आईपी एड्रैस क्या है? (what is IP address in hindi)
इंटरनेट पर हर मशीन का एक अनोखा नंबर होता है जिससे वो चलता है उसे हम आईपी एड्रैस बोलते हैं। अनोखे आईपी एड्रैस के बिना आप अपनी मशीन से किसी और डिवाइस और कम्प्युटरों से संचार नहीं कर सकते। हम आईपी एड्रैस को देखें तो ऐसा लगता है की जैसे कोई फोन नंबर हो क्योंकि इन सबके नंबर अनोखे होते हैं और यह केवल आपके पास ही पहुंचे इसलिए इनको ऐसा रखा जाता है।
आईपी एड्रैस दो तरह के होते हैं जिनका हम नेटवर्क में उपयोग करते हैं। पहला जो विकलप है वह है IPv4 और इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन 4 जो की ज़्यादातर राउटर और इंटरनेट में उपयोग होता है। यह वर्जन 32 बिट एड्रैस को उपयोग करता है जो की ज्यादा से ज्यादा 4,294,967,296 अनोखे एड्रैसों में काम आता है। इनमे से कुछ 290 मिल्यन एड्रैस स्पेशल कामों के लिए सुरक्षित रखे हुए हैं।
इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की आने वाले टाइम में इन एड्रैसों का पूल तबाह होने वाले है। इस वजह को ध्यान में रखते हुए एक नया विकल्प बनाया गया जिसका नाम IPv6 और इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन 6 था। इसने एड्रैस के साइज़ को 32 बिट से 128 बिट बना दिया था। बिट बढ़ाने का मतलब उसे ज्यादा सक्षम बना दिया था। उसी एड्रैस पर IPv6 को इस्तेमाल करने के लिए हमें राउटर और हार्डवेर का नवीनीकरण (Upgradation) करना होता है तभी वह इस विकल्प पर चल पाते हैं।
हर आईपी एड्रैस 4 नंबर के होते हैं जो की डॉट द्वारा अलग किए जाते हैं। आइये देखते हैं की आईपी एड्रैस को कैसे लिखा जाता है। आईपी एड्रैस को हम 192.168.1.10 ऐसे लिखते है यह आईपी एड्रैस को लिखने का तरीका है। इस तरह के आईपी एड्रैस लिखने के तरीके को हम डेसिमल नोटेशन बोलते हैं। यह सभी आईपी एड्रैस में एक ऐसी विशेष रेंज है जिसे स्पेशल कामों के लिए सुरक्षित रखा गया है। जिनमे से पहला है 0.0.0.0 एड्रैस जो की डिफ़ाल्ट नेटवर्क पे होती है और 255.255.255.255 एड्रैस है जिसे हम ब्रॉडकास्ट नेटवर्क भी बोलते हैं। तीसरा एड्रैस 127.0.0.1 है जिसे की हम लूपबैक एड्रैस बोलते हैं।
जब भी हम यह आईपी एड्रैस देखते हैं जो कुछ इस प्रकार दिखता हो 127.0.0.1 यह हमारा खुदकी मशीन का आईपी एड्रैस होता है।
आईपी एड्रैस के नियम (rules of IP address in hindi)
- जो चार नंबर है वो 0 से 255 के बीच ही होने चाहिए और आईपी एड्रैस 0.0.0.0 और 255.255.255.255 आरक्षित हैं इनको उपयोगी आईपी एड्रैस में नहीं गिना जाता।
- हर किसी कम्प्युटर जो की किसी नेटवर्क से जुड़ा है उसका आईपी एड्रैस भिन्न होता है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं जैसे की आपके नेटवर्क पर आपके पास दो कम्प्युटर हैं तो दोनों का आईपी एड्रैस अलग अलग होगा एक दूसरे से संपर्क बनाने के लिए। यदि गलति से दो कम्प्युटरो का आईपी एड्रैस एक जैसा है तो इसे हम आईपी कोन्फ़्लिक्ट बोलेंगे इसकी वजह से दोनों ही कम्प्युटर एक दूसरे से संपर्क भी नहीं कर पाएंगे।
- इस तरह के आईपी एड्रैस फिर क्लासों में विभाजित होते हैं। यह क्लासें हैं A,B,C,D,E और इनकी रेंजों को हम नीचे टेबल के द्वारा देखते हैं –
