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    अफगानिस्तान के प्रमुख अधिकारी

    अफगानिस्तान के कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्ल्ह ने रविवार को जोर देते हुए कहा कि “सरकार और मुल्क की आवाम शान्ति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तैयार है। जिसका मकसद करीब दो दशकों के गृह युद्ध को खत्म करना है।”

    ख़लीलज़ाद के साथ आवाम

    अब्दुल्लाह ने यह बयान अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद से मुलाकात के बाद दिया था। ख़लीलज़ाद इस वक्त काबुल की यात्रा पर है। अफगान शांति प्रक्रिया पर वैश्विक राय जानने के लिए वह बहुपक्षीय देशों की यात्रा कर रहे हैं।

    अब्दुल्लाह ने शान्ति और स्थिरता के लिए जलमय ख़लीलज़ाद के प्रयासों की सराहना की है और कहा कि “उनके प्रयासों के लिए अफगानिस्तान की जनता उनका समर्थन कर रही है।” मुलाकात के दौरान जलमय ख़लीलज़ाद ने अपनी पिछली बहुपक्षीय यात्राओं के बाबत अब्दुल्लाह को विवरण दिया था।

    ख़लीलज़ाद ने विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ अफगान शान्ति प्रक्रिया के बाबत चर्चा की थी। टोलो न्यूज़ के मुताबिक, दोनों पक्षों ने समावेशी अफगान वार्ता, अफगान शांति के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिणाम, संयुक्त आतंक रोधी प्रयास और देश में शांति स्थापित करने के लिए प्रयासों को जारी रखने के बाबत बातचीत की थी।

    तालिबान के साथ छठी वार्ता

    शनिवार को जलमय ख़लीलज़ाद ने अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की थी। जहां शान्ति प्रक्रिया पर नहीं बल्कि समवेशी अफगान वार्ता की जरुरत पर चर्चा हुई थी। हालिया समय में अमेरिका ने तालिबान और अफगान सरकार को बातचीत के लिए मानाने की काफी कोशिश की थी।

    तालिबान ने फरवरी में अफगानी सरकार के प्रतिनिधियों से रूस में मुलाकात की थी। हालाँकि इसमें गनी सरकार के अधिकारी मौजूद नहीं थे। तालिबान मौजूदा अफगान सरकार से बातचीत के लिए इंकार करता है क्योंकि उनके मुताबिक वह अमेरिकी सरकार के हाथो की कठपुतली है।

    हाल ही में अफगानिस्तान सुलह प्रकिया के अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने कहा कि “अफगानिस्तान की सरजमीं से अमेरिकी सेनाओं की वापसी तभी होगी जब शान्ति समझौता मुकम्मल होगा। हम शान्ति और राजनीतिक समाधान चाहते हैं न कि सेना की वापसी। हम शान्ति की स्थापना करना चाहते हैं जो सेनाओं की वापसी के लिए मैदान तैयार कर सके।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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