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    Tag: शेयर बाजार

    शेयर बाजार share market in hindi

    आपने कई बार लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि “आज बाज़ार कैसा है?” या फिर आपने अख़बार के पन्नों में ‘बाज़ार में आई तेज़ी’, ‘शेयर बाज़ार हुआ धराशाई’ जैसे शब्द लिखे देखे होंगे।

    ऐसे में आपके मन में भी कभी ख्याल आता होगा कि क्या है निवेश का ये साधन?, जिसे लेकर लोग इतने उतावले रहते हैं? इसी के साथ ही यदि कहीं आपने किसी से ये पूंछ लिया कि ‘शेयर बाज़ार में निवेश कैसे किया जा सकता है?’ तो भले ही उस आदमी को शेयर बाज़ार के बारे में कुछ न पता हो लेकिन वो आपको तमाम तरह की फिजूल जानकारी देकर भ्रमित कर देगा। ऐसे में आप निवेश को लेकर असुरक्षित कदम भी उठा सकते हैं।

    भारत में निवेशकों के बीच निवेश को लेकर दो ही सबसे लोकप्रिय साधन है- सोना और शेयर बाज़ार। तो आइए आज हम जानते हैं कि शेयर बाज़ार में निवेश की शुरुआत किस तरह से की जा सकती है?

    शेयर बाज़ार में निवेश कैसे करें?

    इसके लिए हम आपको सिलसिलेवार ढंग से जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं कि किस तरह आप वर्तमान में कुछ न जानते हुए भी आगे लिखी जानकारी के जरिये शेयर बाज़ार में निवेश के तरीके को समझ कर उसमें निवेश करने की योजना पर अमल कर सकते हैं।

    इसके लिए आपको नीचे लिखे चरणों के तहत आगे बढ़ना होगा-

    1. अपना पैन कार्ड बनवाएँ:

    शेयर बाज़ार में निवेश की पहल शर्त है कि आपके पास पैन यानी ‘परमानेंट अकाउंट नंबर’ होना चाहिए।

    अगर आपके पास पहले से ही पैन कार्ड है, तो आपको नया पैन बनवाने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है तो आपको सबसे पहले पैन कार्ड बनवाना पड़ेगा।

    भारत में हर व्यक्ति के लिए एक अनोखे पैन नंबर का आवंटन आयकर विभाग करता है। जिसकी जरूरत सरकार को कर जमा करने, बैंक खाता खोलने व म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दौरान पड़ती है।

    2. ब्रोकर यानी दलाल के पास जाएँ:

    शेयर बाज़ार से शेयर खरीदने व बेंचने का काम सिर्फ अधिकृत व्यक्ति ही कर सकता है, जिन्हे ब्रोकर या दलाल कहा जाता है। ब्रोकर कोई अकेला व्यक्ति या फिर एक कंपनी भी हो सकती है, जिसका काम शेयर बाज़ार से शेयर को खरीदना व बेंचना होता है।

    ब्रोकर या दलाल सेबी (भारतीय प्रतिभूति व विनियम बोर्ड) में पंजीकृत होते हैं। बाज़ार के कामकाज पर सरकार की ओर से नज़र रखने की ज़िम्मेदारी सेबी के ही ऊपर होती है।

    आप अपने भरोसे के लिए किसी जान पहचान के दलाल के पास जा सकते हैं या किसी पंजीकृत कंपनी के पास भी जा सकते हैं। इसी के साथ अगर आप इंटरनेट पर शेयर के व्यापार को लेकर सहज़ है, तो आप आईसीआईसीआई डायरेक्ट, शेयरखान, कोटक सिक्युर्टीज व इंडिया बुल्स जैसी ऑनलाइन कंपनियों के पास भी जा सकते हैं।

    3. खुलवायें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट

    ब्रोकर से बात हो जाने के बाद आपको एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की ज़रूरत पड़ेगी। डीमैट अकाउंट आपके नाम पर शेयरों को जमा बनाए रखता है, यही शेयर आपके स्टॉक पोर्टफोलियो में नज़र आते हैं।

    डीमैट अकाउंट ब्रोकर द्वारा आपके नाम आर ख़रीदे गए शेयर को अपने पास जमा कर लेता है और जब आप उस शेयर को बेचने का मन बनाते हैं तब आप इसी डीमैट अकाउंट से अपने शेयर को निकाल सकते हैं।

    इसी के साथ यह अकाउंट आपको डीमैट स्टेटमेंट भी उपलब्ध करवाता है।

    शेयर खरीदने पर आपको भौतिक रूप में किसी भी तरह का प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं होता है, बल्कि आपके शेयर को लेकर जानकारी आपके डीमैट स्टेटमेंट में ही होती है।

