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    कंप्यूटर नेटवर्क में ip एड्रेसिंग- क्लासफुल और क्लासलेस ip addressing in hindi, classful addressing, classless addrssing, computer network

    विषय-सूचि

    आईपी एड्रेसिंग क्या है? (id addressing in hindi)

    IP एड्रेस एक ऐसा पता है जो ये बताता है कि किसी ख़ास होस्ट तक कैसे पहुंचना है (ख़ास कर LAN के बाहर)।

    ये 32 बिट का एक यूनिक एड्रेस होता है जो कि 2^32 एड्रेस स्पेस होता है। IP एड्रेस को लिखने के दो अलग-अलग तरीके हैं और वो हैं:

    • डॉटेड दशमलव नोटेशन
    • हेक्साडेसीमल नोटेशन

    डॉटेड डेसीमल नोटेशन के बारे में आपको ये बातें जाननी चाहिए:

    • किसी भी सेगमेंट (बाइट) का मान 0 से 255 के बीच में हो सकता है (दोनों को मिला कर)।
    • किसी भी सेगमेंट में 0 पहले नहीं आना चाहिए। जैसे कि 054 लिखना गलत है और 54 लिखना सही।

    क्लासफुल एड्रेसिंग क्या है? (classful addressing in hindi)

    32 बिट के IP एड्रेस को कुल 5 क्लासों में विभाजित किया गया है और वो हैं:

    • क्लास A
    • क्लास B
    • क्लास C
    • क्लास D
    • क्लास E

    इन सभी क्लासेज के पास एक IP एड्रेस का एक प्रमाणित रेंज होता है। क्लास D को मल्टीकास्ट और E को एक्सपेरिमेंट के कार्य के लिए रिज़र्व रखा गया है। पहले ओक्टेर में बिट का क्रम ही IP एड्रेस के सारे क्लासेज को तय करता है।

    IPv4 को कुल दो भागों में बांटा गया है:

    • नेटवर्क ID
    • होस्ट ID

    IP एड्रेस के क्लासेज को इन चीजों को तय करने के लिए किया जाता है:

    • नेटवर्क ID और होस्ट ID
    • उस ख़ास क्लास में सम्भव कुल होस्ट और नेटवर्क की संख्या।

    प्रत्येक इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) या नेटवर्क संचालक अपने नेटवर्क से कनेक्ट हुए सारे devices को IP एड्रेस मुहैया कराता है।

    netidhostid

    Note: IP addresses को पूरी दुनिया में इन्टरनेट Assigned नंबर्स अथॉरिटी (IANA) और रीजनल इन्टरनेट  registries (RIR) द्वारा गवर्न किया जाता है।

    नोट– कुल होस्ट IP एड्रेस की संख्या की गणना करते समय 2 IP एड्रेस को नहीं गिना जाता है क्योंकि कुल संख्या से ये घटा हुआ होता है। किसी भी नेटवर्क का पहला IP एड्रेस नेटवर्क संख्या होता है जबकि अंतिम IP एड्रेस को ब्रॉडकास्ट IP के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

    क्लास A

    क्लास A के सम्बन्ध रखने वाले सारे IP एड्रेस को उस नेटवर्क को असाइन किया जाता है जो ज्यादा संख्या में होस्ट को रखते हैं:

    • नेटवर्क ID8 बिट लम्बा होता है।
    • होस्ट ID24 बिट लम्बा होता है।

    क्लास A के पहले ओक्टेट में हायर आर्डर बिट को हमेशा 0 सेट किया जाता है। ओक्टेट में बचे बांकी के 7 बिट को नेटवर्क ID तय करने के लिए रखा जाता है।

    24 बिट के होस्ट ID का प्रयोग किसी भी नेटवर्क में होस्ट को तय करने के लिए किया जाता है। क्लास A के लिए डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क 255.x.x.x. होता है। इसीलिए क्लास A के पास कुल होते हैं:

    • 2^7= 128 नेटवर्क ID
    • 2^24 – 2 = 16,777,214 होस्ट ID

    क्लास A से सम्बन्ध रखने वाले IP एड्रेस के रेंज 1.x.x.x – 126.x.x.x होता है।
    क्लास B

    IP address belonging to class B are assigned to the networks that ranges from medium-sized to large-sized networks.

