वाराणसी, 12 मई (आईएएनएस)| लोकप्रिय बिरहा गायक हीरालाल यादव का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 93 साल के थे और कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विीट के माध्यम से हीरालाल के निधन पर शोक जताया है।
हीरालाल के पुत्र सत्यनारायण यादव ने बताया, “पिताजी कुछ दिनों से बीमार थे, और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, और घर आने के बाद सुबह लगभग 10 बजे उनका निधन हो गया।”
हीरालाल के परिवार में उनकी पत्नी, छह बेटे तथा तीन बेटियां हैं। उनकी पत्नी भी बीमार हैं और आईसीयू में हैं।
सत्यनारायण ने बताया कि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन कर हीरालाल यादव के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
मोदी ने लोकगायक की मृत्यु पर ट्विटर पर शोक प्रकट करते हुए लिखा, “पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वाराणसी के बिरहा गायक श्री हीरालाल यादव जी के निधन की खबर से अत्यंत दुख हुआ। दो दिन पहले ही बातचीत कर उनका हालचाल लिया था। उनका निधन लोकगायकी के क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके प्रशंसकों और परिवार के साथ हैं।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हीरालाल यादव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
हीरालाल को उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती से सम्मानित किया था। अभी बीते कुछ महीने पहले ही उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 16 मार्च को हीरालाल को पद्मश्री से सम्मानित किया था। अस्वस्थता के बाद भी वह सम्मान ग्रहण करने राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। 70 वर्ष में पहली बार बिरहा को सम्मान मिला था। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में भी इसका उल्लेख कर चुके हैं।
हीरालाल के निधन की खबर मिलने के बाद उनके कई सारे प्रशंसक उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।
वाराणसी लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव और कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय भी हीरालाल यादव के घर पहुंचे और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
भाजपा के उत्तर प्रदेश सह प्रभारी सुनील ओझा ने कहा कि काशी ने अपने एक सच्चे लाल को खो दिया। भाजपा काशी प्रांत के उपाध्यक्ष धर्मेद्र सिंह ने कहा कि देश की लोकगायकी में कोई दूसरा हीरा नहीं मिलेगा।
करीब सात दशक तक हीरा-बुल्लू की जोड़ी गांव शहर में बिरहा की धूम मचाती रही। दोनों ही गायक राष्ट्रभक्ति के गीतों से स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाते रहे। हीरा लाल यादव के साथी बुल्लू यादव का निधन पहले ही हो चुका था।
हीरालाल का जन्म 1936 में चेतगंज स्थित सरायगोवर्धन मुहल्ले में हुआ था। उनका बचपन बहुत गरीबी में गुजरा था। भैंस चराने के दौरान शौकिया गाते-गाते अपनी सशक्त गायकी से उन्होंने बिरहा को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई और बिरहा सम्राट के रूप में प्रसिद्ध हुए।
यह कठोर स्वर साधना का प्रतिफल तो रहा ही, गुरु रम्मन दास, होरी व गाटर खलीफा जैसे गुरुओं का आशीर्वाद भी उनके साथ था। उन्होंने वर्ष 1962 से आकाशवाणी व दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को अपना दीवाना बनाया। भक्ति रस में पगे लोकगीत और कजरी पर भी श्रोताओं को खूब झुमाया, वहीं गायकी में शास्त्रीय पुट ने बिरहा गायन को विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई।