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    पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए सेना को स्वदेशी पुल मिलने से बड़ी राहत मिलने वाली है। भारतीय सेना को आज यानी शुक्रवार को स्वदेशी रूप से विकसित पुल यानी 12 शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम प्राप्त होगा। यह शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम छोटी नदियों और नहरों जैसी भौगोलिक बाधाओं से सेना की मदद करेगा। 10​-10 मीटर ​के ये 12 ​​ब्रिजिंग सिस्टम यानी छोटा पुल​ पाकिस्तान के साथ सटी पश्चिमी सीमाओं पर संचालन के लिए होगा।

    सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे द्वारा दिल्ली कैंट में कोर ऑफ इंजीनियर्स को यह उपकरण सौंपे जाएंगे। इसकी कीमत 492 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रणाली को डीआरडीओ के साथ भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा डिजाइन किया गया है और देश के भीतर लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले एक साल में उद्योगों पर लगाए गए कोरोना प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय सेना को ब्रिजिंग सिस्टम की आपूर्ति समय पर हो रही है।

    शामिल किए जा रहे पुल यांत्रिक रूप से लॉन्च किए गए हैं और विभिन्न प्रकार की जल बाधाओं पर 70 टन तक टैंक ले जाने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली की अनूठी विशेषता मौजूदा ब्रिजिंग सिस्टम के साथ इसकी अनुकूलता है जो पश्चिमी सीमाओं के साथ सभी प्रकार की जल बाधाओं को दूर करने के लिए लचीलेपन को बढ़ाती है।

    उन्होंने कहा कि यह कोर ऑफ इंजीनियर्स की मौजूदा ब्रिजिंग क्षमता को कई गुना बढ़ाता है और हमारे पश्चिमी विरोधी के साथ भविष्य के किसी भी संघर्ष में मशीनीकृत संचालन के समर्थन में एक प्रमुख गेम-चेंजर होगा। क्योंकि इससे बड़ी आसानी से जल बाधाओं को दूर किया जा सकता है और दुश्मनों के किसी भी हरकत का समय पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है।

    उल्लेखनीय है कि इन दिनों भारतीय सेना के सामने नित नई चुनौतियां आ रही हैं। पूर्वी सीमा पर चीन और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ बढ़ते विवाद के बीच देश में ड्रोन अटैक का भी खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय सेना के आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहा है और सेना को स्वदेशी तकनीक के बल पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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