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    ईरान की सेना

    ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को अमेरिका संभावित तौर पर एक आतंकी समूह का तमगा दे सकता है। वॉल स्ट्रीट जनरल ने इस रिपोर्ट को प्रकशित किया था। यह पहली दफा होगा जब अमेरिका किसी देश की सेना को आतंकी समूह का दर्जा देगा। इस निर्णय को जल्द अमेरिकी राज्य विभाग करेगा।

    पेंटागन ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और अमेरिकी विभाग से संपर्क में है। साथ ही व्हाइट हाउस और राज्य विभाग ने भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने अमेरिकी पालिसी की वकालत की है जिसमे ट्रम्प प्रशासन तेहरान के खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया दिखा रहा है।

    अमेरिका ने आईआरजीसी से सम्बंधित दर्ज़नो व्यक्तियों और संगठनों को ब्लैकलिस्ट कर रखा है लेकिन संघठन को नहीं किया है। हालिया प्रतिबंधों को मार्च में लागू किया गया था क्योंकि कई कंपनियां और संगठन आईआरजीसी को डॉलर्स और यूरो में मदद मुहैया कर रहे थे।

    साल 2007 में आईआरजीसी की क़ुद्स सेना को आतंकियों का समर्थन करने वाली सेना कहा था और कहा कि ईरान की प्राथमिक सेना अपनी पॉलिसी में निहित आतंकियों और चरमपंथियों को समर्थन करने का पालन कर रही है।

    ईरान ने अमेरिका को मुंहतोड़ जवाबी प्रतिक्रिया देने की धमकी दी है। आईआरजीसी के सुमंदर मोहम्मद अली जाफरी ने साल 2007 में कहा था कि “अगर अमेरिकी सेना इस कदम के साथ आगे बढ़ेंगे तो रेवोलुशनरी गार्ड अमेरिकी सेना को समस्त विश्व में इस्लामिक स्टेट की तरह मानेगी।”

    रिपब्लिकन सीनेटर बेन सस्से ने कहा कि “अमेरिका के इस कदम से तेहरान पर अधिक दबाव बनेगा। उनको आतंकवादी का आधिकारिक दर्जा और इसके परिणाम नए हो सकते हैं लेकिन आईआरजीसी के कसाई लम्बे समय से आतंकवादी है।”

    अमेरिकी अधिकारी ने वॉल स्ट्रीट जनरल के हवाले से कहा कि “दोनों तरफ से बहस वैध है लेकिन यहां निश्चित ही दूसरा और तीसरा स्तर है जिस पर विचार करना जरुरी है। नए नेतृत्व ने इस मसले को अलग तरीके से देखा है।”

    रेवोलुशनरी कॉर्प सर्च  का गठन साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद शिया शासन प्रणाली के संरक्षण के लिए हुआ था। ईरान की सबसे ताकतवर सुरक्षा संघठन आईआरजीसी है। उनका ईरान की अर्थव्यवस्था के अधिकतर क्षेत्रों में प्रभुत्व है और राजनीतिक प्रणाली में काफी प्रभुत्व है। आईआरजीसी के पास तक़रीबन 125000 ताकतवर सैनिक, नौसैनिक और वायु सेना है, जो वरिष्ठ नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनई को रिपोर्ट करते हैं।

    ईरान ने किया पलटवार

    अमेरिका के इस कदम के बदले में ईरानी सेना के मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी नें कहा है कि यदि अमेरिका ऐसा करता है तो ईरान की सेना अमेरिकी सैनिकों को निशाना बना सकती है।

    जाफरी नें रिवार को दिए बयान में कहा कि पश्चिमी एशिया में अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया जा सकता है। जाहिर है उनका इशारा मध्य पूरी, अफगानिस्तान, और पाकिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की ओर था।

    यरूशलम पोस्ट के मुताबिक, ईरानी जनरल नें कहा, “यदि अमेरिकी ऐसा घमंडी कदम उठाते हैं और हमारी राष्ट्रिय सुरक्षा को ताक पर रखते हैं, तो ईरानी सेना इसका निश्चित प्रतिकार करेगी।”

    उन्होनें आगे कहा कि ऐसी स्थिति में अमेरिकी सेना इस इलाके में शान्ति से नहीं रह पाएगी।

    अमेरिका से रक्षा के लिए ईरान इराक से सम्बन्ध मजबूत कर रहा है।

    इराक नें आज ईरान को भरोसा दिलाया है कि वह ईरान के खिलाफ अमेरिका या किसी और देश की मदद नहीं करेगा।

    इराक के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ओथमान अल घनमी ने ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात के दौरान कहा कि “हम किसी तीसरी पार्टी को अपनी सरजमीं का इस्तेमाल ईरान के खिलाफ करने की इजाजत नहीं देंगे।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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