    क्लास B से सम्बन्ध रखने वाले सारे IP एड्रेस को उन नेटवर्क को असाइन किया जाता है जिनका रेंज मध्यम साइज़ से बड़े साइज़ तक होता है:

    • नेटवर्क ID 16 बिट लम्बा होता है।
    • होस्ट IDभी 16 बिट लम्बा होता है।

    क्लास B के पहले ओक्टेट के हायर आर्डर बिट को हमेशा 10 सेट किया जाता है। बांकी के 14 बिट को नेटवर्क ID को तय करने के लिए रखा जाता है।

    16 बिट के होस्ट ID को किसी भी नेटवर्क में होस्ट को तय करने के लिए किया जाता है। क्लास B के लिए डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क है- 255.255.x.x. क्लास B के पास कुल होते हैं:

          • 2^14 = 16384नेटवर्क एड्रेस
          • 2^16 – 2 = 65534 होस्ट एड्रेस
              क्लास B से सम्बन्ध रखने वाले IP एड्रेस का रेंज 128.0.x.x – 191.255.x.x. होता है।

    क्लास C

    क्लास C से सम्बन्ध रखने वाले सभी IP एड्रेस को छोटे साइज़ के नेटवर्क को असाइन किया जाता है।

    • नेटवर्क ID 24 बिट लम्बा होता है।
    • होस्ट ID8 बिट लम्बा होता है।

    क्लास C के पहले ओक्टेट के हायर आर्डर बिट को हमेशा 110 सेट करते हैं। बांकी के 21 बिट्स का प्रयोग नेटवर्क ID का फैसला करता है। जबकि होस्ट ID के 8 बिट को होस्ट तय करने के लिए किया जाता है।क्लास C के लिए डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क है- 255.255.255.x.क्लास C में कुल होते हैं:

    • 2^21 = 2097152नेटवर्क एड्रेस
    • 2^8 – 2 = 254होस्ट एड्रेस

    क्लास  C से सम्बन्ध रखने वाले IP एड्रेस का रेंज 192.0.0.x – 223.255.255.x. होता है।

    क्लास D

    क्लास D से सम्बन्ध रखने वाले IP एड्रेस का प्रयोग मल्टीकास्टिंग के लिए किया जाता है। क्लास D से सम्बन्ध रखने वाले IP एड्रेस के पहले ओक्टेट का हायर आर्डर बिट हमेशा 1110 सेट होता है। बांकी के बचे हुए बिट्स से होस्ट को पहचाना जाता है।

    क्लास D के पास कोई सबनेट मास्क नहीं होता. इस से जुड़े IP एड्रेस का रेंज 224.0.0.0 – 239.255.255.255. होता है।

    क्लास E

    क्लास D से जुड़े सभी IP एड्रेस को एक्सपेरिमेंट और रिसर्च के कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इनका रेंज 240.0.0.0 – 255.255.255.254 होता है।

    इस क्लास का भी क्लास Dकी तरह ही कोई सबनेट मास्क नहीं होता क्लास E के पहले ओक्टेर का हायर आर्डर बिट हमेशा 1111 सेट होता है।

    स्पेशल IP एड्रेस के रेंज

    169.254.0.0 – 169.254.0.16 : लिंक लोकल एड्रेस
    127.0.0.0 – 127.0.0.8 : लूप-बैक एड्रेस
    0.0.0.0 – 0.0.0.8 : नेटवर्क के अंदर संचार करने के लिए प्रयोग किया जाता है

    होस्ट ID असाइन करने के नियम (rules to assign host id)

    होस्ट id का प्रयोग किसी भी नेटवर्क के अंदर होस्ट को पहचानने के लिए किया जाता है. होस्ट ID को असाइन करने के निम्नलिखित नियम हैं:

