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दक्षिण कोरिया के वरिष्ठ वार्ताकार

दक्षिण कोरिया के प्रमुख परमाणु वार्ताकार ली दू हून ने कहा कि “उत्तर कोरिया पर कठोर और सख्त प्रतिबन्ध थोपने से हम कम्युनिस्ट राष्ट्र को परमाणु प्रतिबन्ध त्यागने के लिए कभी राज़ी नहीं कर पाएंगे और इस पर यकीन करना एक कल्पना मात्र होगा।”

प्रतिबंधों से परमाणु निरस्त्रीकरण नहीं होगा

योन्हाप न्यूज़ के मुताबिक कोरियाई पेनिनसुला शान्ति और सुरक्षा मामलो के विशेष प्रतिनिधि ली ने कहा कि “उत्तर कोरिया को गलत फैसले लेने से रोकने के लिए प्रतिबन्ध लगाए गए थे, लेकिन प्रतिबन्ध हमर हमारी मूल समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं।” दक्षिण कोरिया के वार्ताकार के हवाले से योनहाप न्यूज़ एजेंसी ने कहा कि “उत्तर कोरिया ने दशकों के दबाव और प्रतिबंधों के बाद परमाणु विकास का कार्य रोका था। कठोर प्रतिबन्ध लगाकर और अधिक दबाव बनाकर यह यकीन करना कि उत्तर कोरिया अपना समस्त परमाणु कार्यक्रम त्याग देगा तो यह कल्पना मात्र है।”

वांशिगटन में 11 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन की मुलाकात होगी। फरवरी में डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच हनोई मुलाकात के बाद यह पहली मुलाकात होगी। पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के बदले पियोंगयांग प्रतिबंधों से निजात की मांग कर रहा है।

राजनीतिक इच्छाशक्ति जरुरी

हनोई सम्मेलन के असफल होने पर ली ने कहा कि “विचारात्मक प्रगति हुई है और अमेरिका व उत्तर कोरिया ने कई मसलों पर मतभेदों को स्पष्ट किया है। राजनीतिक इच्छाशक्ति और सार्थक प्रभावी कार्यस्तर ही परमाणु निस्रत्रीकरण पर दोनों देशो के बीच खाई को पाटने के लिए एकमात्र संभव और संगत मार्ग है।”

उन्होंने कहा कि “हनोई सम्मेलन का बिना किसी समझौते के खत्म होना जाना टॉप-डाउन दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है लेकिन अगर हम बीते एक वर्ष में अपने कार्य पर नज़र डाले तो यह स्पष्ट है कि यह दृष्टिकोण अभी भी मान्य है और इस सीमायें योग्यता से बेहतर नहीं हो सकती है।”

मंगलवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “हनोई सम्मेलन बगैर किसी समझौते के रद्द हो गया क्योंकि उत्तर कोरिया के नेता समझौते के लिए तैयार नहीं थे”। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह तैयार नहीं था। मैंने कहा था, तुम समझौते के लिए तैयार नहीं हो। यह पहली बार है जब उनसे किसीने यह कहा था और चला गया।”

उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच सुलह की कोशिश करता दक्षिण कोरिया

जाहिर है दक्षिण कोरिया और यहाँ के राष्ट्रपति मून जे-इन लगातार कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच एक शान्ति समझौता हो जाए।

बार-बार मून जे-इन उत्तर कोरिया में संदेश भेजते रहते हैं और एक तरह से वे डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच मध्यस्ता का काम कर रहे हैं।

मून नें हाल ही में था कि वे 11 अप्रैल के सम्मेलन में वह अमेरिका और उत्तर कोरिया की वार्ता को बहाल करने के बाबत बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के प्रयासों पर उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी।”

दक्षिण कोरिया और अमेरिका का दरअसल यह मत है कि उत्तर कोरिया को पूरी तरह से परमाणु निरस्त्रीकरण कर देना चाहिए जिससे कि कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति बन सके।

इसी को सुलझाने के लिए कल दक्षिण कोरिया नें एलान किया था कि वे एक विशेष राजदूत को उत्तर कोरिया भेजेंगे

इससे पहले भी जब डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच बातचीत सफल नहीं हो पाई थी, तब दक्षिण कोरिया नें काफी नाराजगी जताई थी।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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