विषय-सूचि
अम्ल वर्षा में कोई भी प्रकार का वर्षण (precipitaion) जैसे कि बारिश, धुंध, बर्फ़बारी आदि है जो साधारण तौर से अधिक अम्लीय (acidic) होता है। इसका pH 5.6 से कम होता है।
अम्ल वर्षा का कारण (reason of acid rain in hindi)
जीवाश्म ईंधन को जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड रिहा होते हैं जो अम्लीय होते हैं, इससे वायु प्रदूषण होता है – यह अम्ल वर्षा के प्रमुख स्रोत हैं।
अम्लीय धुंध वायुमंडल में पहुँच कर मिट्टी के कणों या धूल के साथ मिल जाते हैं, जो आगे चलकर वनस्पतियों पर अम्ल के रूप में जमा हो जाते हैं।
जब वर्षा होती है तब यह जमा हुई चीजों का रिसाव (leak) होने लगता है जो फिर अम्लीय ओस का रूप ले लेते हैं।
अम्लीय जमाव के प्रकार (Types of Acidic Deposits in Hindi)
वायुमंडल से पृथ्वी के सतह पर होने वाले सूखे और गीले अम्लीय जमाव के मिश्रण से अम्ल वर्षा का निर्माण होता है।
गीला जमाव (Wet Deposition):- अगर हवा में मौजूद अम्लीय केमिकल बहकर उन जगहों पर चले जाते हैं जहां का मौसम गीला हो, तब वहाँ के मौसम में मिश्रित होकर यह केमिकल धुंध, वर्षा, बर्फ, कोहरा आदि के रूप में धरती पर गिरते हैं। जैसे जैसे अम्लीय पानी बहता है यह पौधों और जीवों को प्रभावित करता है।
सूखा जमाव (Dry Deposition):- जहां का मौसम सूखा हो, वहां अम्लीय केमिकल धूल या धुआं में मिल जाते हैं और जाकर भवन, वनस्पति, वाहन आदि में जाकर चिपक जाते हैं। फिर बारिश के दौरान यह बह जाते हैं, जिससे वातावरण और अम्लीय हो जाता है।
अम्ल वर्षा की प्रक्रिया (How Acid Rain Takes Place)
प्राकृतिक और मानव निर्मित स्रोतों के द्वारा वातावरण में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड पहुँचते हैं। इनमे से कुछ ऑक्साइड सीधे सूखे जमाव के रूप में धरती पर पहुँच जाते हैं।
सूर्य की रौशनी के कारण वायुमंडल में फोटो ऑक्सीडेंट जैसे ओजोन, का निर्माण होता है। यह फोटो ऑक्सीडेंट सल्फर या नाइट्रोजन के साथ मिलकर सल्फ्युरिक एसिड, नीट्रिक एसिड आदि का निर्माण करते हैं। अम्ल वर्षा में सल्फर, अमोनिया, नाइट्रेट आदि आयन होते हैं जो गीले जमाव के रूप में पृथ्वी पर जमा हो जाते हैं।
अम्ल वर्षा के प्रभाव (Effects of Acid Rain in Hindi)
- अम्ल वर्षा के कारण वातावरण के गंध में बदलाव आने लगता है, आँखों और शरीर में जलन होने लगती है और साँस लेने में दिक्कत आती है। इसके कारण साँस की बीमारियां, अस्थमा, कैंसर जैसे बीमारी हो सकते हैं। इससे खाना और पीने का पानी भी ख़राब होने लगते हैं। इनमे विषैले धातुओं जैसे ताम्बा, कैडमियम, एल्युमीनियम आदि की मात्रा भी बढ़ने लगती है।
- अम्ल वर्षा के कारण हाइड्रोजन आयन और मिट्टी के पोषक तत्व जैसे कि पोटैशियम, मैग्नेशियम आदि में प्रक्रिया हो जाती है जिससे मिट्टी अनुपजाऊ होने लगता है। मिट्टी में नाइट्रेट की मात्रा भी घटने लगती है।
- अम्ल वर्षा के कारण नदियों, तालाबों आदि के पानी विषैले होने लगते हैं एवं उनकी pH मात्रा घटने लगता है जिससे पानी के जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- कई ऐतिहासिक इमारतों भी अम्ल वर्षा के कारण क्षय (corrode) होने लगते हैं। लाइमस्टोन व संगमरमर से बने ईमारत इनके कारण धीरे धीरे नष्ट होने लगते हैं। आगरा में मौजूद ताजमल को अम्ल वर्षा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है।
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T.v. Rog ho jane par kya karna chahiye
लुइस के अनुसार अम्ल व क्षार की परिभाषा लिखो
वे पदार्थ जो जलीय विलियन OH – आयन देते है और इसके अलावा कोई और आयन नही देते अम्ल कहलाते है।
ise rokne ke upaay