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    भारत-मालदीव सम्बन्ध

    मालदीव द्वीप समूह भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है और अपने खूबसूरत समुद्री तटों के लिए मशहूर है। भारत-मालदीव सम्बन्ध दक्षिण एशिया की नजर से काफी अहम् हैं।

    छोटा मगर सामरिक नज़रिए से महत्वपूर्ण मालदीव्स, भारत के साथ नज़दीकी एवं दोस्ताना रिश्ते को साझा करता है। भारत-मालदीव के बीच द्विपक्षीय सम्बन्धों की शुरुआत मालदीव्स के 1965 में ब्रितानी शासन से आज़ादी के साथ हुई। भारत मालदीव को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और 1972 में उसने अपना राजनयिक मिशन मालदीव्स की राजधानी माले में स्थापित किया।

    भारत-मालदीव ने अपनी समुद्री सीमाओं का आधिकारिक रूप से 1976 में फैसला कर लिया था। दोनों देशों के बीच 1982 में व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए। श्रीलंका मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार साथी देश है, और भारत से अपने व्यापार के ज़रिये मालदीव ने इसे संतुलन में बनाये रखने की कोशिश की है।

    नवंबर 1988 में मालदीव में तख्तापलट की एक बड़ी कोशिश हुई। मालदीव्स के एक व्यापारी अब्दुल्ला लुथुफ़ी ने यह साज़िश श्रीलंका में रची और अलगाववादी संगठन पीपल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (प्लोटे) के साथ मिलकर मालदीव की सत्ता हासिल करने की कोशिश की। प्लोटे के लगभग 80 लड़ाकों ने राजधानी माले पर समुद्र के रास्ते आकर आक्रमण कर दिया। जल्द ही इन लड़ाकों ने महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों, हवाई अड्डे, बंदरगाह एवं रेडियो-टीवी स्टेशन पर कब्ज़ा जमा लिया।

    हालांकि वे मालदीव के तब के राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को पकड़ पाने में नाकाम रहे और गयूम ने भारत से सैनिक मदद की मांग की। भारत की राजीव गाँधी सरकार ने तुरंत 1600 सदस्यों के सैनिक बल को मालदीव के लिए दिल्ली से रवाना किया। यह बल राष्ट्रपति गयूम की मदद के आग्रह करने के 9 घंटे के भीतर ही माले पहुँच गया। भारतीय सेना ने इसे ‘ऑपरेशन कैक्टस’ नाम दिया और इसकी तत्परता से कुछ ही घंटे के भीतर, माले का नियंत्रण राष्ट्रपति गयूम के पास वापस आ गया। इस ऑपरेशन के दौरान 19 प्लोटे लड़कों की मौत हुई और बाकियों को गिरफ्तार कर मालदीव्स के हवाले कर दिया गया।

    ऑपरेशन की सफलता से दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद मज़बूत हुए और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की तारीफ़ हुई।

    सम्बन्धों को दोनों देशों के नेताओं की उच्च स्तरीय मुलाकातों से मज़बूती मिली है। भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने कार्यकाल में मालदीव की यात्रा की है। मालदीव्स की तरफ़ से पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और मोहम्मद नशीद ने कई बार भारत का दौरा किया। मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने जनवरी 2014 में पहली बार भारत का दौरा किया और मई 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए। अप्रैल 2016 में राष्ट्रपति यामीन ने दोबारा भारत का दौरा किया।

    नरेन्द्र मोदी और अब्दुल्ला यामीन

    दोनों देशों के बीच मंत्रीस्तरीय यात्राओं का भी एक नियमित आदान-प्रदान होता है। इसके तहत भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नवंबर 2014 और अक्टूबर 2015 में मालदीव्स का दौरा किया। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने जुलाई 2015 में मालदीव्स की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में मालदीव्स का दौरा किया।

    वहीँ मालदीव्स की तरफ़ से विदेश मंत्री दुन्या मॉमून ने फरवरी एवं नवंबर 2015, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अहमद ज़ुहूर ने अप्रैल 2015 में भारत का दौरा किया। भारत और मालदीव्स साउथ एशियन एसोसिएशन रीजनल कोऑपरेशन यानि सार्क देशों के संस्थापक सदस्य हैं और हमेशा ही एक-दूसरे का अंतरष्ट्रीय मंचों पर समर्थन किया है।

    भारत द्वारा मालदीव्स को सहयोग: 

    कौशल विकास और क्षमता के निर्माण के लिए भारत ने मालदीव्स में कई महत्वपूर्ण संस्थानों के विकास में सहयोग किया है। इनमें इंदिरा गाँधी मेमोरियल अस्पताल, इंजीनियरिंग एवं पर्यटन के अध्ययन से जुड़े संस्थानों की स्थापना शामिल हैं। भारत मालदीव्स के छात्रों को कई तरह की छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराता है।

    भारत सरकार ने मालदीव में शिक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी से जुड़े कार्यक्रम के लिए 5.3 मिलियन डॉलर लागत की परियोजना को फंड किया।  भारत के एनआईआईटी और ईईईसी द्वारा चलाए गए इस प्रोजेक्ट ने 27 महीने की अवधि (2011-2013) के दौरान कम्प्यूटर कौशल में मालदीव्स के लगभग 5000 शिक्षकों और युवाओं को प्रशिक्षित किया।

