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    पाकिस्तानी प्रधानमंत्री

    चीन के पश्चिमी प्रान्त शिनजियांग में 20 लाख मुस्लिमों को कैद शिविरों में रखने के सवाल पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने चकमा दे दिया था। बुधवार को फाइनेंसियल टाइम्स के इंटरव्यू में पाकिस्तानी पीएम से चीन में उइगर मुस्लिमों को नज़रबंद रखने के बाबत सवाल पूछा गया था।

    इमरान खान ने कहा कि “मुझे इस मसले पर ज्यादा मालूमात नहीं है। मुसिम देश इस संकटग्रस्त स्थिति से गुजर रहे हैं, लेकिन उन्होंने शिनजियांग में हो रहे अत्याचार के खिलाफ कहने से इंकार कर दिया था। जब मेरे पास पर्याप्त जानकारी होगी, तब मैं इस मामले पर जरूर बोलूंगा।”

    शिनजियांग में उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर चीन के अत्याचार के खिलाफ वैश्विक समुदाय बीजिंग की आलोचना कर रहा है। पश्चिमी देश सहित दक्षिणपंथी समूह चीन की खिलाफत कर रहे हैं, हालाँकि अधिकतर मुस्लिम देशों ने इस मसले पर अभी तक चुप्पी साध रखी है।

    गार्डियन के मुताबिक मंगलवार को अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने बुधवार को जीवित बचे लोगों से मुलाकात के बाद कहा कि “निरंकुश ढंग से कैदी बनाये गए सभी उइगर मुस्लिमों को बीजिंग रिहा कर दे।” फरवरी में एकमात्र मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र तुर्की ने चीन में नज़रबंद शिविरों को ‘मानवता के लिए शर्मनाक’ बताया था।

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    अधिकतर मुस्लिम देशों के चीन के साथ आर्थिक और कूटनीतिक सम्बन्ध है और इसमें सऊदी अरब, मलेशिया और पाकिस्तान भी शामिल है। यह देश चीन के खिलाफ बयान देने से हिचकते हैं। विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान  लम्बे अरसे से चीन का सहयोगी है और चीन की रहमो कर्म पर जी रहा है।

    साल 2017-2018 को इस्लामाबाद ने बीजिंग से 6 अरब डॉलर के हथियार ख़रीदे थे। इमरान खान ने जनवरी में शिनजियांग की सटीक हालात का अंदाज़ा न होने की बात कही थी।

    इमरान खान ने कहा था कि “मैं आपको एक बात कह सकता हूँ कि चीन हमारे लिए खुली हवा में साँस लेने जैसा है। वह हमारे बेहद मददगार है। सहयोग के ऐसे कई क्षेत्र है जिन्हे चीन गोपनीय रखना चाहता है।”

    शिनजियांग में नज़रबंद शिविरों की मौजूदगी को चीन आतंक का खत्म करने के लिए स्थापित किये गए प्रशिक्षण संस्थान कहता है। साथ ही अत्याचार और ब्रेन वाशिंग की सभी खबरों को ख़ारिज करता है।

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “शिनजियांग के मसले पर अमेरिका को चीनी सरकार पर हमले करना बंद कर देना चाहिए। यह पुनर्शिक्षा कार्यक्रम है जिसे संजातीय समूह का पूरा सहयोग है।”

    इमरान खान नें क्यों साधी चुप्पी?

    इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चीन पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी है। पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति में चीन उसके लिए सबसे बड़ा सहारा है।

    हाल ही में चीन द्वारा पाकिस्तान को 2.2 अरब डॉलर देने की बात कही गयी थी।

    पाकिस्तान को आईएमएफ और अन्य देशों से कर्जा नहीं मिल रहा है, ऐसे में पाकिस्तान चीन को किसी भी स्थिति में नाराज नहीं करना चाहता है।

    चीन की महत्वपूर्ण सीपीईसी योजना भी पाकिस्तान के लिए एक अहम् योजना है। ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान खान को पता है कि यदि वे उइगर मुस्लिम का मुद्दा उठाते हैं, तो इससे चीन नाराज जरूरी होगा।

    भारत पर खान ने साधा था निशाना

    यह बात साफ़ है कि इमरान खान नें भारत में अल्पसंख्यकों पर हुए हमले को जमकर उठाया था। पुलवामा में हमले के बाद जब भारत में कश्मीरियों पर हमले की खबर आ रही थी, तब इमरान खान नें कहा था कि पाकिस्तान भारत को सिखाएगा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा कैसे की जाती है?

