Israel-Iran Conflict: बीते दिनों ईरान द्वारा इजराइल के शहर तेल अवीव पर 200 से ज्यादा मिसाइलें दागे जाने के बाद मध्य-पूर्व एशिया में एक वृहत युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि जंग के ऐसे हालात बस इस हमले के बाद अभी पैदा हुए हैं।
ग़ौरतलब है कि, इजराइल तथा हमास के बीच जंग बीते साल से ही जारी है; इजराइल (Israel) ने जंग के दूसरा मोर्चे को लेबनान के तरफ भी खोल रखा है; लेकिन अब ईरान के सीधे तौर पर शामिल हो जाने से एक बड़े युद्ध की संभावनाएं अत्यंत प्रबल हो गयी है।
इजराइल से बदले की आग न बन जाये तबाही का कारण
ईरान (Iran), हिज़्बुल्लाह (Hizballah) और हमास (HAMAS) के द्वारा इजराइल (Israel) से बदला लेने की घोषणाओं ने मध्य-पूर्व एशिया में टकराव के इस दौर को एक नए मोड़ पर लाकर रख दिया है। हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) के महासचिव हसन नसरल्लाह (Hasan Nasrallah) की इजराइल द्वारा की गई हत्या और फिर ईरान द्वारा उसका जवाब मिसाइल से दिए जाने के बाद स्थिति अब भूराजनीतिक नियंत्रण से बाहर जाती दिख रही है।
जब 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल (Israel) पर हमास (HAMAS) के हमले के बाद इजराइल ने गाजा (Gaza) पर अपना जवाबी युद्ध शुरू किया, तो नसरल्लाह ने उत्तरी इजराइल में रॉकेट दागकर दूसरा मोर्चा खोल दिया। जब गाजा के खिलाफ युद्ध में हजारों फिलिस्तीनी मारे जा रहे थे, तब वह (नसरल्लाह) इजराइली रक्षा बलों पर कुछ सैन्य दबाव बनाए रखना चाहता था। जब इज़राइल का ध्यान गाजा पर था, तो उसने (Israel) हिज्बुल्लाह के रॉकेटों के जवाब में सीमित गोलाबारी ही की।
लेकिन गाजा के अधिकांश हिस्से को नष्ट करने के बाद, इजराइल ने अपना ध्यान लेबनान की ओर मोड़ दिया और फिर नाटकीय ढंग से संघर्ष को बढ़ाते हुए हिज्बुल्लाह (Hezbollah) के जमीनी स्तर के पदाधिकारियों, उसके कमांडरों और फिर नसरल्लाह को निशाना बनाया।
नसरल्लाह को मारकर, इजराइल (Israel) ने हिज्बुल्लाह को भारी झटका दिया है और ईरान के प्रभाव को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है, लेकिन उसके सीमा पार हमलों ने हजारों लोगों को मार डाला है और विस्थापित कर दिया है और ईरान की सबसे चमकदार लाल रेखाओं को लांघ दिया है। यह क्षेत्र इजराइल और ईरान के बीच एक खुले युद्ध के इतने करीब कभी नहीं रहा।
हिजबुल्लाह (Hezbollah) क्या है?
हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) का अनुवाद “ईश्वर की पार्टी (Party of God) ” है। थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने पहले इसे “दुनिया का सबसे भारी हथियारों से लैस गैर-राज्य संगठन ” के रूप में वर्णित किया है, जिसके पास बिना निर्देशित तोपखाने रॉकेटों के साथ-साथ बैलिस्टिक, एंटीएयर, एंटीटैंक और एंटीशिप मिसाइलों का एक बड़ा और विविध भंडार है।”
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) के अनुसार, हिजबुल्लाह की उत्पत्ति लेबनानी गृहयुद्ध (1975-1990) के दौरान हुई थी, जो “देश में बड़ी, सशस्त्र फिलिस्तीनी उपस्थिति पर लंबे समय से चल रहे असंतोष” का परिणाम था।
1979 में ईरान (Iran) में एक धार्मिक इस्लामी सरकार के गठन से प्रेरित होकर, हिजबुल्लाह का गठन इसी समय हुआ था। ईरान और उसके इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने भी समूह को धन मुहैया कराया था।
यह मध्य पूर्व में इज़राइल और पश्चिमी प्रभाव का विरोध करता है। अमेरिका, जो इजराइल और सऊदी अरब का सहयोगी है, का अनुमान है कि ईरान हिजबुल्लाह को करोड़ों डॉलर की फंडिंग देता है और उसके पास हजारों लड़ाके हैं।
आखिर Israel की चाहत क्या है?
