भारतीय उच्चायोग ने मंगलवार को श्रीलंका के स्थानीय सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों को “फर्जी और स्पष्ट रूप से गलत” बताया है। श्रीलंकन सोशल मीडिया पर की लोग ये दवा कर रहे थे कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्य भारत भाग गए हैं।
High Commission has recently noticed rumours circulating in sections of media & social media that certain political persons and their families have fled to India.
These are fake and blatantly false reports,devoid of any truth or substance.High Commission strongly denies them.— India in Sri Lanka (@IndiainSL) May 10, 2022
“उच्चायोग ने हाल ही में मीडिया और सोशल मीडिया के वर्गों में फैल रही अफवाहों पर ध्यान दिया है कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति और उनके परिवार भारत भाग गए हैं। ये फर्जी और स्पष्ट रूप से झूठी रिपोर्ट हैं, जिनमें कोई सच्चाई या सार नहीं है। उच्चायोग उनका दृढ़ता से खंडन करता है, ” भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा।
इतना ही नहीं, उच्चायोग ने भारत द्वारा श्रीलंका में अपनी सेना भेजने के बारे में मीडिया और सोशल मीडिया के वर्गों में रिपोर्टों का भी खंडन किया है।
“उच्चायोग मीडिया और सोशल मीडिया के वर्गों में #भारत द्वारा श्रीलंका में अपनी सेना भेजने के बारे में सट्टा रिपोर्टों का स्पष्ट रूप से खंडन करना चाहेगा। ये रिपोर्ट और इस तरह के विचार भी की स्थिति के अनुरूप नहीं हैं । #भारत सरकार।” (हिंदी अनुवाद )
The High Commission would like to categorically deny speculative reports in sections of media and social media about #India sending her troops to Sri Lanka. These reports and such views are also not in keeping with the position of
the Government of #India. (1/2)— India in Sri Lanka (@IndiainSL) May 11, 2022
श्रीलंका में चल रही मानव निर्मित आपदा पर प्रतिक्रिया में, भारत ने मंगलवार को कहा कि वह श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का “पूरी तरह से समर्थन” करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नई दिल्ली में कहा, “भारत हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यक्त श्रीलंका के लोगों के सर्वोत्तम हितों द्वारा निर्देशित होगा।”
महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफे के बाद से ही उनके ठिकाने को लेकर ये कयास लगाया जा रहा है कि वो कहा है। यह बताया जा रहा है कि वे अपने कार्यालय-सह-आधिकारिक निवास, टेंपल ट्रीज़ में अब नहीं है।
इस बीच, श्रीलंका के शीर्ष नागरिक उड्डयन अधिकारी ने मंगलवार को सोशल मीडिया की अटकलों को खारिज कर दिया और कहा कि वह “अवैध परिवहन और श्रीलंका से किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को हटाने” में शामिल नहीं था।
महिंदा राजपक्षे के अनुयायियों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद, अधिकारियों ने राज्यव्यापी कर्फ्यू लगा दिया और राजधानी में सेना तैनात कर दी। इस अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच 76 वर्षीय महिंदा राजपक्षे ने दे प्रधान मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया। इस घटना के बाद राजपक्षे समर्थक नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
प्रदर्शनकारी त्रिंकोमाली के पूर्वी बंदरगाह क्षेत्र में सैन्य सुविधा के पास एकत्र हुए, यह मानते हुए कि महिंदा राजपक्षे ने वहां शरण मांगी थी।
उनकी गिरफ्तारी की मांग विशेष रूप से तब बड़ी जब एक भीड़ को उकसाने में उनकी कथित संलिप्तता कि बात सामने आई । उस भीड़ ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सहित राजपक्षे परिवार को इस्तीफा देना चाहते थे।
झड़पों में कम से कम 8 लोगों ने अपनी जान गवाई, जबकि 250 से अधिक लोग घायल हो गए, जिसमें सत्ताधारी पार्टी के राजनेताओं की कई संपत्तियों को भी आग लगा दी गई।