    2004 की हिंद महासागर में आई सुनामी ने समूचे मालदीव्स को बुरी तरह प्रभावित किया। इस दौरान भारत सरकार ने तुरंत ही बजट के अंदर 10 करोड़ रुपयों की साहयता राशि मालदीव्स को दी। 2007 में आये ज्वार से मालदीव्स को हुए नुकसान से उबरने के लिए भारत ने फिर 10 करोड़ रूपए की सहायता राशि पहुंचाई।

    भारत ने लंबी अवधी के ऋणों के अलावा मालदीव्स को 40 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन भी उपलब्ध कराई है। भारत के विदेशी इन्फ्रास्ट्रक्चर अलायंस को मालदीव्स में 485 घरों के निर्माण का ठेका दिया गया है।

    द्विपक्षीय व्यापार:

    भात-मालदीव्स के बीच व्यापार 2014-15 के आंकड़ों के मुताबिक 700 करोड़ रूपए है। भारत के द्वारा किये जा रहे मालदीव्स को निर्यात में मुख्य रूप से खेती उत्पाद जैसे सब्जियां, फल, मसाले आदि, दवाइयां, इंजीनियरिंग से जुड़े उपकरण शामिल हैं। वहीँ भारत, मालदीव्स से रद्दी धातु का आयात करता है।

    मौजूदा संकट: 

    5 फरवरी 2018 को मालदीव्स के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में 15 दिन के लिए मालदीव में आपातकाल की घोषणा कर दी। यह घोषणा 1 फरवरी के मालदीव्स उच्च न्यायलय के उस फैसले के बाद हुई जिसमें मालदीव्स के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर चल रहे आतंकवाद से जुड़े मामले में  उन्हें निर्दोष पाया गया और साथ ही कई अन्य नेताओं की रिहाई का आदेश भी दिया गया। इस फैसले को राष्ट्रपति यामीन ने तख्तापलट की कोशिश बताया और किसी भी राजनीतिक बंदी को छोड़ने से इनकार कर दिया।

    मालदीव आपातकाल

    आपातकाल की घोषणा के बाद ही उच्च न्यालालय के मुख्य न्यायाधीश समेत दो जजों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन घटनाक्रमों पर भारत, अमरीका समेत कई देशों ने चिंता जताई है और लोकतंत्र की मज़बूती के लिए न्यायालय के आदेशों का पालन एवं आपातकाल को वापस लेने की अपील भी की है।

    आपातकाल की अवधि 20 फरवरी को 30 दिनों के लिए और बढ़ा दी गयी जिससे की सैन्य दखल से मामले को सुलझाने को लेकर भारत में बहस छिड़ गई है। 14 मार्च की ख़बर के अनुसार मालदीव्स की सरकार ने कहा है कि अब आपातकाल को और आगे नहीं बढ़ाया जाएगा मगर साथ ही राष्ट्रपति यामीन ने भारत को किसी भी तरह के हस्तक्षेप से पीछे रहने की सलाह भी दी है।

    मालूम हो कि 2012 में मालदीव्स में विपक्ष के लंबे चले विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। तब उन्होंने आरोप लगाया था की उनसे बंदूक की नोक पर यह इस्तीफ़ा लिया गया। मोहम्मद नशीद ने 30 सालों तक शासन कर चुके राष्ट्रपति गयूम को देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में हरा कर राष्ट्रपति का पद हासिल किया था।

    2015 में नशीद को आतंकवाद विरोधी क़ानून के अंदर 13 वर्षों की जेल की सज़ा सुनाई गई। इस फैसले की अन्तराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई और इसे राजनीति से प्रेरित बताया गया। 2016 में नशीद को स्वास्थ्य कारणों से ब्रिटेन जाने की इजाज़त दी गई जहाँ उन्हें ब्रिटेन ने राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दे दिया और तब से वे वहीँ है और श्रीलंका का दौरा करते रहते हैं।

    2013 में हुए रष्ट्रपति चुनाव में अब्दुल्ला यामीन ने नशीद पर दूसरे दौर के चुनावों में एक विवादित जीत हासिल की। मौजूदा राष्ट्रपति के चीन के साथ करीबी सम्बन्ध होने के बातें सामने हैं। हिंद महासागर के इस हिस्से से बड़े पैमाने पर समुद्री व्यापार होता है और इसी वजह से आज चीन इस इलाके के रणनीतिक इस्तेमाल के लिए मालदीव्स में बड़ी परियोजनाओं के ज़रिये अपना निवेश बढ़ा रहा है।

    इसमें प्रमुख है चीन का वन बेल्ट वन रोड इनिशिएटिव (ओबीओआर) जिसके तहत वह मालदीव्स में कई मिलियन डॉलर लगा रहा है। चीन के यहाँ एक नौसैनिक अड्डे के विकास की भी खबरें आई हैं जिसपर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है।

    बड़े सामरिक महत्व वाले इस इलाके में ऐसे घटनाक्रमों एवं राजनैतिक अस्थिरता का होना भारतीय नेतृत्व के माथे में ज़ाहिर तौर पर चिंता की लकीरें पैदा करता है।

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