गाजा के खिलाफ इजराइल (Israel) का हमला हमास को नष्ट करने और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के अपने घोषित मकसदों को अभी तक हासिल नहीं कर पाया है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इजराइल लेबनान में अपने मकसदों को जल्दी पूरा कर लेगा।
लेकिन इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस संकट को इजराइल के लिए अपने गैर-राज्य प्रतिद्वंद्वियों (Non-State Opponents) को नीचा दिखाने के एक मौके के तौर पर देखते हैं, यहां तक कि ईरान के साथ एक पूर्ण युद्ध शुरू करने की कीमत पर भी।
अमेरिका सार्वजनिक रूप से गाजा और लेबनान में युद्धविराम का आह्वान तो करता है, लेकिन इन जुबानी जमा खर्च का कोई महत्व नहीं है क्योंकि बाइडेन प्रशासन इजराइल को हथियार देना जारी रखे हुए है। बार-बार उकसाने और कोने में धकेले जाने के बाद भी ईरान ने अब तक अपेक्षाकृत संयम बरता है, जबकि इजराइल खून का प्यासा हो उठा है।
I just met with my national security team for an update on Iran’s attacks against Israel. Our commitment to Israel’s security against threats from Iran and its proxies is ironclad. pic.twitter.com/kbywnsvmAx
— President Biden (@POTUS) April 13, 2024
Israel -Iran संघर्ष से विश्व-व्यापार में बढ़ेगा व्यवधान
संघर्ष के बढ़ने से व्यापार में बढ़ेगा व्यवधान का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि हिजबुल्लाह के यमन में हौथी विद्रोहियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो लाल सागर मार्ग से गुजरने वाले जहाजों पर अधिकांश हमलों के लिए जिम्मेदार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल के पहले दो महीनों में स्वेज नहर से गुजरने वाले व्यापार की मात्रा में साल-दर-साल 50 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) में पिछले वर्ष के स्तर से अनुमानित 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
यह प्रमुख शिपिंग मार्गों में व्यवधान के रूप में सामने आया है, विशेष रूप से स्वेज नहर और लाल सागर के माध्यम से, जहाजों को हॉर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) के आसपास लंबे रास्ते लेने के लिए मजबूर किया गया है, जिससे शिपिंग लागत में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इससे भारतीय कंपनियों के लाभ मार्जिन पर गंभीर असर पड़ा है, विशेष रूप से कम-अंत इंजीनियरिंग उत्पादों, कपड़ा, वस्त्र और अन्य श्रम-केंद्रित वस्तुओं का निर्यात करने वाली कंपनियों के लाभ मार्जिन पर।
जहां तक भारत की बात है तो बाकी पूरी दुनिया की तरह वह भी यही चाहेगा कि संघर्ष की यह आग ज्यादा न फैले। इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर (IMEEC) जैसे दूरगामी हितों को फिलहाल छोड़ दें तो भी युद्ध का बेकाबू होना भारत को ही नहीं, ग्लोबल इकॉनमी को भी चुनौतियों के भंवर में डाल सकता है। युद्ध के बेकाबू होने से तेल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय इकॉनमी को नुकसान होगा।
यह भारत के लिए महत्व रखता है क्योंकि यह यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ अपने व्यापार के लिए स्वेज नहर के माध्यम से इस मार्ग पर बहुत अधिक निर्भर करता है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, इन क्षेत्रों में वित्त वर्ष 2023 में 400 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान था।
युद्ध के आसार या युद्धविराम- गहराते संकट के थमने की कितनी है उम्मीद ?
क्षेत्र और उसके बाहर के करोड़ों लोग युद्धविराम, शत्रुता का अस्थायी निलंबन और बातचीत की बहाली चाहते हैं; लेकिन युद्धरत नेता स्थिति को अलग तरह से देखते है। मध्य पूर्व में प्रमुख शक्तियों में संयम की सबसे बड़ी कमी है; इसलिए, विशेषकर नसरल्लाह की हत्या के मद्देनजर, दुर्भाग्य से -गाजा, लेबनान और इज़राइल – में हिंसा जारी रहने की संभावना है।
BREAKING:
Algeria has become the first government to officially declare its support for Iran’s attacks on Israel. pic.twitter.com/8iaLHmPVE9
— Globe Eye News (@GlobeEyeNews) April 13, 2024
वर्षों के क्षद्म- युद्ध (Pseudo War ) के बाद ईरान द्वारा इज़राइल पर सीधे हमला करने से पूरे मध्य पूर्व में गठबंधनों और प्रतिद्वंद्विता के जटिल जाल के साथ एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू होने की संभावना है।
ऐसे में जरूरी है कि कूटनीति के सभी संभव दांव आजमाते हुए इस तनाव को यथासंभव कम नुकसान की कीमत पर निकल जाने दिया जाए। परन्तु फ़िलहाल सभी पक्षों के मूड को देखते हुए फिलहाल इस उम्मीद में ज्यादा दम नजर नहीं आता।
यह बात भी सही है कि यूक्रेन (Ukraine) और गाजा (Gaza) में चल रहे युद्धों के प्रत्यक्ष और परोक्ष नतीजों से जूझती दुनिया ईरान-इस्राइल (Israel-Iran Conflicts) के बीच एक और युद्ध झेलने की स्थिति में नहीं है। इसका भी कोई भरोसा नहीं है कि अगर ऐसा कोई युद्ध हुआ तो वह दूर तक नहीं फैल जाएगा।
Awesome news for knowledge!