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    जीसैट-6ए उपग्रह

    इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह जीसैट-6ए प्रक्षेपण के बाद आज तीसरे दिन भी गायब रहा।

    मंगलवार (29 मार्च) को श्री हरिकोटा से प्रक्षेपण के बाद उपगढ़ जीसैट-6ए से इसरो ( भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान सनस्थान) के सभी सम्पर्क टूट गए थे।

    हालांकि इसरो का कहना था कि यह उपग्रह अभी भी सुरक्षित है व इससे सम्पर्क दुबारा स्थापित कराने की संभावना है तथा उस दिशा में अथक प्रयास जारी है।

    जीसैट-6ए इसरो का अब तक का सबसे बड़ा संचार उपग्रह हैं इसे सेना की संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने के किये बनाया गया था।

    दुर्गम पहाड़ी रास्तों पर आम सैटेलाइट फोन आथवा सेल सर्विस आधारित फोन काम नहीं कर पाते हैं। इसलिए भारत सेना व वैज्ञानिक इस्तेमाल के लिए जीसैट उपग्रहों की श्रृंखला विकसित कर रहा है।

    ढूँढने की कोशिश

    जीसैट -6A अभी भी अपनी कक्षा में है व पूर्वानुमानित गति व ऊंचाई पर बरकरार है। आज उपग्रह अफ्रीका, मैडागास्कर व सिंगापुर के ऊपर से गुजर अपनी कक्षा की तरफ बढ़ रहा हैं।

    इसरो से सम्पर्क टूटने के कारण इसे वैज्ञानिक कक्षा में स्थापित होने के लिए अनिवार्य निर्देश नहीं दे पा रहे हैं।

    पर उपग्रह को विदेशी उपग्रहों की मदद से अभी भी ट्रैक किया जा सकता है। उनकी सहायता से इसरो के वैज्ञानिक इस उपग्रह पर कड़ी नजर बनाये हुए हैं व इसे वापस पाने की कोशिश में जुटे हैं।

    इसरो की तरफ से आये बयान में इसे उपग्रह के लिए “कार्डिएक अरेस्ट” यानी हृदय गति रुकने की स्थिति बताई गयी।

    इसरो प्रमुख ने जारी बयान में स्थिति को वैज्ञानिकों के नियंत्रण में बताया व इस बात पर भी जोर दिया कि उपग्रह के प्रक्षेपण में किसी चूक का पता नहीं लगा है इसलिए बड़ी सम्भावना है कि उपग्रह पर नियंत्रन वापस प्राप्त हो जाये।

    यह उपग्रह लगभग 270 करोड़ की लागत से निर्मित किया गया था तथा इसके सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें इसरो को बधाई भी दी थी।

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