क्लास (Class) | चालू एड्रैस (Start address) | खतम एड्रैस (Finish address) |
A | 0.0.0.0 | 126.255.255.255 |
B | 128.0.0.0 | 191.255.255.255 |
C | 192.0.0.0 | 223.255.255.255 |
D | 224.0.0.0 | 239.255.255.255 |
E | 240.0.0.0 | 255.255.255.255 |
जैसा की हम ऊपर वाली टेबल से देख सकते हैं की आईपी एड्रैस की रेंज जो की A से B में है उसमें 127.0.0.0 से 127.255.255.255 तक गायब है। यह इसलिए है क्योंकि यह एड्रैस स्पेशल कामों के लिए आरक्षित किया गया है इन्हे हम लूपबैक एड्रैस भी बोले हैं। बाकी के जो आईपी एड्रैस हैं वो कंपनीयों को दे दिये जाते हैं जीतने भी उनको चाहिए होते हैं।
डिफ़ाल्ट नेटवर्क – स्पेशल नेटवर्क 0.0.0.0 ज़्यादातर राउटिंग के लिए उपयोग में आता है।
क्लास A – ऊपर वाली टेबल से हम देख सकते हैं की क्लास A में 126 नेटवर्क हैं। यह नेटवर्क 16,777,214 आईपी एड्रैसों से भरे हुए हैं जिनको की हम कम्प्युटर और डिवाइसेस को दे सकते हैं। इस तरह के नेटवर्क बहुराष्ट्रिय कंपनीयों को दिये जाते हैं।
लूपबैक – इस तरह के नेटवर्क 127.0.0.0 होते हैं और यह आपके कम्प्युटर के प्रोग्राम या फिर हार्डवेयर को टेस्ट या फिर डिबुग करने के काम में आते हैं।
क्लास B – यह 16,384 हैं इनके हर एक में 65,534 आईपी एड्रैस हैं। इस तरह के नेटवर्क बड़े इंटरनेट खपत वाली जगह जैसे की कॉलेज और बड़े हॉस्पिटलों में काम आते हैं।
क्लास C – यह 2,097,152 हैं जिनमे हर एक में 255 आईपी एड्रैस हैं। यह केवल छोटी और मध्यम कंपनीयों को दिये जाते हैं।
क्लास D – इस तरह के आईपी एड्रैस सर्विस के लिए सुरक्षित रखे जाते हैं जिनहे हम मल्टीकास्ट बोलते हैं।
क्लास E – इस तरह के आईपी एड्रैस एक्सपेरिमेंटल यूज के लिए रखे जाते हैं।
आईपी एड्रेस हैकिंग (ip address hacking in hindi)
कई लोग आईपी एड्रेस को हैक करने की बात करते हैं। हालाँकि, बहुत हद तक यह दावा सच नहीं होता है। (हैकिंग क्या है – hacking in hindi)
पहले के जमाने में जब इन्टरनेट सुरक्षित नहीं था, जब वेबसाइट पर कोई नियम लागू नहीं होते थे, उस समय आईपी एड्रेस को हैक किया जा सकता था।
अब हालाँकि ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है। इन्टरनेट पर गूगल जैसी कंपनियों नें वेबसाइट पर कई प्रकार के जांच नियम लगा दिए हैं, जिससे वे लोगों के लिए सुरक्षित होती हैं।
इन्हीं कारणों से वेबसाइट आदि के जरिये आईपी एड्रेस को हैक करना बहुत मुश्किल बन गया है।
हालाँकि अन्य तरीकों से आईपी एड्रेस को हैक किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि आप अपना कंप्यूटर किसी को सौंप दें, तो वह कुछ सॉफ्टवेयर की मदद से आपका कंप्यूटर हैक कर सकता है।
निष्कर्ष
आईपी एड्रैस और इसके नेटवर्क के फंकशन को समझना हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। यह लेख आपको बहुत ही आसानी से आईपी एड्रैस और उसकी क्लासों के बारे मे समझा देगा और इंटरनेट पर आईपी एड्रैस किस तरह काम करता है उसके बारे में भी।
इस लेख से सम्बंधित किसी भी प्रकार के सवाल या सुझाव को आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
mere ip address kaise pata karon?
very good informative article.