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    शेख हसीना

    बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना ने विश्व से म्यांमार को एक प्रोत्साहित माहौल तैयार करने के लिए आग्रह किया है ताकि रोहिंग्या शर्णार्थियो का प्रत्यारण शुरू किया जा सके। म्यांमार पर संजातीय समूह रोहिंग्या के खिलाफ अत्याचार के आरोप लगाये गए हैं।

    प्रत्यर्पण के लिए सुरक्षित माहौल बनाए म्यांमार

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, बंगलादेशी प्रधानमन्त्री शेख हसीना ने कहा कि “रोहिंग्या सनकत बांग्लादेश के लिए एक विकत चुनौती है हम इस संकट का एक शांतिपूर्ण और तत्काल समाधान करना चाहते हैं। म्यांमार ने इस संकट को जन्म दिया है और इसका हल भी म्यांमार में हैं।”

    म्यांमार ने रखाइन राज्य में मुस्लिमो अल्पसंख्यको के खिलाफ हिंसक अभियान की शुरुआत की थी। अधिकतर रोहिंग्या शर्णार्थियो ने म्यांमार में पनाह ली है। रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ साल 2012 से जारी है। सैन्य शासन ने रोहिंग्या अल्पसंख्यको के खिलाफ अभियान की शुरुआत की थी इसके परिणाम स्वरुप 24000 हत्याएं की गयी थी।

    बांग्लादेश ने शर्णार्थियो के लिए अपनी सीमाओं को खोल दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 750000 रोहिंग्या व्यक्ति, महिलाएं और बच्चो ने हिंसा की शुरुआत के बाद सीमा को पार दिया था। विश्व म्यांमार में हिंसा की तरफ देख रहा है और चिंतित है कि इस संकट के समय कई देशो ने अपनी सीमाओं को बंद कर लिया था जबकि म्यांमार ने शरणार्थियो के लिए अपने देश के द्वार खोल दिए हैं।

    तुर्की जैसे देशो ने बंगलादेशी विभागों से शरणार्थियो के लिए जमीन मुहैया करे का आरह किया था। तुर्की के विदेश मन्त्री मेव्लुट कावुसोग्लू ने कहा कि “हमने बांग्लादेश से जमीन मुहैया करने का आग्रह किया है जैसे हमने तुर्की में सीरिया के शरणार्थियो के लिए की है, जहाँ विश्व के ससे बेहतरीन शिविर है।”

    तुर्की उन देशो में शुमार है जिन्होंने बांग्लादेश को मदद करने का प्रस्ताव दिया था और म्यांमार से शरणार्थियो की वापसी के लिए सुरक्षित माहौल का निर्माण करने की मांग है।

    मई 2018 में म्यांमार ने ऐलान किया था कि 1100 निरीक्षित रोहिंग्या शर्णार्थियो का प्रत्यर्पण कर दिया जाएगा। जून 2018 को म्यांमार और यूएन ने एक गोपनीय समझौते पर दस्तखत किये थे जिसकी जानकारी ऑनलाइन लीक हो गयी थी, शर्णार्थियो ने इसे ख़ारिज कर दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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