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    Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका के नए वित्त मंत्री ने अपना पद स्वीकार करने के एक दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया

    श्रीलंका के नए वित्त मंत्री व पूर्व न्याय मंत्री अली साबरी ने शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

    “मैं  तत्काल प्रभाव से वित्त मंत्री के पद से अपना इस्तीफा देता हूं,” साबरी ने  राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को एक पत्र में कहा, जिन्होंने अपने भाई, बेसिल राजपक्षे को वित्त मंत्री का पद छोड़ने के बाद सबरी को नियुक्त किया था।

    “अभी  मेरा विचार है, महामहिम, की आप इस अभूतपूर्व  से निपटने के लिए उपयुक्त अंतरिम व्यवस्था करें, नए वित्त मंत्री की नियुक्ति सहित नए और सक्रिय और अपरंपरागत कदम उठाए।” ( हिंदी अनुवाद) 

    साबरी ने कहा, “हालांकि मुझे हुई असुविधा के लिए खेद है, मेरा मानना ​​है कि मैंने हमेशा देश के सर्वोत्तम हित में काम किया है।”  देश अभी जिस दौर से गुज़र रहा है उसे समस्याओं को हल करने के लिए ‘ सक्रिय और अपरंपरागत कदम’ की आवश्यकता है।”( हिंदी अनुवाद)

    साबरी वित्त मंत्री चुने जाने से पहले न्याय मंत्री थे। वह इस महीने के अंत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ श्रीलंका के आर्थिक संकट पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राज्य का दौरा करने वाले थे। IMF ने श्रीलंका में चल रहे इस अर्थ व्यवस्था की त्राहि को लेकर चिंता व्यक्त करि है और ये भी कहा है की वो श्री लंका के हालातों की  ‘बहुत बारीकी से’ निगरानी कर रहा है। 

    साबरी का इस्तीफा सत्ताधारी गठबंधन के बहुमत खोने के बाद आया है जब विपक्ष ने राजपक्षे के ‘एकजुट सरकार’ के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। राजपक्षे के गठबंधन से अपना नाता तोड़ने वाली श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के नेता मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा, “हमारी पार्टी लोगों के पक्ष में है।”

    श्रीलंका सरकार अभी भी स्वतंत्र सांसदों की मदद से काम कर सकती है लेकिन संकट से निपटने के लिए वह  बहुत कमजोर हो गई है।

    खाद्य और ईंधन की बढ़ती कीमतों और विदेशी कर्ज के विरोध में सोमवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के मंत्रिमंडल के सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड काबराल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

    सरकार को नियंत्रित करने वाले शक्तिशाली राजपक्षे परिवार के खिलाफ असंतोष पिछले कुछ दिनों से लोगो के ज़ेहन में था  परन्तु हालत देश के इतने ख़राब हो चुके थे की  पानी सर के ऊपर चला गया। सैकड़ों लोग ने राष्ट्रपति के कोलंबो के घर पर धावा बोला और अपने क्रोध का प्रदशन किया।  

    प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई हिंसा में एक दर्जन से अधिक घायल हो गए। राजपक्षे ने आपातकाल की घोषणा की और सेना को व्यापक अधिकार सौंप दिए। सप्ताहांत में देशव्यापी कर्फ्यू भी लगाया गया था।

    श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जिसमें से इस साल 4 अरब डॉलर का कर्ज है, जिसमें से 1 अरब डॉलर का भुगतान जुलाई में करना है। देश के पास केवल 2.31 अरब डॉलर ही बचें है मुद्रा भंडार में।

    श्रीलंका ने अपनी अधिकांश विदेशी मुद्रा समाप्त कर दी है और आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, ईंधन, दवाओं आदि के लिए भुगतान करने में  भी उनके पास ज़्यादा संसाधन नहीं है।

    भारत ने 2 बिलियन डॉलर से अधिक की ऋण सहायता  की है और 500 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त ईंधन सहायता का भी एलान किया है। श्रीलंका ने भी चीन से मदद की गुहार लगाई है।

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