विषय-सूचि
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? (what is first law of thermodynamics in hindi)
पहला नियम लॉ ऑफ कंज़र्वेशन ऑफ एनर्जी (ऊर्जा का संरक्षण) का एक अनुकूलन है। लॉ ऑफ कंज़र्वेशन कहता है कि किसी पृथक सिस्टम की ऊर्जा कभी बदलती नहीं। वह हमेशा उतनी ही रहती है।
ऊर्जा को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता। उसे सिर्फ एक तरह से दूसरे तरह की ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे किसी धनुष बाण में धनुष की स्थितिज ऊर्जा को बाण की गतिज ऊर्जा में परिवतिर्त करते हैं।
हर वस्तु या पदार्थ की एक इंटरनल एनर्जी ( आंतरिक ऊर्जा ) होती है। सिस्टम की आंतरिक ऊर्जा में बदलाव उस सिस्टम में जाने वाली वाली तथा उससे निकलने वाली सभी ऊर्जाओं का मेल होता है।
यदि U इंटरनल एनर्जी ( आंतरिक ऊर्जा ) है, W सिस्टम द्वारा किआ हुआ काम ( वर्क डन ) है और Q सिस्टम में संग्रहित ऊष्मा, तब
ΔU = Q – W
जहाँ Δ बदलाव दर्शाता है।
याद रखा जाना चाहिए कि इस समीकरण में सिस्टम से निकलने वाली ऊष्मा को नेगेटिव (-) लिया जाता है और सिस्टम में जाने वाली ऊष्मा को पॉजिटिव (+)।
इसी तरह सिस्टम द्वारा किया काम पॉजिटिव है और सिस्टम पे किया गया काम नेगेटिव।
निरंतर ,बिना किसी ऊर्जा के चलने वाली मशीन संभव नहीं, क्योंकि इससे लॉ ऑफ कंज़र्वेशन ऑफ एनर्जी और थर्मोडाइनैमिक्स के पहले कानून का उलंघन होता है।
ΔU का महत्व (importance of ΔU in hindi)
इंटरनल एनर्जी U एक पूर्ण मात्रा ( एब्सोल्यूट क्वांटिटी) है। यह कई चीज़ों पर निर्भर करती है। इसलिए, U को सीधे सीधे मापा नहीं जा सकता। और इसलिए हम ΔU यानी डेल्टा U ही नापते है। केवल U की हमे कोई आवश्यकता भी नहीं।
ΔU एक स्टेट फंक्शन है। जिसका अर्थ ये हुआ कि ΔU केवल U की प्रारंभिक और अंतिम वैल्यू पर निर्भर है। उसे प्रारंभ से अंत तक किस मार्ग से ले जाया गया उससे कोई फ़र्क नही पड़ता।
U स्थितिज तथा गतिज ऊर्जा की तरह एक से दूसरी तरह की ऊर्जाओं में बदल सकती है, और सिस्टम में संग्रहित भी रह सकती है।
हीट इंजन (heat engine in hindi)
हीट इंजन पहले कानून का एक बहुत ही सामान्य और व्यवहारिक प्रयोग है। इन इंजनों में थर्मल ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तथा इसका विपरीत भी होता है। यह एक ओपन ( खुला ) सिस्टम है।
जब गैस को गर्म किया जाता है, तो वह फैलती है। इसी गर्म गैस को अगर किसी बंद जगह में सीमित कर दिया जाए, तो इसका दबाव ( प्रेशर ) भी बढ़ता है।
यह गैस जिस बंद जगह में है, यदि उसका तल पिस्टन जैसा हिल सके, तो यह दबाव उस पिस्टन पर बल लगाएगा जिससे वह नीचे जाएगा।
पिस्टन के इस हिलने से वर्क ( काम ) करवाया जा सकता है। वर्क पिस्टन पे लगे बल ( F ) * पिस्टन द्वारा तय की गई दूरी ( d ) के बराबर होगा।
रेफ्रीजिरेटर (refrigerator in hindi)
इस तरह के सिस्टम यांत्रिक ऊर्जा को ऊष्मा में बदलते हैं।
ये सामान्य स्थितियों में क्लोज्ड (बंद) सिस्टम होते हैं।
जब गैस को दबाया (कंप्रेस) जाता है, उसका तापमान बढ़ता है और वो गर्म हो जाती है। इसमें से कुछ गर्मी वह आस पास के पर्यावरण में दे देती है।
फिर जब उसे फैलने दिया जाता है तो वह ठंडी होती है। इस समय उसका तापमान कंप्रेस होने से पहले जो था, उससे भी कम हो जाता है। ऐसा पर्यावरण में ऊष्मा खोने की वजह से हुआ।
अब यह ठंडी हवा आस पास से गर्मी सोख सकती है। रेफ्रीजिरेटर इसी तरह काम करता है। वह ठंडी नहीं देता, गर्मी कम करता है।
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सम्बंधित:
- ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम (second law of thermodynamics)
- ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम (third law of thermodynamics)
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम की परिभाषा क्या है?
ऊष्मागतिकी
– उष्मा न तो उत्पन्न की जा सकती है, न ही नष्ट की जा सकती है, यह केवल एक अवस्था से दूसरे अवस्था मे परिवर्तित की जा सकती है। यह ऊर्जा का अविनाशता नियम भी कहते है।
ऊष्मागतिकी ke bara ma batana ka liya thanks a lot
thanks’
ऊर्जा न तो पैदा होती है, न ही इसे नष्ट किया जा सकता है, ऊर्जा बस एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है. आपका लेख अच्छा लगा.