    हाल ही में पाकिस्तान में दो हिन्दू लड़कियों के धर्म बदलवाने की खबर सामने आई थी। इसपर जब भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नें आवाज उठाई थी, तो इमरान खान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी नें पलटकर जवाब दिया था कि भारत को पहले अपने देश की फ़िक्र करनी चाहिए।

    उइगर मुस्लिमों पर चीन क्यों कर रहा है अत्याचार?

    उइगर एक मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय है, जो चीन के जिनजियांग में सदियों से रह रहे हैं। 2012-13 तक इन लोगों से चीनी सरकार कोई कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इसके बाद से इन लोगों पर सरकार की ज्यादती सामने आने लगी है।

    इसका सबसे बड़ा कारण है, चीन की बेल्ट एंड रोड योजना।

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    जिनजियांग के जरिये बेल्ट एंड रोड योजना

    ऊपर दिए गए नक्शे में आप देख सकते हैं कि किस प्रकार चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का एक बड़ा हिस्सा जिनजियांग इलाके से होकर गुजरता है। ऐसे में यहाँ रहने वाले लोग चीनी सरकार के लिए बहुत जरूरी हो जाते हैं।

    सीएसआईएस के मुताबिक चीन बेल्ट एंड योजना में 1 ट्रिलियन से 8 ट्रिलियन डॉलर के बीच खर्च कर रहा है।

    जब से बेल्ट एंड रोड योजना सार्वजानिक हुई है, तबसे चीनी सरकार नें यहाँ रहने वाले उइगर मुस्लिम पर नजर रखना शुरू कर दिया है।

    गार्डियन के मुताबिक जिनजियांग में रहने वाले उइगर मुस्लिम पर सरकार लाखों कैमरों और अन्य उपकरणों के जरिये नजर रखती है।

    इन कैमरों से चीनी सरकार यहाँ रह रहे लोगों की प्रत्येक मूवमेंट पर नजर रखती है, और यदि उन्हें कुछ भी शक होता है, तो लोगों को प्रताड़ना कैंप में बंद कर दिया जाता है।

    कई मानवाधिकार संस्थाओं नें यह साबित किया है कि चीन प्रताड़ना कैंप में लोगों को बाद करके उनको शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देता है।

    अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोम्पिओ नें हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति से बात की थी, जिसने चीन के कैम्पों में प्रताड़ना झेली है।

    विश्व के सामने छुपाने की कोशिश

    चीन नें हालाँकि बेल्ट एंड रोड योजना से जुड़े देशों से हमेशा यह बचाने की कोशिश की है कि किस प्रकार वह उइगर मुस्लिम पर हिंसा कर रहा है।

    पिछले एक साल में चीन नें लगभग 16 देशों के पत्रकारों को यहाँ बुलाया है और उन्हें यहाँ की स्थिति दिखाने की कोशिश की है। इन देशों में कजाखस्तान, तजिकिस्तान और पाकिस्तान मुख्य रूप से शामिल हैं।

    चीन इन पत्रकारों के सामने ऐसा द्रश्य पेश करता है, जिससे यह लगता है कि उइगर मुस्लिम यहाँ पर अच्छी चीजें सीख रहे हैं और उन्हें यहाँ कोई समस्या नहीं है।

    xinjiang uyghur dance
    चीन इस प्रकार की तस्वीर दुसरे देशों को दिखाता है, जिससे यह लगता है कि उइगर मुस्लिम यहाँ काफी खुश हैं

    लेकिन चीन संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संस्थाओं के पत्रकारों को जिनजियांग में नहीं जाने देता है।

    चीन लगातार कहता रहा है कि उइगर मुस्लिम कट्टर सोच के हैं और वे इस्लाम के खतरनाक रूप को चीन में लाना चाहते हैं। ऐसे में चीन का कहना है कि वह यहाँ के लोगों को ‘शालीनता’ सिखाता है और अन्य प्रशिक्षण देता है।

    उइगर मुस्लिम प्रशिक्षण
    दूसरे देशों से आये पत्रकारों को चीन ऐसी स्कूलों में ले जाता है और यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह यहाँ के लोगों को पढ़ा रहा है

    चीन में स्थिति एक मानवाधिकार अधिकारी सोफी रिचर्डसन नें हाल ही में चीन की पोल खोलते हुए एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होनें कहा था कि चीन पुरे विश्व के सामने एक बिलकुल अलग छवि बनाने की कोशिश कर रहा है, जो वास्तविकता से बिलकुल परे है।

    बीबीसी हिंदी नें इस बारे में एक बेहतरीन डॉक्यूमेन्टरी बनाई है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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