Rains in March’23: उत्तर पश्चिम भारत, तथा मध्य भारत के कई राज्यों में मार्च के महीने में हर दूसरे तीसरे दिन आसमान से कहीं तेज बारिश तो कहीं बारिश के साथ-साथ आँधी, तूफ़ान और ओलावृष्टि की घटनाएं सामने आयी है। इस वजह से रबी फसलों को भारी नुकसान की संभावना जताई जा रही है।
फरवरी के महीने में सामान्य तौर पर बारिश की उम्मीद की जाती है, लेकिन इस साल फरवरी लगभग सूखा ही रहा था। जबकि मार्च में तपिश बढ़ती है और मौसम सूखा रहता था, इस साल मार्च के महीने में उतर, पूरब, उत्तर-पश्चिम तथा मध्य भारत के ज्यादातर राज्यों में औसत और उम्मीद से कई गुना ज्यादा बारिश हुई है।
इसी क्रम में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह चेतावनी जारी की है कि 30 मार्च से लेकर 1-2 अप्रैल तक दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों में तेज बारिश, आँधी और ओलावृष्टि हो सकती है।
Light to moderate convective clouds seen over north Rajasthan adjoining Punjab & Haryana, Chhattisgarh adjoining East Madhya Pradesh and pic.twitter.com/koLfyUebdl
— India Meteorological Department (@Indiametdept) March 29, 2023
Rains in March’23 का लेखा-जोखा
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के क्षेत्र वर्गीकरण प्रणाली के अनुसार उत्तर पश्चिम भारत में कुल 10 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) में से 6 राज्यों/UT क्रमशः दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ में मार्च महीने में औसत से काफ़ी ज्यादा बारिश दर्ज किया गया है।
उत्तराखंड में बारिश का स्तर सामान्य ही रहा जबकि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में इस महीने औसत से कम बर्षा हुई है।
बारिश का यह दौर मार्च के मध्य में यानी लगभग 2 हफ्ते पहले शुरू हुआ था और अब तक जारी है।
पश्चिमी विक्षोभ (WD) है कारण
दरअसल मार्च के महीने में हो रही मूसलाधार बारिश (Rains) की वजह आम तौर पर “जलवायु परिवर्तन(Climate Change)” बताया जा रहा है। परन्तु यह मात्र अर्ध सत्य है और असली वजह का बेहद सरलीकरण किया जाना कहा जा सकता है।
मार्च के मध्य से लेकर अभी तक लगातार में हो रही बारिश की वजह एक है – “पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances)” ।
भूगोल की भाषा में, पश्चिमी विक्षोभ (WD)एक प्रकार का तूफान है जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं। यह विक्षोभ पश्चिम से पूरब की ओर अत्याधिक ऊंचाई पर वेस्टरली जेट धाराओं (Westerly Jet Stream) के साथ चलते हैं। ये तूफ़ान अपने साथ भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से वातावरण की उच्च परतों में नमी साथ लाते है।
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती हैं और सर्दियों में ख़ासकर जनवरी के अंत से लेकर फरवरी के उत्तरार्द्ध तक बारिश, तूफ़ान और हिमपात (Rains & Hailstorms) के लिए जिम्मेदार होती हैं।
कमजोर पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत मे फसल की विफलता और पानी की कमी के लिए जिम्मेदार माना जाता है जबकि इसका मजबूत होना फसलों की उपज और पानी की उपलब्धता के लिहाज से अच्छा होता है।
आम तौर पर भारत मे फरवरी में बारिश (Rains) होती है और मार्च सूखा रहता है। लेकिन इस बार इसके विपरीत फरवरी सूखा रहा, और मार्च में बारिश हुई है। इसकी वजह है कि पश्चिमी विक्षोभ (WD) का अपने सामान्य समय की तुलना में देर से भारत मे आना; और यह देरी क्यों हुई, इसका स्पष्ट कारण तो नहीं है लेकिन वैज्ञानिक “जलवायु परिवर्तन” को जिम्मेदार बता रहे हैं।
ख़ैर, इस बेमौसम बरसात (Unexpected Rains) की वज़ह से यह जरूर है कि औसत तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है और लोगों को सामान्य तौर पर जो तपिश का सामना हर साल करना पड़ता था, उस से थोड़ी राहत मिली है। लेकिन इसकी वजह से हुए रबी फसलों और सब्जियों के नुकसान की वजह से फल और सब्जियों के दाम बढ़ सकते हैं और जेब का तापमान बढ़ सकता है।