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    भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों का असर तो साफ देखा जा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर एक साल से काले बादल मंडरा रहे हैं। पहले कोरोना वायरस के चलते ढाई महीने तक समस्त भारत बंद के ऐलान के चलते अर्थव्यवस्था ठप सी पड़ गई थी और अब बढ़ते ईंधन की कीमतों ने आम आदमी की जेब में एक बड़ा छेद कर दिया है। फरवरी 2021 में पेट्रोल की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई थी। ईंधन पर बड़े टैक्स इस मुसीबत में और बढ़ोतरी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में के कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमत ₹100 के पार तक पहुंच गई थी।

    देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के साथ केंद्र और राज्य सरकार सार्वजनिक आलोचना और विपक्षी दलों द्वारा आम आदमी को राहत प्रदान करने के लिए टैक्स को कम करने के बीच काफी दबाव में है।

    इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि खर्चे पर चर्चा भी होनी चाहिए क्योंकि कार में ईंधन भरना किसी परीक्षा देने से कम नहीं है। कांग्रेस ईंधन और गैस की कीमतों में वृद्धि पर भाजपा सरकार पर हमला करती रही है और मांग की है कि कीमतें यूपीए सरकार के समय जिस स्तर पर मौजूद थी उसी स्तर पर वापस लाई जाए।

    “केंद्र सरकार के टैक्स के कारण कार में ईंधन भरना परीक्षा देने से कम नहीं है, पीएम इस पर चर्चा क्यों नहीं करते?” – राहुल गांधी ने ट्वीट में कहा

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वार्षिक परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में बुधवार को छात्रों से कहा कि वह परीक्षाओं से ना डरे बल्कि इसे खुद को बेहतर बनाने के लिए एक परीक्षा के रूप में देखें और कहा कि सामाजिक और पारिवारिक वातावरण कई बार ऐसे छात्रों के इर्द-गिर्द बन जाता है जो छात्रों के लिए सही नहीं है।

    By दीक्षा शर्मा

    गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से LLB छात्र

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