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    असम सरकार एक ऐतिहासिक फैसला लेने की तैयारी में दिख रही है। वहां के सभी मदरसे बंद करवाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है । असम सरकार विधानसभा में संबंधित विधेयक ला चुकी है। अगले शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी मदरसे व संस्कृत स्कूल बंद कर के उनको सामान्य स्कूल बनाये जाने का प्रावधान होने वाला है। ये विधेयक तीन दिवसीय विधानसभा सत्र में पहले ही दिन पेश किया गया। हालांकि विपक्ष ने इस बिल पर आपत्ति जताई है।

    असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वसर्मा का कहना है कि सरकार धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है। असम सरकार का कहना है कि बच्चों को धर्म, संप्रदाय आदि की जानकारियां देना सरकार का काम होना चाहिए। इसके चलते सरकार ने सरकारी वित्तपोषित सभी मदरसे व संस्कृत स्कूल बंद कराने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि अगले साल असम में चुनाव होने हैं।  और वर्तमान बीजेपी सरकार की ये रणनीति धार्मिक आधार पर वोट बैंक तैयार करने की हो सकती है।

    असम में कुल 610 मदरसे हैं जो सरकार द्वारा वित्त पोषित होते हैं। लेकिन असम के शिक्षा मंत्री का ये भी कहना है कि ये विधेयक निजी मदरसों के लिये नहीं है। साथ ही सरकारी वित्त पोषित मदरसे भी बंद नहीं होंगे बल्कि स्कूल में परिवर्तित कर दिये जायेंगे।  शिक्षकों व गैर शिक्षण स्टाफ के वेतन व सेवा शर्तों में भी किसी खास परिवर्तन का प्रावधान नहीं है। साथ ही इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि सरकार भविष्य में कोई भी मदरसा या संस्कृत विद्यालय स्थापित नहीं करेगी। इन सब धार्मिक विद्यालयों के संचालन में सरकार को सालाना 260 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इस विधेयक के पारित होने के बाद असम राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड भी भंग हो जायेगा।

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