Fri. Oct 4th, 2024
    अर्जुन मुंडा ने NTRI में आदि-व्याख्यान कार्यक्रम का किया उद्घाटन

    केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने बुधवार को नई दिल्ली के राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (NTRI) में  जनजातीय विकास पर आदि-व्याख्यान का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से भाग लेने वाले जनजातीय विचारकों, लेखकों और नेताओं ने भाग लिया।

    केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण है कि हम जनजातीय गौरव को चिह्नित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जन जातीय गौरव दिवस मना रहे हैं। मुंडा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है जिसने जनजातीय मुद्दों पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित किया है और यह देश में जनजातीय लोगों के भविष्य को नई दिशा देगा।

    उन्होंने कहा कि आज का आदि-व्याख्यान बहुआयामी कार्यक्रम है जो जनजातीय जीवन, संस्कृति, भाषा और आजीविका के विभिन्न पहलुओं को देखता है। उन्होंने कहा कि एक तरफ यह एक अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, दूसरी तरफ यह चर्चा करने और आगे का रास्ता तय करने की चुनौती भी प्रस्तुत करता है।

    मंत्री ने जनजातीय भाषाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई तो इस बात पर बल दिया गया कि स्थानीय क्षेत्रों में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाओं और बोलियों को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए। इसके अनुसार, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया गया है।

    उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में सरकार द्वारा जनजातीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है, जिसमें हाल ही में 24000 करोड़ रुपये का विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) मिशन, आदि आदर्श ग्राम योजना, सिकल सेल मिशन, 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना शामिल है। 

    मंत्री ने कहा कि एक शीर्ष संस्थान के रूप में नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान, अब जमीनी स्तर के शोध के आधार पर जंजातीय समुदायों के लिए यथार्थवादी नीति निर्माण के लिए सुझाव प्रदान करके इस निर्णय लेने को और अधिक गति देगा।  यह राज्यों में स्थित 27 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के कामकाज के लिए एक समग्र दृष्टिकोण भी प्रदान करेगा।

    कार्यक्रम में उपस्थित बड़ी संख्या में जनजातीय प्रतिभागियों से श्री मुंडा ने आदिवासी कल्याण और विकास की योजनाओं का स्वामित्व लेकर और अंतिम व्यक्ति तक उनके लाभों की पहुंच सुनिश्चित करके भगवान बिरसा मुंडा और उनके द्वारा किए गए बलिदान पर गर्व करने का आह्वान किया।

    कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इनमें जनजातीय जीवन, संस्कृति, भाषा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आदिवासी कला और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन आदि शामिल थे।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *