पाकिस्तान और अमेरिका के मध्य आतंकवाद तनाव का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। अमेरिका के रक्षा सचिव माइक पोम्पेओ ने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति प्रक्रिया की शुरुआत के लिए हर जिम्मेदार राष्ट्र के लिए 40 वर्ष मुनासिब हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के प्रयासों का इस वक्त सभी को समर्थन करना चाहिए। अमेरिकी रक्षा सचिव ने पाकिस्तान को अफगानिस्तान में शांति के लिए एक कड़ा सन्देश दिया है।
रक्षा सचिव ने पेंटागन में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि उप महाद्वीप में हम शांति प्रक्रिया में सहयोग करने वाले सभी राष्ट्रों की तरफ देख रहे हैं और अफगानिस्तान में जंग को 40 वर्ष हो गए हैं। साथ ही उन्होंने भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का बातचीत के लिए स्वागत किया था।
उन्होंने कहा कि इस वक्त सभी को यूएन, प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी का सहयोग करना चाहिए, जो एक बहतर विश्व और शांति के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम ट्रैक पर हैं और अफगान जनता के संरक्षण के लिए अपना बेहतर प्रदर्शन देंगे।
सोमवार को डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने इमरान खान को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी थी। पत्र में तालिबान के साथ शांति बैठक का आयोजन करने का आग्रह किया गया है। अमेरिका अब इस जंग की समाप्ति चाहता है। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक 17 सालों की इस जंग में तीनों देशों का आर्थिक संतुलन गड़बड़ाया हैं और हज़ारों सैनिक इस जंग में कुर्बान हुए हैं।
अमेरिका नें अफगानिस्तान में लगभग 14 हज़ार सैनिक तैनात किये हुए हैं। यह सैनिक अफगानिस्तान के सैनिकों को प्रशिक्षण में सहायता करते हैं साथ ही इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ अभियान के बारे में निर्देश भी देते हैं। तालिबान के लगातार हमलों के बाद अमेरिका के सैनिक साल 2001 में इस अभियान का हिस्सा बने थे। तालिबान का सितम्बर 2011 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में भी हाथ था।
हाल ही में रूस ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए चरमपंथी तालिबान समूह के साथ शांति वार्ता का आयोजन किया था।