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    एनडीए सरकार के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाले धरने में शामिल हो सकते हैं राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल

    30 जनवरी वाले दिन जिस दिन महात्मा गाँधी की हत्या हुई थी और जिसे शहीद दिवस भी कहा जाता है, उस दिन हज़ारो किसान, पूर्व सैनिक, दलित, महिलाएं और युवा जंतर मंतर पर धरना देंगे। वे एनडीए सरकार के सामने अपनी समस्याएं रखेंगे।

    अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस), यंग इंडिया और भारतीय पूर्व सैनिकों के आंदोलन ने चुनाव का एजेंडा तय करने के लिए नौ दिनों की योजना बनाई है। मेजर प्रियदर्शी चौधरी, राष्ट्रीय समन्वयक और प्रवक्ता ने कहा-“हमने समाज के विविध क्षेत्रों के गठबंधन को एक साथ जोड़ा है और सभी घटकों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।”

    हर दिन एक नए मुद्दे को उठाया जाएगा और इनमे बेरोजगारी, कृषि संकट और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध शामिल हैं।

    एआईकेएस के महासचिव और पूर्व सांसद हनन मोल्लाह ने कहा-“नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा किसानों, जवानों और युवाओं को निराश किया गया है। 2014 में उन्होंने कई वादे किये थे लेकिन समाज का तबका खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।”

    चौधरी ने पुष्टि की कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रिय जनता दल ने अपना अपना समर्थन देने का वादा किया है। कांग्रेस प्रमुख राहुल गाँधी और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शनकारियों के साथ जुड़ सकते हैं।

    सेवानिवृत मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा-“समाज का हर तबका खुद को वंचित महसूस कर रहा है। हमने मिलकर आवाज़ उठाकर शांत विरोध करने के फैसला किया है और भारत के विचार को पुनः प्राप्त करने का फैसला किया है।”

    नौ दिवसीय यह धरना 7 फरवरी को लाल किले से संसद तक मार्च में समाप्त होगा। युवा भारत राष्ट्रीय समन्वय समिति जो 50 से ज्यादा युवा अभियान, छात्र संघ और संगठनों का मिश्रण है, उसके तहत युवा मार्च करेंगे।

    ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष सुचेता डे ने वाम-झुकाव वाले दलों के लोकप्रिय होने का नारा देते हुए कहा, “जय जवान, जय किसान, जय समाजवादी उन लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है, जिनके पास सम्मानजनक रोजगार का अधिकार है।” उनका संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) से संबद्ध है।

    “24 लाख से ज्यादा सरकार नौकरियां खाली है और हम मांग करते हैं कि सरकार तुरंत उन रिक्त स्थानों को भरें और जीडीपी का 10% शिक्षा पर खर्च करें। युवा, किसान और जवान मिलकर मार्च करेंगे। हम देश के लिए हैं, देशद्रोही नहीं।”

    संगठनों ने जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए, दिल्ली पुलिस से अनुमति मांगी है। 1 फरवरी को होने वाले संसदीय सत्र से पहले ये विरोध प्रदर्शन होगा।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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