इससे किसी भी क्षेत्र में मुनाफ़े की दर में कमी आ जाएगी।

    ब्याज़ दरें होंगी प्रभावित : कॉर्पोरेट सेक्टर को अतिरिक्त ब्याज़ दरें भी प्रभावित कर सकती है इसी के साथ विदेशी निवेश के भी प्रभावित होने की संभावनाएं बनी रहेंगी।

    हालाँकि इन सब के उलट डॉलर के मुक़ाबले कमजोर होते रुपये से उन निर्यातकों को इसका फ़ायदा मिल सकता है जो अपना समान किसी दूसरे देश में बेचते हैं और उसके बदले में उन्हे विदेशी मुद्रा हासिल होती है।

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