BPSC TRE3.0 Paper Leak: आजकल सोशल मीडिया का जमाना है और पिछले 2-3 दिनों से एक संदेश वायरल है कि “साल 2024 को लीप ईयर नहीं, बल्कि लीक (Paper leak) ईयर घोषित करना चाहिए।” पहली नज़र में तो यह संदेश वाक़ई कमाल की तुकबंदी लगती है, पढ़कर हँसी भी आती है… लेकिन जब गौर फरमाकर समझें तो असलियत काफ़ी अलहदा है।
असल मे इस एक पंक्ति में लाखों, करोड़ो छात्रों का वह दर्द छुपा है जो उनके वर्षों की मेहनत और सपनों के बिखर जाने के बाद महसूस हो रहा है। साल 2024 की अभी पहली तिमाही भी नही बीती है और एक के बाद कई छोटे बड़े परीक्षाओं के पर्चे लीक (Paper Leak) हो गए हैं।
आबादी और लोकसभा सीट के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश में क्रमवार तरीके से पहले समीक्षा अधिकारी (RO) और सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) का और फिर यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र परीक्षा के पहले ही लीक हुए। फिर, बगल के राज्य बिहार में BPSC द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE 3.0) और झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के भी पर्चे लीक (Paper Leak) होने की ख़बर आई है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी निवासी आशीष पांडेय जो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के अभ्यर्थी हैं, बताते है,
“उन्होंने बीते 2 साल का जीवन सिर्फ RO/ARO तथा UPPCS परीक्षा के तैयारी में लगा दिया। कुछ छोटे नौकरियों को उन्होंने छोड़ दिया ताकि वे अपने सपने को पूरा कर सकें। लेकिन सब एक ही झटके में अब धूमिल सा हो गया है। RO/ARO की परीक्षा पर्चा -लीक (Paper Leak)होने के कारण रद्द कर दी गयी है जबकि UPPCS की परीक्षा जो 17 मार्च को आयोजित होनी थी, उसे आयोग द्वारा जुलाई महीने तक के लिए मुल्तबी कर दिया गया है। आगे क्या होगा, बस अयोध्या वाले ‘राम लला’ ही जाने..”
कुछ यही हाल बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE3.0) में शामिल होने वाली एक महिला परीक्षार्थी का है। निजी कारणों का हवाला देते हुए नाम न छापने के शर्त पर उन्होंने बताया,
“मैने अपने 2 साल की नन्ही बेटी को कुछ महीनों से परिवार के साथ छोड़ दिया ताकि मैं अकेले रहकर ठीक ठंग से पूरी शिद्दत से तैयारी करके इस परीक्षा में शामिल हो सकूँ…. लेकिन पेपर लीक (Paper Leak) की ख़बर ने सारा त्याग और उम्मीदों पर पानी फेर दिया।”
थोड़ा रुककर वह आगे कहती हैं,
“आपको पता है, बिहार जैसे राज्य के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को सपने देखने का वैसे ही अधिकार सीमित है। अपवादों को छोड़ दें तो लड़कियों पर शादी का दवाब जल्दी होता है। फिर उसके बाद जीवन बदल जाती है और सपने पीछे छूट जाते हैं। हमने किसी तरह जिंदगी की जिम्मेदारियों और एक सरकारी नौकरी के सपने के बीच सामंजस्य स्थापित कर के इस परीक्षा की तैयारी की थी… लेकिन पर्चा लीक (Paper Leak)होने की ख़बर सुनकर मालूम नहीं है कि पता नहीं क्या होगा अब…”
सरकार, व्यवस्था और परीक्षा आयोजित करवाने वाली व्यवस्था की नाकामियों के कारण सपनों के टूट जाने की यह कहानी किसी एक परीक्षार्थी की नहीं है, ना ही किसी एक राज्य की कहानी है।
यह कहानी उन पर तमाम लाखों करोड़ों युवाओं की है जो किसी तरह ट्रेनों और बसों में धक्का खाकर परीक्षा देते हैं, फिर आयोग या संस्थाओं की गलती से लीक (Paper Leak) हुए पेपर का खुद ही सबूत ढूंढते हैं, आंदोलन करते हैं, सड़कों पर प्रदर्शन करते हैं, पुलिस की लाठियों की मार सहते हैं और फिर भारी मन से घर जाकर जुट जाते हैं एक बार फिर समर के लिए।
इंडियन एक्सप्रेस में 06 फरवरी 2024 की ख़बर के मुताबिक इस देश मे बीते 05 सालों में 15 राज्यों में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं का कुल 41 बार पेपर लीक (Paper Leak) होने का मामला शामिल है। सनद रहे कि इस 05 साल की समयावधि में कोरोना काल का वह दौर भी शामिल है जिसमें राज्य लोक सेवा आयोग तो छोड़िए, केंद्र लोक सेवा आयोग (UPSC) भी परीक्षाएँ आयोजित करवाने में कई दफा असमर्थ रहा था।
