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    अमेरिका-चीन-और-उत्तर-कोरिया

    अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच जंगी हालत बने हुए हैं। उत्तरी कोरिया ने हाल ही में एक हाइड्रोजन बम का परिक्षण कर हालातों को और गर्म कर दिया है। इस बीच यह सवाल भी उठ रहा है, कि यदि किसी प्रकार का युद्ध होता है, तो चीन किस देश का साथ देगा।

    कोरिया और अमेरिका के बीच सालों से तकरार जारी है। इस बीच कई बार ऐसी परिस्थितियां भी आयी, जब लगा कि युद्ध कभी हो सकता है। ऐसे में चीन ने बार बार उत्तरी कोरिया का बचाव किया है। एक और जहाँ वैश्विक तौर पर चीन अमेरिका की मदद करने की बात करता है, वहीँ युद्ध के आसार में यह उत्तरी कोरिया की जुबान बोलता है।

    चीन का उत्तरी कोरिया का साथ देने की कई वजह हैं। पहला, 1961 में चीन और उत्तरी कोरिया के बीच एक संधि हुई थी, जिसमे चीन के युद्ध के हालत में कोरिया का साथ देने की बात कही थी। हाल ही में दोनों देशों ने इस संधि को 2021 तक बढ़ा लिया है।

    इसके आलावा उत्तरी कोरिया के बाज़ारों में चीनी माल का बोलबाला है। चीन के लिए उत्तरी कोरिया व्यापार के नज़रिये से भी बहुत जरूरी है। अगर चीन कोरिया के खिलाफ जाता है, तो उसे इन सभी चीज़ों का सामना भी करना पड़ेगा।

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    इसके अलावा चीन और अमेरिका के बीच भी एक ऐसी संधि है, जो चीन को अमेरिका का साथ देने से रोकता है। आपको बता दें, कोरियाई युद्ध के समय चीन ने उत्तरी कोरिया का साथ दिया था एवं अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी। युद्ध की समाप्ति के दौरान चीन और अमेरिका के बीच यह समझौता हुआ था कि यदि भविष्य में अमेरिका उत्तरी कोरिया पर हमला करता है, तो चीन उत्तरी कोरिया का साथ देने के लिए विवश हो जाएगा।

    इन सब कारणों से अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच चीन की भूमिका काफी बड़ी मानी जा रही है। एक बात तो साफ़ है, कि यदि भविष्य में चीन उत्तरी कोरिया का साथ देता है, तो उसे काफी बड़ा नुकसान हो सकता है। अपने इस कदम से चीन, अमेरिका, जापान और भारत जैसे बड़े देशों को नाराज कर सकता है, जिसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।