    • किसी भी नेटवर्क के अंदर, उस नेटवर्क के लिए वो होस्ट ID यूनिक होना चाहिए।
    • ऐसे होस्ट ID जिनके सारे बिट को शून्य सेट किया गया हो उसे असाइन नहीं किया जा सकता क्योंकि इस होस्ट ID का प्रयोग IP एड्रेस के नेटवर्क ID को दिखाने के लिए किया जाता है
    • ऐसी होस्ट ID जिनके सारे बिट्स को 1 सेट किया गया हो उसे भी नहीं असाइन किया जा सकता क्योंकि इस होस्ट ID को उस ख़ास नेटवर्क के अंदर मौजूद सारे होस्ट को पैकेट भेजने के लिए ब्रॉडकास्ट एड्रेस की तरह प्रयोग किया जाता है।

    नेटवर्क ID असाइन करने के नियम (rules to assign network id)

    समान फिजिकल नेटवर्क पर स्थित सभी होस्ट को नेटवर्क ID द्वारा पहचाना जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि समान नेटवर्क पर मौजूद सारे होस्ट को एक ही नेटवर्क ID दी जाती है। नेटवर्क ID असाइन करने के लिए निम्नलिखित नियम होते हैं:

    • नेटवर्क ID 127 से शुरू नहीं हो सकता क्योंकि 127 क्लास A एड्रेस से सम्बन्ध रखता है औरइसको इंटरनल लूप-बैक फंक्शन के लिए रिज़र्व रखा जाता है।
    • जिस नेटवर्क ID के सभी बिट्स को 1 सेट किया जाता है उनका प्रयोग IP ब्रॉडकास्ट एड्रेस की तरह किया जाता है। इसीलिए उनका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
    • जिस नेटवर्क ID के सभी बिट्स को 0 सेट किया जाता है उनका प्रयोग लोकल नेटवर्क पर किसी ख़ास होस्ट को दिखाने के लिए किया जाता है और उन्हें rout नहीं किया जाता। इसीलिए उनका प्रयोग नहीं होता।

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    क्लासफुल एड्रेसिंग की समस्याएं (drawbacks of classfull addressing in hindi)

    क्लास्सफुल एड्रेसिंग के साथ समस्या ये है कि लाखों क्लास A और B के एड्रेस बर्बाद हो जाते हैं यानी कि उनका प्रयोग नहीं हो पाटा।

    वहीं दूसरी तरफ क्लास C में इतने कम एड्रेस हैं कि वो संस्थाओं की जरूरत ही नहीं पूरी कर पाते और कम पड़ जाते हैं।

    क्लास D के एड्रेस को मल्टीकास्ट routing के लिए प्रयोग करते हैं और वो एक सिंगल ब्लाक के रूप में ही उपलब्ध है। और रही बात क्लास E के एड्रेस की तो वो रिज़र्व होते हैं।

    इन्ही सारी समस्याओं के कारण क्लासफुल नेटवर्किंग को क्लासलेस इंटर-डोमेन routing (CIDR) द्वारा 1993 में रिप्लेस किया गया। अब हम आगे क्लासलेस एड्रेसिंग की बात करेंगे।

    नेटवर्क एड्रेस और मास्क (network address and mask)

    नेटवर्क एड्रेस– ये इन्टरनेट पर किसी नेटवर्क की पहचान करता है। इसका प्रयोग कर के हम एक एड्रेस के रेंज को पा सकते हैं और नेटवर्क में कुल सम्भव होस्ट की संख्या भी जान सकते हैं।

    मास्क– ये एक 32 बिट का बाइनरी संख्या है जो एड्रेस ब्लाक में तब नेटवर्क एड्रेस देता है जब AND ऑपरेशन को मास्क या ब्लाक पर किसी भी IP एड्रेस पर बिटवाइज अप्लाई किया जाता है।

    विभिन्न क्लासेज में डिफ़ॉल्ट मास्क हैं:

    क्लास A – 255.0.0.0

    क्लास B – 255.255.0.0

    क्लास C – 255.255.255.0

    उदाहरण

    IP एड्रेस 132.6.17.85 दिया गया है और क्लास B का डिफ़ॉल्ट मास्क है ,तो beginning एड्रेस यानि नेटवर्क एड्रेस निकालिए।

    हल: क्लास B का डिफ़ॉल्ट मास्क है- 255.255.0.0

    इसका मतलब ये हुआ कि केवल पहले 2 बीते को preserve किया आज्ञा है और बांकी व बाइट को 0 सेट किया गया है।

    इसीलिए, नेटवर्क एड्रेस होगा- 132.6.0.0.

    Subnetting: इसका अर्थ हुआ एड्रेस के बड़े ब्लाक को बहुत सारे छोटे एड्रेस ब्लॉक में विभाजित करना और इन सब-ब्लॉक को विभिन्न छोटे नेटवर्क को असाइन करना। क्लासलेस एड्रेसिंग में इसे काफी प्रयोग में लाया जाता है।

    क्लासलेस एड्रेसिंग (classless addressing in hindi)

    IP एड्रेस की बर्बादी रोकने के लिए सब-नेटिंग का प्रयोग करते हैं। इसमें होस्ट ID बिट्स को क्लासफुल IP एड्रेस के नेट ID बिट्स की तरह प्रयोग किया जाता है।

    हम IP द्द्रेस देते हैं और उसके साथ ही मास्क के लिए बिट्स की संख्या भी परिभाषित कर देते हैं (सामान्यतः ‘/’ चिन्ह के बाद)। जैसे, 192.168.1.1/28.

    यहाँ सबनेट मास्क निकालने के लिए दिए गये 32 बिट्स की संख्या में से कुछ की जगह 1 डाल कर करते हैं।

    जैसे, दिए गये एड्रेस में हमे 32 में से 28 की जगह 1 डालना होगा और बांकी की जगह 0 डालना होगा। इस तरह सबनेट मास्क होगा- 255.255.255.240.

    सबनेटिंग के कुछ वैल्यूज (values of subnetting)

    1. सबनेट्स की संखया: मास्क के लिए दिए गये बिट्स –डिफ़ॉल्ट मास्क में बिट्स की संख्या

    2. सबनेट एड्रेस:सबनेट मास्क और दिए गये IP एड्रेस का AND परिणाम

    3. ब्रॉडकास्ट एड्रेस: सारे होस्ट बिट्स की जगह 1 डालकर औरनेटवर्क बिट्स जैसा IP एड्रेस में है वैसा ही रखने पर

    4. प्रत्येक सबनेट में होस्ट की संख्या : 2(32 – मास्क के लिए दिए गये बिट्स) – 2

    5. पहली होस्ट ID: सबनेट एड्रेस + 1 सबनेट एड्रेस के बाइनरी रूप में 1 को जोड़ कर)

    6. अंतिम होस्ट ID: सबनेट एड्रेस  +कुल होस्ट की संख्या

    उदाहरण

    प्रश्न: दिया गया IP एड्रेस है- 172.16.0.0/25, सबनेट्स की संख्या ज्ञात करें और होस्ट पर सबनेट भी ज्ञात करें। इसके अलावा पहले सबनेट ब्लॉक के लिए सबनेट एड्रेस, पहली होस्ट ID, अंतिम होस्ट ID और ब्रॉडकास्ट एड्रेस पता करें।

    हल: चूँकि ये एक क्लास B द्द्रेस है, इसीलिए सबनेट्स की संख्या= 2(25-16) = 29 = 512.

    होस्ट सबनेट की संख्या= 2(32-25) – 2 = 27 – 2 = 128 – 2 = 126

    पहले सबनेट ब्लॉक के लिए, सबनेट एड्रेस= 0.0,

    पहली होस्ट ID= 0.1,

    अंतिम होस्ट ID= 0.126, और

    ब्रॉडकास्ट एड्रेस= 0.127

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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