इन 41 परीक्षाओं के पर्चे लीक होने के कारण कुल 1.4 करोड़ (अनुमानित) परीक्षार्थी प्रभावित हुए। इसकी तुलना में इन परीक्षाओं के द्वारा भरे जाने वाले पदों की संख्या मात्र 1.04 लाख थीं। यह सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि किस तरह के गला-काट प्रतिस्पर्धा रही होगी और कैसा जद्दोजहद करना पड़ा होगा उन छात्रों को जो इन परीक्षाओं में शामिल हुए।
यह दर्शाता है कि आप परीक्षा का नाम बदल दीजिए, राज्य का नाम बदल दीजिए, किस पार्टी की सत्ता है, उनका नाम बदल दीजिए लेकिन पर्चा- लीक (Paper Leak) की कहानी हर जगह…हर राज्य में …हर सरकार में…. एक समान है।
राजस्थान विधानसभा के दौरान चुनाव प्रचार के दौरान खुद प्रधानमंत्री ने राज्य की तत्कालीन को कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए पेपर लीक 9Paper Leak) का मुद्दा खुले मंच से उठाया था। लेकिन राजस्थान से सीमा साझा करने वाला राज्य उत्तर-प्रदेश जहाँ से प्रधानमंत्री मोदी खुद सांसद हैं, और जिस योगी मॉडल के शाशन-व्यवस्था का दावा किया जाता है…वहाँ एक के बाद एक पेपर लीक हो जाते हैं, पर अबकी प्रधानमंत्री खामोश रहना पसंद करते हैं।
चाहे उत्तरप्रदेश हो, बिहार हो, राजस्थान हो, झारखंड हो या कोई भी अन्य राज्य हो… इन राज्यों में राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) एक संवैधानिक संस्था है जिसे अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत तमाम शक्तियों से ठीक वैसे ही लबरेज़ किया गया है जैसे किसी अन्य संवैधानिक संस्था जैसे चुनाव आयोग या लोकसेवा आयोग आदि को….फिर निष्पक्षता के तराजू पर यह संस्था अन्य संस्थाओं से कैसे पिछड़ जाता है?
ज्ञातव्य हो कि उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने RO/ARO के पर्चे लीक (Paper Leak) होने के बाद सिलसिलेवार तरीके से उन तमाम परीक्षाओं को मुल्तबी (Postponed) कर दिया जो आगामी 2-3 महीनों में होने थे। इसी दौरान देश मे लोकसभा चुनाव होना है, जिसकी घोषणा चुनाव आयोग ने हाल ही में किया है।
#WATCH | Uttar Pradesh | Candidates in Lucknow celebrate as CM Yogi Adityanath announces cancellation of UP Police constable civil police exams 2023 and orders conducting of re-examination within next 6 months. pic.twitter.com/RCWJS8UBDd
— ANI (@ANI) February 24, 2024
जरा सोचिए, चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में 97 करोड़ मतदाताओं का मतदान 10 लाख से ज्यादा बूथों पर निष्पक्ष मतदान करवाने की तैयारी में है, लेकिन राज्य की लोकसेवा आयोग इन्हीं स्कूलों और कॉलेजों में मात्र 20-30 लाख परीक्षार्थियों की परीक्षा नहीं करवा सकता है।
हालांकि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) में कार्यरत कुछ अधिकारियों ने निजी बातचीत में बताया है कि असल मे मामला चुनाव का नहीं, असल मे आयोग को इस बात का डर था कि अगर परीक्षाएं आयोजित हुईं और पेपर लीक हुआ तो चुनावी माहौल में छात्रों का धरना प्रदर्शन शुरू होने का खतरा है और इस से सत्ताधारी दल को राजनीतिक नुकसान हो सकता था। है ना यह अज़ब खेल?
कुलमिलाकर आलम यह है कि देश मे इस वक़्त हर जगह पर्चा-लीक (Paper Leak) ही चर्चा में है। सरकारें अपने ‘मन की बात’ तो कर रही हैं पर युवाओं के मन की बात को नहीं सुन रही है। युवाओं को न्याय देने का वादा करने वाली राजनीतिक दलों के।लिए हर युवा महज एक अदना से वोटर है, और इसकी हैसियत बस झंडा बुलंद करने से ज्यादा नहीं है।
जिन युवाओं ने सपना पाला होता है कि वे देश और राज्यों की नौकरियों में जाकर सेवा करेंगे, अपना और अपने परिवार की किस्मत बदल देंगे… पेपर लीक (Paper Leak) जैसी घटनाओं के कारण आज उन युवाओं के हिस्से एक अजीब सी खामोशी है, एक निराशा है, भविष्य की अनिश्चितता है और मजबूरी का शिकन है।
देश मे आमचुनाव का बिगुल फूंक चुका है, सभी राजनैतिक दलों ने अपनी बाहें चढ़ा रखी है, जनता को लुभाने के लिए तमाम वादे और और दावे किए जा रहे हैं, लेकिन युवाओं को तोड़कर रख देने वाला पेपर लीक से कैसे और कब निजात मिलेगा, यह गौण है। देश अमृत-काल से गुजर रहा है पर पेपर लीक (Paper Leak) से मुक्ति कब मिलेगी..इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है।
सपनों को गिरवी रखने का दर्द क्या होता है, ‘उन्हें’ क्या मालूम!