Wed. Apr 24th, 2024
    apollo hospital

    नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)| अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड ने आधुनिक कार्डियक तरीकों से सबसे अधिक मामलों में मरीजों के इलाज तथा कार्डियक देखभाल में कौशल का प्रदर्शन किया है। इनमें तीन प्रमुख इनोवेशन्स शामिल हैं- मित्राक्लिप या टीएवीआई (ट्रांस- कैथेटर आर्योटिक वॉल्व इम्प्लान्टेशन) या टीएवीआर (ट्रांस- कैथेटर आर्योटिक वॉल्व रिप्लेसमेन्ट) और एमआईसीएस सीएबीजी या एमआईसीएस (मिनीमली इनवेसिव कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी)।

    भारत में कुल 9 मित्राक्लिप प्रक्रियाएं की गई हैं जिनमें से 6 प्रक्रियाएं अपोलो हॉस्पिटल्स के स्ट्रक्च रल एवं इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी के विशेषज्ञों ने की हैं। इसी तरह अपोलो हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञों ने विश्वस्तरीय कीमतों की तुलना में मात्र आधी या एक तिहाई कीमतों पर 85 से अधिक टीएवीआई टीएवीआर प्रक्रियाओं और 1250 से अधिक एमआईसीएस सीएबीजी प्रक्रियाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों को बरकरार रखते हुए उत्कृष्ट परिणामों के साथ अंजाम दिया है।

    अपोलो हॉस्पिटल्स के संस्थापक एवं चेयरमैन डॉ प्रताप सी. रेड्डी कहा, “एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में हर साल 1.7 करोड़ लोगों की मृत्यु दिल की बीमारियों (कार्डियोवैस्कुलर रोगों) के कारण होती है। आज हमारे पास तकनीक की क्षमता है और हमें इस क्षमता का इस्तेमाल कर दिल की बीमारियों के बढ़ते बोझ से जूझने के लिए अपने आप को सशक्त बनाना चाहिए। हर व्यक्ति तक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य के साथ हम कार्डियक केयर के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। हम अपने मरीजों को आधुनिक तकनीक से लाभान्वित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।”

    अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप की जॉइन्ट मैनेजिंग डायरेक्टर संगीता रेड्डी ने कहा, “आज चिकित्सा के क्षेत्र में तकनीक की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता, तकनीक चिकित्सा क्षेत्र के साथ उसी तरह से जुड़ी है, जैसे शरीर के साथ परछाईं। हम मरीजों की बेहतर नियन्त्रण, बेहतर विकल्प एवं बेहतर जानकारी देने के लिए अपनी सेवाओं को डिजाइन करते हैं। तकनीक के द्वारा जहां एक ओर मरीजों को कम लागत पर बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं, वहीं दूसरी ओर चिकित्सकीय परिणामों में भी सुधार लाया जा सकता है। हमरा मानना है कि तकनीकी हस्तक्षेपों के द्वारा आने वाले समय में चिकित्सकीय परिणामों में सुधार लाया जा सकता है।”

    इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी में आधुनिक तकनीकों पर बात करते हुए सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डॉ साई सतीश ने कहा, “अपोलो हॉस्पिटल्स हमेशा से भारत में मरीजों को अत्याधुनिक थेरेपियां उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत रहा है। इनमें नए संरचित हस्तक्षेप जैसे मित्राक्लिप और टीएवीआई, टीएवीआर शामिल हैं जिनसे दिल की गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे मरीजों को फायदा मिलता है जो सर्जरी नहीं करवा सकते, ऐसे मामलों में उन्हें मिनीमली इनवेसिव थेरेपी दी जाती है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई और आधुनिक तकनीकें मरीज को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराती हैं।”

    अपोलो हॉस्पिटल्स, हैदराबाद में डायरेक्टर डॉ श्रीनिवास कुमार ने कहा, “2018 में अपोलो हॉस्पिटल्स ने सबसे बड़ी संख्या में 19681 मरीजों के कोरोनरी इलाज किए, यह भारत में की गई प्रक्रियाओं में अधिकतम 4.49 फीसदी है। आज अपोलो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स भारत में सबसे अधिक संख्या में कोरोनरी इलाज कर रहा है, 29 कैथलैब सुविधाओं और 300 से अधिक कार्डियोवैस्कुलर चिकित्सकों के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स देश में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में अग्रणी है।”

    1990 और 2016 के बीच भारत में कार्डियोवैस्कुलर रोगों के कारण मृत्यु दर में 34 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गैर संचारी रोगों के कारण समय पूर्व मृत्यु (30 से 69 की उम्र) के मामलों में जोखिम कम करने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें 2025 तक 25 फीसदी कमी शामिल हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *