वरुण गांधी बीजेपी के एक कद्दावर नेता हैं, जो लगातार पीलीभीत और सुलतानपुर से सांसद रहे हैं। इस साल वरुण गांधी को उनकी पार्टी नें फिर से सुलतानपुर का टिकट दिया है और उनकी माँ मेनका गांधी को पीलीभीत से टिकट दिया गया है।
आज वरुण गाँधी नें ABP न्यूज़ को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होनें अपनी रणनीति, महागठबंधन और अपने परिवार से सम्बंधित कई बातें की।
वरुण गांधी से जब पूछा गया कि उनकी टिकट को पीलीभीत से सुलतानपुर क्यों कर दिया गया, तो उन्होनें कहा, “कुछ निर्णय पार्टी पर छोड़ने चाहिए और जो पार्टी कहती है उसे निभाना चाहिए। पार्टी में अनुशासन है, जिसका पालन करना चाहिए।”
अपनी माता मेनका गाँधी के पीलीभीत से चुनाव लड़ने पर वरुण गाँधी नें कहा, “सच तो यह है कि उनके लिए यह भी घर है और वह भी घर है। इसलिए हमें कोई चुनौती नहीं है।”
वरुण गाँधी से जब पूछा गया कि उनके सामने इस बार सपा-बसपा गठबंधन के उम्मेदवार हैं तो वरुण गाँधी नें कहा, “देखिये. दो तरह की राजनीति होती है। एक होती है समीकरण की राजनीति, और एक होती है आशावादी राजनीति। मैं आशावादी राजनीति में विश्वास रखता हूँ।”
वरुण गाँधी नें कहा कि उनके क्षेत्र में बड़ी संख्या में जाटव, मुसलमान और यादव समाज के लोग उन्हें ही वोट देंगे।
वरुण गांधी से उनके सांप्रदायिक भाषण पर जब सवाल किया गया, तो वरुण गांधी नें कहा कि उस मामले में हुए केस को वो जीत चुके हैं और उस समय के प्रशासन को उनके माफ़ी मांगनी चाहिए।
क्यों नहीं देते इंटरव्यू?
वरुण गांधी से जब यह सवाल पूछा गया कि पिछले करीबन 7 सालों में उन्होनें कोई भी इंटरव्यू क्यों नहीं दिया, तो वरुण गांधी नें कहा कि पहले वे इंटरव्यू देते थे, लेकिन अब अपने काम पर फोकस करते हैं।
वरुण गांधी नें कहा कि एक ऐसा समय आया जब मैंने सोचा कि मैं अपने आप में गंभीरता लाऊँ और उन्होनें कहा कि वे उन लोगों को गंभीरता से नहीं लेते, जो एक हफ्ते में 4 इंटरव्यू देते हैं।
नरेन्द्र मोदी से टकरार
वरुण गाँधी से यह भी पूछा गया कि उनके और नरेन्द्र मोदी के बीच सम्बन्ध कैसे हैं और वे दोनों कभी एक साथ क्यों नहीं दिखाई देते हैं?
वरुण गांधी नें कहा इस बात में कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह नें हमेशा उनका और उनकी माताजी मेनका गाँधी का ख्याल रखा है। वरुण गांधी नें कहा कि 27 साल की उम्र में बीजेपी नें उन्हें राष्ट्रिय सचिव बनाया, भाजपा में सबसे कम उम्र के राष्ट्रिय महामंत्री बने हैं।
मंत्री ना बनाए जाने पर वरुण गांधी नें कहा कि एक परिवार से दो लोगों को बड़ा किरदार मिले, ऐसा जरूरी नहीं है और ना हमने ऐसा सोचा है। वरुण गांधी नें कहा कि पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं की तरह वे भी एक हैं।
वरुण गांधी नें कहा कि पिछले पांच सालों में उनकी माताजी मंत्री रही हैं और वे सांसद रहे हैं। वरुण के मुताबिक वे अकेले ऐसे व्यक्ति बीजेपी नें हैं, जिनके परिवार के दो लोगों को टिकट मिली है।
वरुण नें आगे नरेन्द्र मोदी को अपने ‘पिता समान’ बताया और कहा कि जब भी उनके जीवन में संकट की घड़ी आई है, तब-तब नरेन्द्र मोदी नें उनका साथ दिया है।
कांग्रेस में शामिल होने पर क्या कहा?
वरुण गांधी नें इस दौरान कांग्रेस में शामिल होने के कयास पर भी जवाब दिया। उन्होनें कहा कि कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहा हूँ।
उन्होनें कहा कि मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूँ, जो दो नावों में सवारी करता हो।
वरुण गांधी नें कहा कि कांग्रेस पार्टी में उनके शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं उठना चाहिए।
अमित शाह के बारे में क्या बोले?
वरुण गांधी से इस दौरान यह भी पूछा गया कि वे अमित शाह की टीम में क्यों नहीं दिखाई देते हैं?
वरुण गांधी नें कहा कि चुनाव में लड़ने के लिए उन्हेनी पार्टी से काफी मदद मिल रही है। बीजेपी अध्यक्ष के रूप में अमित शाह को वरुण गांधी नें कहा कि अमित शाह के नेत्रत्व में बीजेपी जितनी मजबूत है, उतनी मजबूत बीजेपी पार्टी कभी नहीं हुई थी।
उन्होनें कहा कि अटल जी के समय में भी पार्टी इतनी मजबूत नहीं थी।
वरुण गांधी नें अमित शाह से अपने सम्बन्ध को ‘सम्मानजनक’ बताया।
राहुल गांधी पर विचार
वरुण गांधी ने इस दौरान अपने बड़े भाई राहुल गांधी के बारे में भी चर्चा की। उन्होनें राफेल पर राहुल गांधी के आरोपों पर कहा कि उनके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को चोर कहना सही नहीं है।
जब वरुण से पूछा गया कि क्या राहुल गांधी 2019 में मोदी को चुनौती दे सकते हैं, तो वरुण नें कहा कि इस समय देश और लोगों के मन में नरेंद्र मोदी और भाजपा बसे हुए हैं और किसी ओर के लिए इसमें जगह नहीं है।
प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश में आने पर वरुण गांधी नें कहा कि जब पार्टी के कार्यकर्त्ता का मनोबल ही नीचा हो, तो एक व्यक्ति पार्टी को खड़ा नहीं कर सकता है।
लाल कृष्ण आडवाणी को टिकट ना दिए जाने पर वरुण गांधी नें कहा कि सक्रीय राजनीति में कार्य करने की एक उम्र होती है और एक उम्र के बाद आपमें ऊर्जा कम हो जाती है। वरुण गांधी नें नानाजी देशमुख का उदाहरण देते हुए कहा कि एक उम्र के बाद नेताओं को सामाजिक कार्य करने चाहिए।