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    अपक्षय Weathering in hindi

    विषय-सूचि


    मौसम और जलवायु के परिवर्तन के कारण पत्थरों का यंत्रवत विघटन एवं रासायनिक अपघटन होने की प्रक्रिया को अपक्षय (Weathering) कहा जाता है। इनको तीन भागों में विभाजित किया गया है:-

    • रासायनिक
    • भौतिक
    • जैविक

    रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया (chemical weathering in hindi)

    कई अपक्षय प्रक्रियाओं जैसे विलयन, कार्बोनीकरण, जलयोजन, ऑक्सीकरण एवं रेडॉक्स के कारण पत्थर अपघटिक होकर, घुल कर या टूट कर एक अलग आकार ले लेते हैं। पानी और हवा (ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड) उष्णता के साथ मिलकर रासायनिक प्रक्रियाओं को गति देते हैं।

    विलयन (Solution):– जब कोई चीज पानी या  किसी अन्य द्रव्य में घुल जाता है, इस प्रक्रिया को विलयन कहा जाता है। पानी के संपर्क में आने से कई ठोस वस्तुएं विघटित होने लगती हैं। घुलनीय पत्थर सहित खनिज जैसे की नाइट्रेट, फॉस्फेट, सलफेट आदि पर इस प्रक्रिया का असर होता है।  इस कारण यह खनिज बारिश के समय उसमे जल्दी घुल जाते हैं एवं सूखा जलवायु होने पर कहीं जमा हो जाते हैं।

    कार्बोनीकरण:- जब कार्बोनेट एवं बाइकार्बोनेट के साथ खनिज प्रतिक्रिया करते हैं, उसको कार्बोनीकरण कहा जाता है।  वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड और मिट्टी में मौजूद CO2 को पानी सोख लेता है जिससे कार्बोनिक अम्ल का निर्माण होता है।

    जलयोजन:- किसी प्रक्रिया में पानी का रासयनिक रूप से उपयोग जलयोजन कहलाता है। पानी में मिलकर खनिज फ़ैल जाते हैं एवं उनका आयतन भी बढ़ जाता है। जब बार बार यह प्रक्रिया पत्थरों के साथ होती है तो वह विघटित होने लगते हैं।

    ऑक्सीकरण एवं रेडॉक्स प्रक्रिया:- अपक्षय प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन विभिन्न खनिजों के साथ मिलकर प्रक्रिया करता है जिससे ऑक्साइड या हाइड्रोक्साइड का निर्माण होता है। कई जगह मिट्टी का रंग लाल पाया जाता है जो लौह ऑक्साइड के वजह से होता  है। जब ऑक्सीकृत पदार्थों को ऐसी जगहों पर रखा जाता है जहां हवा और पानी पर्याप्त मात्रा में न हो, तो रेडॉक्स प्रक्रिया होती है। इस दौरान ऑक्सीकृत लोहे का लाल रंग नीला या ग्रे रंग में बदल जाता है।

    जैविक प्रक्रियाएं एवं अपक्षय

    किसी वातावरण में जीवों की बढ़ती संख्या के कारण खनिज और आयन घटते जाते हैं, इसे जैविक अपक्षय कहा जाता है। बिल में घर बना कर रहने वाले जंतु जैसे कि केंचुआ, चूहे आदि नए सतहों को प्रकट कर देते हैं जिससे उन सतहों पर हवा में मौजूद नमी के कारण रासायनिक प्रक्रिया होता है।

    पेड़-पौधे लगाने के दौरान या खेती करने के दौरान जब मिट्टी की जुताई होती है, इससे भी हवा और पानी मिट्टी के साथ मिश्रित हो जाते हैं। जब पौधे और जानवर खत्म होने के बाद सड़ने लगते हैं, इससे मिट्टी में कार्बोनिक एसिड, ह्यूमिक आदि अम्लों का निर्माण जो मिट्टी के विलयन में सहायक हैं। शैवाल (algae) आदि भी मिट्टी में मैग्नीशियम ऑक्साइड और लोहे के अम्ल छोड़ते हैं।

    भौतिक अपक्षीय क्रियाएं (physical weathering in hindi)

    भौतिक अपक्षीय क्रियाएं कई बाहरी बलों जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, तापमान में बदलाव के कारण पत्थर के आयतन में बदलाव होना, क्रिस्टलीकरण आदि द्वारा प्रभावित होता है। लगातार अपरदन के कारण पत्थरों की बाहरी परत निकलने लगती है जिससे दबाव के मुक्ति होती है, इससे पत्थरों का विघटन होता है।

    गर्मी के मौसम में पत्थरों के छिद्रों में पानी जमा होने लगता है। फिर सर्दी के दौरान वह पानी जम जाता है जिससे पत्थर का आयतन बढ़ जाता है। इससे पत्थरों की परतों पर काफी दबाव बनने लगता है जिससे पत्थर टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं।

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    2 thoughts on “अपक्षय: परिभाषा और प्रकार”

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