    शेयर को बेंचने और खरीदने के लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की ज़रूरत पड़ती है। ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये ही आप अपने शेयर के लेन-देन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं। आपके लिए आमतौर पर यह सारा काम आपका ब्रोकर ही करता है।

    ये दोनों ही अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं तथा एक अकाउंट के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है।

    4. डिपॉज़िटरी पार्टीसिपेंट:

    इसके आलवा आपको डिपॉज़िटरी पार्टिसिपेंट को भी ध्यान में रखना होगा। भारत में दो डिपॉज़िटरी पार्टीसिपेंट हैं- एनएसडीएल (नेशनल सेक्युर्टीज पार्टीसिपेंट लिमिटेड) और सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉज़िटरी सर्विस लिमिटेड)। ये दोनों ही डिपॉज़िटरी आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर को अपने पास रखने का काम करती है।

    ऊपर बताया गया डीमैट अकाउंट जहाँ आपके मौजूद शेयर की जानकारी अपने पास रखता है व ट्रेडिंग अकाउंट आपके द्वारा खरीदे और बेंचे गए शेयरों की जानकारी आपको देता है, लेकिन जब आप दलाल के माध्यम से कोई शेयर खरीद लेते हैं तो आपके नाम पर ख़रीदे गए शेयर को जमा करने के लिए डिपॉज़िटरी पार्टिसिपेंट की ज़रूरत पड़ती है। इसका भी लेखा जोखा आपका ब्रोकर ही संभालता है।

    आपके लिए जरूरी है कि आपका ट्रेडिंग अकाउंट डिपॉज़िटरी में भी रजिस्टर हो।

    5. बड़ा निवेश करने के लिए चाहिए होगा यूआईएन:

    अगर आप एक बार में 1 लाख रुपये या उससे भी बड़ा निवेश करा चाहते हैं तो आपको यूआईएन मतलब यूनिक इंडेंटिफिकेशन नंबर लेना होगा। 1 लाख से कम के निवेश के लिए यूआईएन की कोई आवश्यकता नहीं है।

    6. कैसे खरीदें और बेंचें शेयर?

    किसी भी शेयर को खरीदने और बेंचने के लिए आपको अपने ब्रोकर को पहले ही सूचित करना होगा। इसके लिए आपको अपने ब्रोकर को बताना होगा कि आप कौन सी कंपनी का शेयर, किस मात्र में और कितने दाम पर खरीदना या बेंचना चाहते हैं।

    उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी ‘एबीसी’ कंपनी के 10 शेयर, 348 रुपये कीमत पर खरीदना चाहते हैं, तो आपको अपने ब्रोकर को बताना होगा कि शेयर खरीदना:’एबीसी’, मात्रा:10,कीमत:348 रुपये।

    तब आपका ब्रोकर उस कंपनी के शेयर के की कीमत 348 रुपये पर आते ही आपके लिए 10 शेयर खरीद लेगा।

    यही काम आपको तब भी करना है, जब आपने किसी ऑनलाइन ब्रोकर की सुविधा ले रखी है। हालाँकि ऑनलाइन ब्रोकर अब कॉल के माध्यम से भी यह सुविधा आप तक पहुँचा देते हैं।

    अगर आपको किसी शेयर को बेंचना है, तब भी आपको अपने ब्रोकर को इसी तरह से निर्देश देना होगा, जैसे शेयर बेंचना:’एबीसी’,मात्रा:4,कीमत:348 इसी के साथ आपका ब्रोकर आपके डीमैट खाते में पड़े एबीसी कंपनी के 4 शेयरों को 348 रुपये की कीमत पर आने पर बेंच देगा। ब्रोकर को दिया गया निर्देश अधिकतम 2 दिन के लिए ही मान्य होता है। ऐसे में अगर आपका लेन-देन किसी वजह से पूरा नहीं हो पता है, तो आपको उसे दोबारा से शुरू करना होगा।

    भारत में बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज) शेयर बाज़ार के आधार हैं। इन्हीं के तहत शेयरों का व्यापार होता है।

    ऐसे में आपको अपने ब्रोकर ये बात पहले से ही बतानी होगी कि आप किस एक्स्चेंज के शेयर को खरीदना चाहते हैं। दोनों ही एक्स्चेंज के शेयरों के व्यापार में कोई खासा अंतर नहीं होता है।

    शेयर बाज़ार में अपने लेन-देन को लेकर किसी भी तरह की परेशानी होने पर फौरन अपने ब्रोकर से संपर्क करें। शेयर बाज़ार का लेन-देन पूंजी के खेल पर आधारित होता है, कई बार आप फायदे में होते हैं, तो कई बार आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।

    ऐसे में आप शुरुआती दौर में उन कंपनियों के शेयरों पर पैसा लगाएँ जो बाज़ार में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करती है।

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